वन विभाग में बड़ा खेला: अब छतरपुर वृत्त के मुख्य लिपिक ने अपने हस्ताक्षर से जारी कर दी खनिज सर्वेक्षण अनुमति

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*     नियमानुसार वन क्षेत्र में खनिज भंडार का पता लगाने अनुमति जारी करते हैं सीसीएफ

*     फीलगुड के चक्कर में बड़े बाबू ने नियम-प्रक्रिया की उड़ाई धज्जियां

*     वन एवं वन्यजीव प्रेमी ने शासन-प्रशासन से साक्ष्यों के साथ की शिकायत

पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के वन (जंगल) विभाग में जंगलराज चल रहा है। राजधानी भोपाल में बैठे और फील्ड में तैनात भारतीय वन सेवा, राज्य वन सेवा के कुछ अफसरों से लेकर विभागीय लिपिक तक खुलकर मनमानी कर रहे हैं। इनके हैरान-परेशान करने वाले कारनामें आए दिन मीडिया की सुर्खियां बन रहे हैं। सबसे ज्यादा अंधेरगर्दी का आलम वन विभाग के वन वृत्त छतरपुर अंतर्गत देखा जा रहा है। छतरपुर वृत्त में चल रहीं कारगुजारियों को देखते हुए इस पर दिया तले अंधेरा होने वाली कहावत सटीक बैठती है। बता दें कि, छतरपुर जिला प्रदेश की मोहन सरकार में वन विभाग के राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार का गृह जिला है। बुंदेलखंड अंचल के इस इलाके (छतरपुर वृत्त) के वन-वन्यजीव संरक्षण के बजट के साथ ही जंगल, पहाड़, नदियों में मौजूद बहुमूल्य संपदा की संगठित लूट चल रही है। पद और पॉवर का दुरूपयोग यहां हर स्तर पर देखा जा सकता है। वन विभाग के लिपिकों द्वारा मनमाने तरीके से खनिज भंडार की खोज तथा खनन की अनुमति जारी करना इसका एक उदाहरण मात्र है।
वृत्त अंतर्गत आने वाले टीकमगढ़ वन मंडल के बाद अब वन संरक्षक वन वृत्त छतरपुर कार्यालय के मुख्य लिपिक द्वारा नियम-प्रक्रिया का मखौल उड़ाते हुए अपने हस्ताक्षर से वन क्षेत्र में खनिज भंडार के सर्वेक्षण की अनुमति जारी करने का मामला प्रकाश में आया है। मुख्य लिपिक राघवेंद्र प्रसाद (आर.पी.) द्विवेदी द्वारा एंजियोटेक कंसल्टेंट को अपने हस्ताक्षर से वन क्षेत्र में खनिज भंडार के सर्वेक्षण और सतह पर उपलब्ध कंकड़-पत्थरों के नमूने लेने की अनुमति जारी की गई। जबकि इस तरह की अनुमति देने के लिए शासन ने सीसीएफ (मुख्य वन संरक्षक) को अधिकृत किया है। वन एवं वन्यजीव प्रेमी द्वारा मामले की सप्रमाण शिकायत करने पर जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही न कर अपने बाबू को बचाने कुतर्कों का सहारा ले रहे हैं। अफसरों के इस रवैये से भ्रष्टाचार करने वालों के हौसले बुलंद हैं।
एंजियोटेक कंसल्टेंट जबलपुर को वन संरक्षक वन वृत्त छतरपुर कार्यालय के लिपिक द्वारा अपने हस्ताक्षर से जारी अनुमति का दिव्तीय पृष्ठ।
प्राप्त दस्तावेजों और जानकारी के अनुसार वन वृत्त कार्यालय छतरपुर के मुख्य लिपिक राघवेंद्र प्रसाद द्विवेदी द्वारा की जा रही अनियमितता और जालसाजी की हद तो तब पार हो जाती है, जब वह स्वयं के हस्ताक्षर से पत्र क्रमांक/तकनीकी/2024/3408 एवं 3409 दिनांक 12/12/2024 जारी करते हुए आवेदक संस्थान एंजियोटेक कंसल्टेंट जबलपुर को खनिज भंडार का पता लगाने की अनुमति जारी कर देते हैं। एंजियोटेक को वन मंडल छतरपुर की बड़ामलहरा रेंज अंतर्गत जालोथर के मानचित्र पर चिन्हांकन अनुसार 2.28 वर्ग किलो मीटर क्षेत्र में टोपोग्राफिक सर्वे, जियोलॉजिकल मैपिंग एवं ऊपरी सतह पर पड़े हुए 100 से 200 ग्राम वजन के (कंकड़-पत्थर) के सैंपल एकत्रित करने हेतु भारत सरकार के खनन मंत्रालय के पत्र क्रमांक F.No.- 10/12/2015- NMET/468 दिनांक 28 अक्टूबर 2024 के तारतम्य में सशर्त अनुमति दी गई। जबकि मध्य प्रदेश शासन वन विभाग के परीपत्र क्रमांक/एफ 5- 16/1981/10- 3/डी/3019 दिनांक 23/12/2010 के अनुसार वन क्षेत्र में खनिज भंडार का पता लगाने के लिए वन क्षेत्र में पूर्वेक्षण/भ्रमण/सर्वेक्षण की अनुमति प्रदान करने के लिए अधिकारिता वृत्त कार्यालय के भारसाधक अधिकारी के रूप में सीसीएफ को प्रदान की गई है।
वन क्षेत्र में खनिज भंडार की खोज/खनन की अनुमति देने के सम्बंध में मध्य प्रदेश शासन वन विभाग के दिशा-निर्देश।
जाहिर है मुख्य लिपिक ने यह धतकरम नियम-प्रक्रिया की अनभिज्ञता में नहीं बल्कि फीलगुड के चक्कर में जानबूझकर किया है। मनमानी और भ्रष्टाचार से जुड़े इस मामले की लिखित शिकायत वन एवं वन्यजीव प्रेमी ने मुख्यमंत्री, वन मंत्री, प्रमुख सचिव वन विभाग, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख) समेत अन्य आला अधिकारियों से की है। विदित हो कि, छतरपुर वृत्त अंतर्गत टीकमगढ़ वन मंडल में इसी तरह का मामला उजागर होने पर अपने हस्ताक्षर से अनुमति जारी करने वाले लिपिक को हाल ही में निलंबित कर दिया। अब देखना ये है कि वृत्त कार्यालय में जमे भ्रष्ट बाबू के विरुद्ध भी तत्परता कार्यवाही सुनिश्चित की जाती है या फिर उन्हें अभयदान दे दिया जाता है। वहीं शिकायतकर्ता द्वारा मुख्य लिपिक राघवेन्द्र प्रसाद द्विवेदी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होने पर उच्च न्यायालय जाने की बात कही जा रही है। उल्लेखनीय शिकायतकर्ता के गंभीर आरोपों के संबंध में मुख्य लिपिक राघवेन्द्र प्रसाद द्विवेदी का पक्ष जानने के लिए प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।

