जंगली सुअर का शिकार करने बिछाया था करंट का जाल लेकिन उसकी चपेट में आकर मरा तेंदुआ

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वन विभाग की टीम की अभिरक्षा में तेंदुए के शिकारी एवं बाजू में खड़े उप वनमण्डलाधिकारी नरेन्द्र सिंह, धरमपुर रेन्जर बी. के. विश्वकर्मा।

* वन विभाग के हत्थे चढ़े दो शिकारियों ने किया खुलासा

* पन्ना जिले की धरमपुर रेन्ज की कुड़रा बीट में मिला था तेंदुए का कंकाल

* तेंदुए की खाल और पंजे ले गए थे शिकारी, दो मुख्य आरोपी अभी भी फरार

* उत्तर वन मण्डल पन्ना अंतर्गत एक माह में दो तेंदुओं की मौत पर उठ रहे सवाल

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) जिले के उत्तर वन मण्डल की धरमपुर रेन्ज अंतर्गत कुड़रा बीट में कुछ दिन पूर्व सामने आए तेंदुए के शिकार के बहुचर्चित मामले में वन विभाग की टीम ने दबिश देकर दो आरोपियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। पकड़े गए आरोपी बौना उर्फ़ जुगनू कुशवाहा व दिल्लीपत उर्फ़ दिलीप कुशवाहा दोनों निवासी ग्राम दिबिहा थाना धरमपुर ने पूँछतांछ में अपना जुर्म कबूल करते हुए बताया है कि उनके द्वारा दो अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगली सुअर का शिकार करने के लिए कुड़रा के जंगल में प्राचीन बाबली के समीप करंट का जाल बिछाया गया था। लेकिन जब करंट की चपेट में आकर तेंदुआ मरा तो कथित तौर दोनों ने इससे खुद को अलग कर लिया। बाद में इनके अन्य दो साथियों ने मृत तेंदुए की खाल उतारी और उसके पंजे भी काट ले गए। पकड़े गए दोनों शिकारियों को सोमवार 2 फरवरी को न्यायालय में पेश किया गया जहाँ से उन्हें पन्ना जिला जेल भेजा गया है। वन विभाग को इस मामले में फरार चल रहे दो मुख्य आरोपियों की तलाश है। जिनमें दिबिहा गाँव का ही नत्थू कुशवाहा और उसका एक अन्य साथी शामिल है।
उल्लेखनीय है कि धरमपुर रेन्ज की कुड़रा बीट के कक्ष क्रमाँक पी-53 में 23 फरवरी को प्राचीन बाबली के समीप कुछ दिन पूर्व क्षत-विक्षत हालत में एक तेन्दुए का कंकाल मिला था। मौके पर कुछ खूँटियाँ गड़ी हुई मिलीं और जीआई तार भी पाया गया। जांच में पता चला कि पानी पीने के लिए आने वाले वन्य जीवों के शिकार के उद्देश्य से जल स्रोत के समीप करंट के तार बिछाए गए थे। जिसके सम्पर्क में आने से तेंदुए की मौत हुई है। तेंदुए के शरीर से खाल और उसके पंजे गायब थे। शव की अत्यंत ही क्षत-विक्षत हालत और उससे उठ रही भीषण दुर्गन्ध के मद्देनजर यह संभावना जताई गई कि तेंदुए के मौत करीब सप्ताह भर पूर्व हुई है।
कुड़रा के जंगल में शिकार हुए तेंदुए का शव इस स्थिति में मिला था।
शिकार की इस सनसनीखेज घटना के सामने आने से जिले के उत्तर वन मण्डल की काफी आलोचना हुई। क्योंकि वन्यजीवों के शिकार की घटनाओं और दूसरे गंभीर वन अपराधों की रोकथाम में वन मण्डल का अमला अब तक नाकाम साबित हुआ है। वन विभाग के मैदानी अमले की कार्यप्रणाली, जंगल की सुरक्षा और निगरानी को लेकर अफसरों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठे। दरअसल, शिकार के इस प्रकरण ने उत्तर वन मण्डल में व्याप्त अराजकता पूर्ण स्थिति को उजागर करने का काम किया। जंगल की सुरक्षा के मोर्चे से मैदानी अमले के अक्सर गायब रहने और इनकी कारगुजारियों से बेपरवाह अफसरों की उदासीनता के चलते शिकारियों ने बेखौफ होकर जंगल में न सिर्फ करंट जाल बिछाया बल्कि उसकी चपेट में आकर मृत तेंदुए की खाल और पंजे भी ले काट गए।
जंगल में तेन्दुए का शव कई दिनों तक सड़ता रहा लेकिन इसकी भनक तक मैदानी वन अमले को नहीं लगी। जंगल में लकड़ी लेने गए ग्रामीणों के द्वारा जब 23 फरवरी को इसकी सूचना रेन्जर को दी गई तब कहीं जाकर शिकार के इस हैरान करने वाले मामले का खुलासा हुआ। इससे एक बार फिर साबित हो गया कि जंगल की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। तेंदुए के शिकार के आरोप में गिरफ्तार बौना उर्फ़ जुगनू कुशवाहा पिता लोशन कुशवाहा व दिल्लीपत उर्फ़ दिलीप कुशवाहा पिता रामप्रसाद कुशवाहा निवासी दिबिहा ने पूंछतांछ में पहले भी कई बार शिकार करने की बात स्वीकार की है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे कुड़रा के जंगल में वन्यजीवों का शिकार और अवैध कटाई का सिलसिला लम्बे समय से चल रहा है। तेंदुए के शिकार के मामले में फरार चल रहे नत्थू कुशवाहा के घर की तलाशी लेने पर मोर के पंजे 2 नग, जंगली सुअर के दांत व जबड़ा, सांभर के सींग, जंगली सुअर व रीछ के बाल बरामद होना इस बात का प्रमाण है।

