* दूसरे जिलों में पदस्थ वनकर्मियों के भी कर दिए स्थानांतरण
* विवादास्पद डिप्टी रेंजर मनोज बघेल का पीटीआर में तबादला
* पीटीआर में रेंज का प्रभार प्राप्त करने के लिए भिड़ाई जुगत
* बहुचर्चित रैपुरा शिकार प्रकरण का सच बताने वाले चालक का किया स्थानांतरण
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश में इस समय मानसून के साथ ट्रांसफर सीजन का दौर जारी है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा घोषित तबादला नीति के अनुसार अंतर जिला स्तरीय और जिले के अंदर सम्बंधित जिले के प्रभारी मंत्री के अनुमोदन पश्चात तबादले किए जा रहे हैं। इसके पीछे सरकार का मकसद काफी हद तक अपने मनमाफिक प्रशासनिक जमावट करना और लम्बे समय से तबादलों के इंतजार में बैठे अधिकारियों-कर्मचारियों को सुविधा प्रदान करना है। बहरहाल, प्रदेश के पन्ना जिले के वन विभाग में जिले के अंदर उप वनक्षेत्रपालों, वनक्षेत्रपाल और वनरक्षकों के हुए थोकबंद तबादले सुर्ख़ियों में है। इसकी वजह वनरक्षकों की स्थानांतरण सूची में गम्भीर विसंगतियाँ उजागर होना है।
वन विभाग के घोर उदासीन और नाकारा अफसरों ने हद दर्जे की लापरवाही बरतते हुए प्रभारी मंत्री प्रभुराम चौधरी के अनुमोदन से दूसरे जिलों में पदस्थ वनरक्षकों के भी तबादले करा दिए है। जिला स्तरीय तबादला सूची में दूसरे जिलों में पदस्थ वनरक्षकों के नाम होने यह सूची न सिर्फ मजाक बन गई है बल्कि इससे प्रभारी मंत्री की भी काफी किरकिरी हो रही है। कथिततौर प्रभारी मंत्री को गुमराह करके अफसरों ने कुछ ऐसे तबादले भी कराए हैं जिसकी वजह से विभाग के अंदर जहाँ असंतोष पनप रहा है वहीं आमजन में भी गलत सन्देश जा रहा है। मामले को तूल पकड़ते देख बैकफुट पर आए वन विभाग के अफसर अब अपनी गलती स्वीकारते हुए सुधार करने की बात कह रहे हैं।
जिले में पदस्थ नहीं ये वनरक्षक
मजेदार बात यह है कि प्रभारी मुख्य वन संरक्षक वृत्त छतरपुर के. एस. भदौरिया के हस्ताक्षर से दिनाँक 4 जुलाई को जारी आदेश क्रमाँक/स्था/2019/86 में 4 तथा 15वें नम्बर पर क्रमशः वनरक्षक धर्मेन्द्र शाक्य, अरविन्द राय का तबादला उत्तर वन मण्डल पन्ना से पन्ना टाईगर रिजर्व में किया गया है। जबकि उक्त दोनों वनरक्षक पन्ना जिले में पदस्थ ही नहीं है। पता चला है कि अरविन्द राय सामान्य वन मण्डल दमोह तथा धर्मेन्द्र शाक्य गुना जिले के सामान्य वन मण्डल में अपनी सेवायें दे रहे हैं। उक्त दोनों वनरक्षक लोकसभा चुनाव के पूर्व ही पन्ना जिले से स्थानांतरित होकर जा चुके हैं। 22 वनरक्षकों की तबादला सूची के आदेश में स्पष्ट है कि इनके नाम तबादले के लिए वन वृत्त कार्यालय छतरपुर ने प्रस्तावित किए जिसका अनुमोदन पन्ना जिले के प्रभारी मंत्री एवं मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी द्वारा किया गया। प्रभारी मंत्री के अनुमोदन पश्चात प्रशासकीय दृष्टि से 22 वनरक्षकों को स्थानांतरित करते हुए नवीव पदस्थापना आदेश जारी किए गए।
विभाग की खबर नहीं जंगल कैसे बचा पाएँगे
उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले का उत्तर-दक्षिण वन मण्डल एवं पन्ना टाईगर रिजर्व पिछले कुछ महीनों से बड़े पैमाने पर सागौन की अवैध कटाई, वन क्षेत्र में हीरा-पत्थर खदानों के अवैध उत्खनन, वन्यजीवों के शिकार, विभागीय कार्यों में बेइंतहां भ्रष्टाचार और अराजकता को लेकर चर्चाओं में बना है। हर मोर्चे पर बुरी तरह नाकाम रहने वाले विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। यहाँ महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जिन्हें यह भी पता नहीं है कि उनके द्वारा जिन वनरक्षकों का स्थानांतरण प्रस्तावित किया गया है, वे कई माह पहले ही पन्ना जिले को छोड़कर जा चुके हैं, ऐसे अफसर वन सम्पदा और वन्यजीवों कैसे महफूज रख पाएँगे ? कहना मुश्किल पर इसे समझना आसान है। वनरक्षकों की स्थानांतरण सूची में विसंगति के सम्बंध में जब उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओ नरेश सिंह यादव से उनका पक्ष जानने के लिए सम्पर्क किया गया तो घण्टी बजने के बाबजूद उनका मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुआ।
सच बोलने की मिली सजा !
