शहर के मुख्य चौराहे पर आधा घण्टे तक लगा रहा चक्का जाम, SP के जाम में फंसने के बाद हरकत में आई पुलिस ने बहाल कराया आवागमन

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स्व सहायता समूहों की महिलाओं के द्वारा अपनी मांगों को लेकर शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने पन्ना के अजयगढ़ चौराहा पर लगाया गया चक्का जाम।

*    समूह की महिलाओं ने अपनी मांगों को लेकर चौराहा पर बैठकर किया प्रदर्शन

*    चक्का जाम में आधा घण्टे तक फंसी रही एम्बुलेंस तथा स्कूली बच्चों के वाहन

*    कोतवाली थाना और यातायात पुलिस की व्यवस्था को लेकर लोगों में दिखी नाराजगी

पन्ना। (www.radarnews.in) कमरतोड़ महंगाई के इस दौर में नाममात्र के मानदेय पर स्कूलों व आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए भोजन पकाने वाले स्व सहायता समूहों (Self-Help Groups) से जुड़ीं महिलाओं-रसोईया ने सोमवार 1 अगस्त को जिला मुख्यालय पन्ना में प्रदर्शन करते हुए जमकर हल्ला बोला। मानदेय बढ़ाने एवं खाद्यान्न समय पर उपलब्ध कराने की अपनी जायज मांग को लेकर पैदल मार्च करते हुए ज्ञापन सौंपने कलेक्ट्रेट के लिए निकलीं समूह की महिलाओं ने शहर के अजयगढ़ चौराहे में सड़क पर बैठकर अचानक चक्का जाम कर दिया। पन्ना के सबसे व्यस्ततम और संकीर्ण चौराहा पर करीब आधा घण्टे से अधिक समय तक चक्का जाम के चलते चारों मार्गों पर वाहनों की लम्बी कतार लग गई।
पन्ना के अजयगढ़ चौराहा पर चक्का जाम में फंसा पुलिस अधीक्षक पन्ना का सरकारी वाहन।
चक्का जाम में एम्बुलेंस व स्कूल वाहन भी फंस गए। उमस भरी भीषण गर्मी में जाम में फंसे लोग काफी देर तक परेशान होते रहे और इस बीच पुलिस मौके से नदारत रही। कुछ देर बाद जब पुलिस अधीक्षक पन्ना धर्मराज मीना चक्का जाम के झाम में फंसे तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। एसपी साहब को असुविधा होने का मैसेज मिलते ही हरकत में आए पुलिस अधिकारी आनन-फानन मौके पर पहुंचे और चक्का जाम समाप्त कराकर आवागम को बहाल कराया गया। इस घटनाक्रम से पता चलता है, मोबाइल फोन पर “जनसेवा की है निष्ठा” रिंगटोन बजाने वालों को आमजन की वाकई कितनी परवाह है ! चक्का जाम खुलवाने पुलिस के काफी देर बाद सक्रिय होने से जाम में फंसे बेहाल-परेशान लोगों ने इस उदासीनता को लेकर पुलिस एवं प्रशासन के प्रति खुलकर अपना गुस्सा जाहिर किया।
पैदल मार्च करते हुए ज्ञापन सौंपने के लिए कलेक्ट्रेट जातीं स्व सहायता समूहों की महिलायें।
पन्ना के गायत्री मंदिर से पैदल मार्च और नारेबाजी करते हुए समूह की महिलायें अपना ज्ञापन सौंपने के लिए कलेक्ट्रेट के लिए निकलीं तो शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। सड़कों पर अघोषित तौर पर जाम जैसी स्थिति निर्मित हो गई। महिलाओं के इस प्रदर्शन की जानकारी होने के बाद भी कोतवाली थाना और यातायात थाना पुलिस के द्वारा आवागमन को बाधित होने से रोकने के लिए किसी तरह के कोई इंतजाम नहीं किए गए। शहर की सड़कों पर ट्रैफिक के रेंगने से लोग परेशान होते रहे और जिम्मेदार नदारत रहे। इस बीच प्रदर्शनकारी महिलायें अजयगढ़ चौराहा पहुंचीं और जमकर हल्ला बोलते हुए सड़क पर बैठ गईं। समूह की महिलाओं के द्वारा चौराहे पर चक्का जाम करने से देखते ही देखते चारों मार्गों पर वाहनों की लम्बी कतारें लग गईं। कुछ देर के लिए अजयगढ़ चौराहे पर पूरा शहर ही थम गया। चक्का जाम में एंबुलेंस और बच्चों के स्कूल की वैन भी फंस रही। उमस भरी गर्मी के बीच जाम में फंसे आम लोग परेशान होते रहे मगर पुलिस ने तत्परता से जाम को खुलवाने की जहमत उठाना उचित नहीं समझा। लेकिन तभी पुलिस अधीक्षक धर्मराज मीना अपने सरकारी वाहन से कलेक्ट्रेट से अजयगढ़ चौराहा की और पहुंचे और वे भी जाम के झाम में फंस गए।
एसपी साहब को असुविधा होने का मैसेज आते ही पुलिस महकमे में करंट दौड़ गया। पुलिस अधिकारियों ने आनन-फानन मौके पर पहुंचकर एसपी के वाहन को निकलवाया और चक्का जाम खुलवाकर करीब आधा घण्टे बाद आवागमन बहाल कराया गया। इसके बाद स्व सहायता समूह की महिलाओं ने रैली के रूप में कलेक्ट्रेट पहुंच कर अपना ज्ञापन सौंपा। हैरानी की बात यह रही कि, इस दौरान कोतवाली थाना और यातायात पुलिस के जवान शहर की यातायात व्यवस्था संभालने के बजाय मौके से नदारद रहे। हालांकि इस प्रकार की लापरवाही आए दिन देखी जाती है। सोमवार को स्व सहायता समूह की महिलाओं ने ही चक्का जाम किया था अन्यथा बिना किसी चक्का जाम के भी नगर की सड़कों पर चक्का जाम जैसे हालात से लोग जूझते रहते हैं।

