* करोड़पति हीरालाल की झोपड़ी और परिवार की बदहाली देखकर दंग रह गए विधायकगण
* भू-माफिया को एक करोड़ की जमीन बेंचने वाला आदिवासी परिवार फांके करने को मजबूर
* गरीब आदिवासी को मोहरा बनाकर जमीन हड़पने की साजिश से जुड़े तथ्यों-साक्ष्यों को खंगाला
* विधायकों की टीम ने बताया अपनी विस्तृत रिपोर्ट शीघ्र ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को सौंपेंगे
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव की प्रकिया जारी है। प्रदेश के भविष्य के फैसले के लिहाज से बेहद अहम और निर्णायक माने जा रहे इन चुनावों के नतीजों से ही यह तय होगा कि सत्ता की कमान भारतीय जनता पार्टी के हाथ में ही रहेगी या फिर कोंग्रेस पुनः वापसी करेगी ! इन चुनावों में दोनों ही पार्टियों के प्रदेश के नेतृत्व का राजनैतिक भविष्य और प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। उप चुनाव के जबरदस्त घमासान के बीच प्रदेश कोंग्रेस कमिटी ने पन्ना में गरीब परिवारों के पुस्तैनी कब्जे की बेशकीमती भूमि को हड़पने के मामले की जांच-पड़ताल के सिलसिले में विधायकों की एक टीम को भेजा है। इससे पता चलता है कि गरीबों की जमीन से जुड़ा यह मुद्दा राजनैतिक रूप से काफी संवेदनशील हो चुका है।
विधायकों की टीम को तत्काल प्रभाव से पन्ना भेजने का दांव चलकर कोंग्रेस ने इस पर भाजपा के खमे में चिंता और परेशानी बढ़ा दी है। दरअसल, पन्ना की इस बेशकीमती जमीन को हड़पने का आरोप भाजपा के नेता अंकुर त्रिवेदी पर है, जिसे लोग खजुराहो सांसद एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का बेहद करीबी बताते हैं। सुर्ख़ियों में बने नयापुरा और मुड़िया पहाड़ की जमीन के विवाद की सच्चाई जानने के लिए बरगी के पूर्व विधायक नन्हेंलाल धुर्वे, गुनौर विधायक शिवदयाल बागरी और पूर्व विधायक फुन्दर चौधरी ने गुरुवार 1 अक्टूबर को पन्ना से सटी हुई नेशनल हाइवे क्रमांक-39 के किनारे स्थित नयापुरा और मुड़िया पहाड़ की बस्ती का सघन निरीक्षण किया। इस दौरान वहाँ रहने वाले लोगों से विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए भूमि पर दशकों पुराने उनके कब्जे की तस्दीक करने वाले साक्ष्य देखे गए।

प्रभावित ग्रामीणों ने कोंग्रेस विधायकों की टीम को इस जटिल जमीनी विवाद से जुड़े उन तमाम पहलुओं की सिलसिलेवार जानकारी देते हुए बताया कि किस तरह से उनके पुस्तैनी कब्जे की जमीन को राजस्व विभाग की सांठगांठ से हेराफेरी करते हुए हड़पा गया है। बस्ती के लोगों ने अपने आरोपों एवं दावों के समर्थन में आवश्यक दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। तमाम तथ्यों एवं साक्ष्यों पर गौर करने के बाद विधायकों की टीम ने भी यह माना कि गरीबों के कब्जे की जमीन छीनने के लिए बड़े पैमाने पर जालसाजी की गई है।

मालूम हो कि, उक्त भूमि को भाजपा नेता अंकुर त्रिवेदी ने अपनी संस्था के नाम पर क्रय कर नामांतरण करा लिया है। भाजपा नेता के द्वारा इस भूमि पर कई दशकों काबिज गरीबों को डरा-धमका कर बेदखल किया जा रहा है। बेघर होने की कगार पर खड़े प्रभावित गरीब परिवार बार-बार खुलकर यह आरोप लगा रहे हैं कि भू-माफिया अंकुर त्रिवेदी को कथित तौर पर खजुराहो सांसद एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का संरक्षण प्राप्त होने के कारण उनके साथ अन्याय और अत्याचार हो रहा है। मजेदार बात यह कि गरीबों की इस बस्ती में एक भव्य और आलीशान मकान निर्माणाधीन है, जिसे स्थानीय लोग सांसद जी का मकान बताते हैं। विधायकों ने इस बस्ती का भ्रमण उन घरों को भी देखा जिनमें रहने वाले परिवार कथित तौर पर दबंग भू-माफिया के आतंक के कारण अपना घर छोड़कर भागने को विवश हुए।
हीरालाल का किया शोषण !

विधायकों की टीम जमीनी विवाद के अहम किरदार वृद्ध हीरालाल आदिवासी से मिलने उसके घर भी पहुंची। कुछ वर्ष पूर्व नयापुरा और मुड़िया पहाड़ की तकरीबन 15 एकड़ जमीन अंकुर त्रिवेदी को लगभग 1 करोड़ रुपए बेंचने वाले हीरालाल की अत्यंत ही जर्जर झोपड़ी और परिवार की बदहाल स्थिति देखकर विधायकगण दंग रह गए। हीरालाल घर पर नहीं मिला, उसकी पत्नी ने बताया कि वह कहीं गए हैं लेकिन उसे यह पता नहीं कहां गए हैं। फूलाबाई ने बताया कि उनके पास कृषि भूमि कभी नहीं रही, विवाह के बाद से ही वह अपने परिवार के साथ झोपड़ी में रह रही है। फूलाबाई का कहना है कि उसके पति ने कब कौन सी जमीन बेंची मुझे कुछ पता नहीं, जमीन बेंचने पर अगर 1 करोड़ रुपया मिला होता तो आज हमारी यह हालत नहीं होती। उसने ज्यादा कुछ न बताते हुए सिर्फ इतना ही कहा कि आप लोग काफी समझदार हैं, सबकुछ समझ सकते हैं।

बताते चलें कि हीरालाल की झोपड़ी जिस भूमि पर स्थित है उसके वनाधिकार पट्टा के लिए उसने आवेदन किया हुआ है। विधायकों को बताया गया कि हीरालाल अघोषित तौर पर भाजपा नेता अंकुर त्रिवेदी का बंधुआ मजदूर है, उसे मोहरा बनाकर बेशकीमती जमीन को हड़पकर उसका शोषण किया गया है। इस दौरान पूर्व विधायक नन्हेलाल धुर्वे ने हीरालाल की पत्नी को अपनी बहन बताते हुए उसकी दयनीय हालत को देखकर राशन आदि की व्यवस्था के लिए अपनी ओर से 1500 रुपए दिए।
कोंग्रेस जमीन देती है, भाजपा करती है बेदखल