मुखबिर की सूचना पर पकड़े आरोपी

फाइल फोटो।
धरमपुर रेन्ज अंतर्गत तेंदुए के शिकार की घटना का पता चलने पर वन अमला सक्रिय हुआ तथा विभाग के आला अधिकारी भी मौके पर पहुँचे। मामले के खुलासे और अज्ञात शिकारियों का सुराग लगाने के लिये प्रशिक्षित डॉग की मदद ली गई। डॉग घटनास्थल की गंध लेकर बौना उर्फ़ जुगनू कुशवाहा पिता लोशन कुशवाहा, दिल्लीपत उर्फ़ दिलीप कुशवाहा पिता रामप्रसाद कुशवाहा व नत्थू कुशवाहा निवासी दिबिहा के घरों में पहुंचा। इस आधार पर तीनों को संदेही के रूप में चिन्हित करते हुए उनके घरों की तलाशी ली गई। इस दौरान नत्थू कुशवाहा के घर पर कई वन्यजीवों के अंग और शिकार में उपयोग होने वाला सामान बरामद हुआ।
सभी संदेहियों के फरार होने की वजह से उनके घरों एवं संभावित ठिकानों पर वन अमले के द्वारा मुखबिरों के माध्यम से नजर रखी जा रही थी। सोमवार 2 मार्च की सुबह वन अधिकारियों को मुखबिर से सूचना मिली कि दिल्लीपत उर्फ़ दिलीप कुशवाहा और बौना उर्फ़ जुगनू कुशवाहा अपने घर के आसपास देखे गए हैं। इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग की टीम ने दबिश देकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए आरोपियों के विरुद्ध वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध पहले से कायम था। इस मामले का मुख्य आरोपी नत्थू कुशवाहा और उसका साथी अभी भी फरार है। जिसकी वन अमले द्वारा सरगर्मी से तलाश की जा रही है। उत्तर वन मण्डल के उप वन मण्डलाधिकारी नरेन्द्र सिंह परिहार ने बताया कि शेष दोनों आरोपियों को शीघ्र ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