पन्ना जिले के दक्षिण वन मण्डल की रैपुरा रेंज अंतर्गत होली के त्यौहार के समय हुए जंगली सुअर के बहुचर्चित शिकार मामले में आरोपी को एक दिन तक अभिरक्षा में रखने के बाद रुपए लेकर वन अपराध दर्ज किए बगैर उसे छोड़ने तथा जब्त माँस को नष्ट कराने में रेंजर देवेश गौतम सहित अन्य वनकर्मियों की भूमिका को जाँच टीम के समक्ष उजागर करने वाले वाहन चालक दशरथ सिंह का भी स्थानांतरण किया गया है। शिकार मामले की जाँच करने सतना जिले से आई टाईगर स्ट्राइक फोर्स की टीम को दर्ज कराए गए अपने बयान में वाहन चालक दशरथ सिंह ने पूरी ईमानदारी के साथ सच्चाई को बयां करते हुए इस मामले को रैपुरा रेंजर देवेश गौतम के संज्ञान रफादफा किए जाने का खुलासा किया था। इसके अलावा साक्ष्य नष्ट करने के लिए जिस नदी में शिकार का माँस फेंका गया था उसे भी जाँच टीम को जब्त कराया था। इस आधार पर टाईगर स्ट्राइक फोर्स की जाँच ने अपनी जाँच में स्पष्ट तौर पर रेंजर देवेश गौतम को दोषी मानते हुए उनके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की सिफारिश की है। उधर, सच बताकर विभाग के बड़े अफसरों को नाराज करने वाले वाहन चालक दशरथ सिंह का नुकसान होने का अंदेशा पहले से लगाया जा रहा था।
सरकार की छवि हो रही धूमिल
रुपए लेकर शिकारी को छोड़ने मामले में निहित स्वार्थपूर्ति होने पर रेंजर को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने वाले अधिकारियों ने अदने से कर्मचारी दशरथ सिंह को संरक्षण प्रदान करने के बजाए उसे अघोषित तौर पर सजा देने के इरादे से प्रभारी मंत्री को गुमराह कर उसका स्थानांतरण दक्षिण वन मण्डल से पन्ना टाईगर में करा दिया है। दक्षिण वन मण्डल पन्ना की डीएफओ मीना कुमारी मिश्रा के द्वारा प्रस्तुत इस स्थानांतरण प्रस्ताव का जिले प्रभारी मंत्री प्रभुराम चौधरी ने अनुमोदन किया है। फलस्वरूप मुख्य वन संरक्षक वृत्त छतरपुर के. एस. भदौरिया के हस्ताक्षर से स्थानांतरण जारी किया गया। वाहन चालक दशरथ सिंह के स्थानंतरण को लेकर विभाग में तीव्र असंतोष व्याप्त है। वन कर्मचारियों के इसके विरोध लामबंद होने की ख़बरें मिल रहीं है। वन विभाग के अफसरों के कथित द्वेषभावनापूर्ण इस कृत्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार की छवि धूमिल हो रही है।
रेंज का प्रभार हाँसिल करने की कवायद
खुद को कथिततौर पन्ना के भाजपा विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह का रिश्तेदार बताने वाले विवादास्पद उप वनक्षेत्रपाल मनोज बघेल ने जुगाड़ लगाकर अपना तबादला पन्ना टाईगर रिजर्व में करा लिया है। वर्तमान में उत्तर वन मण्डल पन्ना में उड़नदस्ता प्रभारी का दायित्व संभाल रहे श्री बघेल के स्थानांतरण को लेकर विभाग के अंदरखाने यह आम चर्चा है कि रेंज का प्रभार पाने लिए उन्होंने पन्ना टाईगर रिजर्व का रुख किया है। पन्ना टाईगर रिजर्व में वर्तमान में रेंजरों के कई पद रिक्त हैं। शासन ने इसकी पूर्ती के लिए कुछ रेंजरों के तबादले पन्ना टाईगर रिजर्व में किए हैं। जिले में इनके आमद देने के पूर्व ही डिप्टी रेंजर मनोज बघेल पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक से नजदीकी के चलते किसी रेंज का प्रभार प्राप्त कर सकते है।मालूम होकि मनोज बघेल पन्ना जिले में लम्बे समय से पदस्थ हैं। उत्तर वन मण्डल अंतर्गत विश्रामगंज रेंज में प्रभारी रेंजर रहते हुए इनके कारनामों ने विभाग की अच्छी-खासी फजीहत कराई थी।
इनका कहना है –
“स्थानांतरण सूची पुरानी है, डीएफओ उत्तर वन मण्डल ने जिस स्थानांतरण प्रस्ताव को भेजा था मैंने उसे सिर्फ आगे बढ़ाया है। यदि सूची में दूसरे जिलों में पदस्थ वनरक्षकों के नाम हैं तो उन्हें निरस्त कर दिया जाएगा।”
– के. एस. भदौरिया, प्रभारी मुख्य वन संरक्षक वृत्त छतरपुर।