इनका कहना है-

छतरपुर वृत्त का मामला मेरे संज्ञान में आया था, शिकायत को फिलहाल मुख्य वन संरक्षक प्रशासन देख रहे हैं। वन बल प्रमुख को भी प्रकरण से अवगत कराया जा चुका है क्योंकि यह संरक्षण शाखा से संबंधित है। बेहतर होगा आप प्रधान मुख्य वन संरक्षक संरक्षण से संपर्क करें वे आपको प्रकरण की वस्तु स्थिति की जानकारी दे सकते हैं।

हरि शंकर मोहंता, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, भू-प्रबंधन।

वन भूमि में खनिज भंडार के सर्वेक्षण की अनुमति देने की शिकायत प्राप्त होने पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी गई है। सप्ताह भर के अंदर जांच रिपोर्ट आ जाएगी, रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही की जाएगी। यह मामला पूर्व मुख्य वन संरक्षक के अनिल सिंह जी के कार्यकाल का है। मुझे पता चला है कि जिस एजेंसी को सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी उसने सर्वे और सैंपल एकत्र करने का कार्य नहीं किया है। टीकमगढ़ में एजेंसी को लिपिक द्वारा खनन की अनुमति जारी की गई थी जबकि यह मामला सर्वे की अनुमति का है। बहरहाल हमें जांच रिपोर्ट का इंतजार करना होगा।

नरेश सिंह यादव, वन संरक्षक, वृत्त छतरपुर।