भ्रम फ़ैलाने प्रचारित किया था लकड़बग्घा

धरमपुर रेन्ज अंतर्गत कुड़रा के जंगल में क्षत-विक्षत हालत में मिले वन्यजीव के शव को देखने से स्पष्ट है कि वह तेन्दुआ है लकड़बग्घा नहीं।
कुड़रा बीट अंतर्गत करंट का तार बिछाकर तेंदुए का शिकार करने की वारदात में शामिल रहे दो शिकारियों दिल्लीपत उर्फ़ दिलीप कुशवाहा और बौना उर्फ़ जुगनू कुशवाहा निवासी दिबिहा की गिरफ्तारी और उनके कबूलनामे से यह स्पष्ट हो गया है कि शिकार तेंदुए का ही हुआ था। जबकि इस मामले के खुलासे के बाद वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मृत वन्यजीव का शव काफी क्षत-विक्षत हालत में मिलने से उसकी पहचान कठिन होने का हवाला देकर लकड़बग्घा या तेंदुआ होने की संभावना व्यक्त करते रहे हैं। कथित तौर यह भ्रम जानबूझकर फैलाया गया। ताकि जंगल में करंट का जाल फैलाकर तेंदुए का शिकार किये जाने की घटना मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित-प्रसारित न हो।
जंगल लकड़ी लेने गए जिन ग्रामीणों ने इस घटना की सूचना वन अमले को दी थी उन्होंने भी तेंदुए का शव मिलने की ही बात बताई थी। सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तस्वीरों में भी मृत वन्यजीव तेंदुआ नजर आ रहा था। मजेदार बात यह है कि इस घटना का वन अपराध दर्ज करने की कार्रवाई में भी तेंदुए की मौत होने का ही उल्लेख किया गया। बाबजूद इसके वन्यजीवों के जानकार कहलाने वाले अधिकारी सच्चाई जानने के बाद भी उसे ईमानदारी से स्वीकार करने के बजाए लकड़बग्घा या तेंदुआ होने का राग अलापते हुए संदेह पैदा करते रहे। दरअसल इन्हें डर था कि तेंदुआ की मौत होने की सीधी स्वीकारोक्ति से काफी हंगामा मच सकता है।
कुड़रा के जंगल में मृत तेंदुए के शव का मुआयना करतीं उत्तर वन मण्डल पन्ना की डीएफओ मीना मिश्रा व उप वनमण्डलाधिकारी नरेन्द्र सिंह।
ऐसा इसलिए भी किया गया क्योंकि माह फरवरी 2020 में ही इस घटना के कुछ दिन पूर्व उत्तर वन मण्डल की देवेन्द्रनगर रेन्ज अंतर्गत मकरी कुठार के जंगल में एक मादा तेंदुआ संदेहास्पद परिस्थितियों में मृत मिला था। एक माह में दो तेन्दुओं की मौत से उठने वाले सवालों को दबाने की योजना के तहत लकड़बग्घा होने का भ्रम फैलाया गया। इसके पूर्व जब धरमपुर रेन्ज की धरमपुर बीट के सीमावर्ती इलाके में शिकारियों के द्वारा लगाए गए फंदे में तेंदुआ के फंसने की खबर आई थी तब भी उत्तर वन मण्डल के अधिकारियों ने लकड़बग्घा के फंसे होने की बात कहकर मामले को जांच के नाम पर रफा-दफा कर दिया था।
मालूम हो कि पन्ना जिले उत्तर एवं दक्षिण वन मण्डल अंतर्गत पिछले दो साल में करीब दो दर्जन तेन्दुओं की मौत हो चुकी है। जिसमें अधिकांश का शिकार हुआ है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर वनों की कटाई, वन क्षेत्र में हीरा और पत्थर का अवैध उत्खनन बेरोक-टोक चल रहा है। तेजी से बढ़ते वन अपराधों को रोकने में नाकाम वन विभाग के अधिकारी अपनी कारगुजारियों पर पर्दा डालने के लिए कुछ समय से इस तरह के हथकण्डे अपना रहे है। इसमें मीडियाकर्मियों के फोन रिसीव न करना, उन्हें घटना का कवरेज करने से रोकना, वन अपराधों को दबाने के लिए उनकी जानकारी के बाद भी अनभिज्ञता जाहिर कर पुष्टि करने से बचना और भ्रम फैलाना शामिल है।

कुछ दिन पूर्व मादा तेंदुआ का मिला था शव

बीट मकरी कुठार में मृत मिले मादा तेंदुए का शव और उसका पोस्टमार्टम करने के लिए समीप बैठे वन्यप्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव गुप्ता।
उत्तर वन मण्डल पन्ना के जंगलों में माह फरवरी 2020 में दो तेन्दुओं के शव बरामद हुए। धरमपुर रेन्ज की कुड़रा बीट अंतर्गत करंट का जाल बिछाकर एक तेंदुए का शिकार किया गया था। जबकि दूसरी घटना इसके कुछ दिन पूर्व देवेन्द्रनगर वन परिक्षेत्र के बृजपुर सर्किल की बीट मकरी कुठार की है। इस घटना का पता कम ही लोगों को चला क्योंकि वन अधिकारियों ने बड़े ही गुपचुप तरीके से मृत मादा तेंदुआ के शव का जंगल में ही पोस्टमार्टम कराकर उसके शव को आनन-फानन में वहीं जलवा दिया था। बीट मकरी कुठार के कक्ष क्रमांक- पी-91 में 13 फरवरी को मादा तेंदुआ की संदेहास्पद मौत का मामला सामने आया था। महज एक वर्ष की आयु की मादा तेंदुआ का शव जंगल में झाड़ियों के समीप मिला। उसके शरीर के सभी अवयव (अंग) सुरक्षित होने के आधार पर तेंदुआ की मौत स्वाभाविक होने की बात कही गई। हालाँकि मादा तेंदुआ की मौत की वास्तविकता का पता लगाने के लिए जाँच हेतु भेजे शरीर के नमूनों की रिपोर्ट आना अभी बाकी है।