सिर्फ व्हीआईपी के दौरे पर दिखती है सक्रियता

रेत के और अन्य मालवाहक वाहनों से एन्ट्री वसूली में व्यस्त रहने वाली पुलिस को शहर की यातयात व्यवस्था को निर्बाध बनाए रखने से कोई सरोकार नहीं है। शहर में किसी व्हीआईपी गेस्ट के आने पर ही ट्रैफिक पुलिस व कोतवाली थाना के जवान चौराहों पर ड्यूटी में मुस्तैद की साथ तैनात नजर आते हैं। और व्हीआईपी गेस्ट के वाहनों लिए रास्तों को क्लीयर रखने लगातार सायरन बजाकर पेट्रोलिंग करते पुलिस जवान आते-जाते लोगों को हड़काते हुए देखे जा सकते हैं। इस नज़ारे को देखकर समझ आता है, सिर्फ लाल-पीली बत्ती को सरकारी वाहनों से हटाने मात्र से व्हीएआईपी कल्चर विदा होने वाला नहीं है। आम लोगों को आवागमन में असुविधा न हो इसे लेकर जिम्मेदार ज़रा भी फिक्रमंद नहीं है। पन्ना पुलिस की जिम्मेदारी और चिंताएं सिर्फ व्हीआईपी के मूवमेंट को लेकर ही दिखती हैं। पुलिस का पूरा प्रयास रहता है, व्यवस्था में ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को आने-जाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आनी चाहिए। क्योंकि व्हीआईपी को अगर असुविधा हुई तो नौकरी खतरे में पड़ सकती है।

सीसीटीव्ही कण्ट्रोल रूम की मॉनीटरिंग पर सवाल

गौरतलब है कि, अजयगढ़ चौराहा पर चक्का जाम में फंसे लोग पुलिस को जमकर कोसते नजर आये, उनके द्वारा कहा गया कि शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। कभी-कहीं भी जाम लग जाये और पुलिस को खबर नहीं होती है, कहने को तो पूरे शहर में जनता के टैक्स के करोड़ों रुपए खर्च करके सीसीटीव्ही कैमरे लगाये गये है, ताकि हर गली-चौराहे की पल-पल की निगरानी हो सके। लेकिन अजयगढ़ चौराहा में लगे चक्का जाम को खुलवाने के लिए आधे घण्टे तक पुलिस एवं प्रशासन के मौके पर न पहुँचने से सीसीटीव्ही कण्ट्रोल रूम की मॉनीटरिंग व्यवस्था की भी कलई खुल गई है। पुलिस के सीसीटीव्ही कैमरों की मॉनीटरिंग पर पहले भी गंभीर सवाल उठते रहे हैं, जिले में बड़े पैमाने पर लम्बे समय से खुलेआम जारी रेत का अवैध परिवहन करने वाले वाहन इन कैमरों की निगरानी करने वालों को शायद नजर ही नहीं आते हैं।

लगातार बढ़ रही चक्का जाम करने की प्रवृत्ति

पन्ना-पहाड़ीखेरा मार्ग पर कुछ दिन पूर्व महिलाओं व ग्रामीणों के द्वारा लक्ष्मीपुर के समीप चक्का जाम किया गया था।
मध्यप्रदेश के पन्ना में व्यवस्था से नाराजगी के चलते अथवा अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते लोग कभी भी और कहीं भी चक्का जाम कर देते हैं। सार्वजानिक मार्ग को बंद करके लोगों और वाहनों के आवागमन को अवरुद्ध करने की प्रवृत्ति यहां लगातार लगातार बढ़ रही है। कभी दुकान में चोरी होने, पशुधन की हानि, साप्ताहिक बाजार बैठकी की अव्यवस्था, आबादी के समीप कचरा फेंकने आदि मामलों को लेकर हाल के दिनों में प्रदर्शनकारियों के द्वारा चक्का जाम करने के घटनाक्रम प्रकाश में आए हैं। चक्का जाम करके कानून का उल्लंघन करने से जुड़े मामलों को गंभीर मानते हुए देश की सर्वोच्च अदालत पूर्व में कई बार बेहद सख्त टिप्पणी कर चुकी है। इसकी जानकारी होने के बाद भी पन्ना पुलिस और प्रशासन चक्का जाम के मामलों में नरम रूख अपनाते हुए जानबूझकर उदासीनता बरत रहा है। पुलिस के इस रवैये के कारण ही आए दिन लोगों को जहां असुविधा का सामना करना पड़ता है वहीं अराजकता पूर्ण स्थिति भी निर्मित हो रही है।

इनका कहना है –

“ट्रैफिक पुलिस का जवान मौके पर तैनात रहा है, उसी के द्वारा पुलिस कण्ट्रोल रूम को बार-बार सूचना दी गई कि महिलाओं ने चौराहे पर चक्का जाम कर दिया है। चक्का जाम को खुलवाने के लिए आवश्यक कार्यवाही करना कोतवाली थाना पुलिस का काम है। अगर, हमारा जवान मौके पर तैनात ना होता तो फिर हम दोषी होते। शहर की सड़कें संकीर्ण है, फुटपाथ अतिक्रमण की चपेट में है और कहीं भी वाहन पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, इस वजह से यातायात व्यवस्था बनाने में बहुत कठिनाई होती है।”

अमरदास कनारे, यातायात थाना प्रभारी, पन्ना।

“महिलाओं के द्वारा ज्ञापन सौंपने के लिए बकायदा अनुमति ली गई थी, लेकिन चक्का जाम करके उनके द्वारा क़ानून का उल्लंघन किया गया है। जिससे लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ा है।”

अरुण सोनी, नगर निरीक्षक, कोतवाली थाना पन्ना।