वन विभाग के गश्ती दल पर सागौन माफिया ने किया हमला, तीन वनकर्मी घायल

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जिला चिकित्सालय में भर्ती घायल वनकर्मियों का हालचाल लेते हुए विभागीय अधिकारी-कर्मचारी।

पन्ना के समीप जंगल में दर्जन भर लोगों ने कुल्हाड़ी-लाठी से किया हमला

घायल वनकर्मियों ने जंगल में छिपकर बचाई जान, 3 हमलावर गिरफ्तार

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में सरकार के निर्देश पर इन दिनों माफियाओं-तस्करों और अपराधियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाकर सख़्त कार्रवाई की जा रही है। बाबजूद इसके एमपी में वन माफिया के हौसले काफी बुलंद हैं। बेखौफ वन माफिया आए दिन वन अमले के ऊपर जानलेवा हमला कर कानून व्यवस्था को खुली चुनौती देते हुए भय और आतंक फैला रहे हैं। देवास जिले की जघन्य घटना इस बात का प्रमाण है।
देवास में गत दिनों वन माफिया ने एक वनरक्षक पर बड़ी ही बेरहमी से हमला कर उसकी जान लेने ली थी। इस सनसनीखेज हत्याकाण्ड से प्रदेश का वन विभाग अभी पूरी तरह से उबरा भी नहीं था कि, शनिवार 13 फरवरी की शाम पन्ना जिले से सागौन माफिया के हमले की खबर के आने के बाद से जंगल के रखवाले (वनकर्मी) अपनी खुद सुरक्षा को लेकर अब चिंतित नजर आ रहे हैं। लगातार हो रहे हमलों के कारण वनकर्मियों में भय व असुरक्षा की भावना बढ़ी है।
हमलावरों के द्वारा कुल्हाड़ी से प्रहार कर वनरक्षक छत्रपाल लोधी को गंभीर रूप से घायल किया गया।
पन्ना के उत्तर वन मण्डल की विश्रामगंज रेंज वन अपराध के लिहाज से संवेदनशील रेंज है। शनिवार 13 फरवरी की शाम करीब 6 बजे पन्ना से सटे कौआ सेहा के जंगल में वनरक्षक छत्रपाल लोधी, स्थाईकर्मी स्वामीदीन व सुरक्षा श्रमिक गोविन्द यादव संयुक्त रूप से गश्ती कर रहे थे। इस दौरान बकरी चराने वाला एक व्यक्ति कुल्हाड़ी लिए मिला। वनकर्मियों ने जंगल में अवैध कटाई की आशंका को देखते हुए उसकी कुल्हाड़ी जब्त कर ली और फिर जंगल में कुल्हाड़ी लेकर न आने की समझाइश देते हुए उसे कुल्हाड़ी वापस लौटा दी।
इसके बाद वनकर्मी आगे जंगल की और बढ़ गए। कुछ समय बाद उक्त व्यक्ति समीपी ग्राम खजुरी कुड़ार से 10-12 अज्ञात लोगों के साथ आया। लाठी-डण्डे व कुल्हाड़ी से लैस उक्त सभी ने लोगों ने एकराय होकर वनकर्मियों के ऊपर ताबड़तोड़ हमला बोल दिया। निहत्थे वनकर्मियों को हमलावरों ने बड़ी ही बेरहमी से पीटा। घायल वनकर्मी अपनी जान बचाने के लिए किसी तरह मौके से घने जंगल की ओर भाग निकले और अँधेरे में छिपे रहे।
रात्रि में जंगल में इस हालत में मिला घायल वनकर्मी।
इधर, सुरक्षा श्रमिक गोविन्द यादव जंगल से निकलकर देर शाम पन्ना पहुंचा, उसके द्वारा प्रभारी रेन्जर लीलाधर शाह को इस घटनाक्रम की जानकारी दी गई। आनन-फानन में दलबल के साथ मदद के लिए मौके पर पहुंचे प्रभारी रेंजर के द्वारा जंगल में छिपे घायल वनरक्षक छत्रपाल लोधी व स्थाईकर्मी स्वामीदीन की खोजबीन की गई। दोनों को काफी चोटें होने के कारण उन्हें जंगल के अंदर से टांगकर वाहनों तक लाया गया। इसके पश्चात् दोनों को पन्ना लाकर जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओ गौरव शर्मा, एसडीओ विश्रामगंज दिनेश गौर समेत अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों ने रात्रि में ही जिला चिकित्सालय पहुंचकर उनका हाल-चाल जाना।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस घटना को चुनौती के रूप में लेते हुए पुलिस एवं वन विभाग की टीम ने देर रात संयुक्त रुप से खजुरी कुड़ार ग्राम में तत्परता से दबिश देकर रमेश आदिवासी, इन्द्र प्रताप आदिवासी, महेश आदिवासी को धर दबोंचा। इनके जरिए अन्य हमलावरों की पहचान भी कर ली गई। पुलिस और वन विभाग की टीम संदेही आरोपियों की तलाश में सरगर्मी से जुटी है। पन्ना कोतवाली थाना पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के विरुद्ध धारा 147, 148, 353, 332, 186, 506, आईपीसी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया है।

हमला होने की खबर आते ही मचा हड़कंप

वनकर्मियों की सुरक्षा की मांग को लेकर पन्ना में शनिवार को धरना देने के उपरांत ज्ञापन सौंपते हुए वन कर्मचारी संघ अध्यक्ष महीप रावत एवं रेंजर आर.एस. पटेल।
प्रदेश में वनकर्मियों पर बढ़ते हमले व हत्या की घटना से चिंतित और आक्रोशित मध्यप्रदेश वन कर्मचारी संघ ने शनिवार 13 फरवरी को एक दिन का उपवास रखकर धरना देने का आव्हान किया था। वन कर्मचारी संघ के प्रांतव्यापी प्रदर्शन के तहत पन्ना के दक्षिण वन मण्डल कार्यालय परिसर में जिले के वन कर्मचारियों एवं रेंजरों ने सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक धरना दिया। तत्पश्चात मैदानी वन अमले की सुरक्षा की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया। यह महज एक संयोग ही है कि इसके लगभग एक घण्टे बाद पन्ना में वनकर्मियों के ऊपर जंगल में हमला हो गया। देर शाम जब इस हमले की खबर आई तो वन महकमे में पन्ना से लेकर भोपाल तक हड़कंप मच गया।
फाइल फोटो।
उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले में वनकर्मियों पर हमले की यह पहली घटना नहीं है। हाल के वर्षों में जिले में वन अपराधों में तेजी से इजाफा होने के साथ-साथ वनकर्मियों पर हमले की घटनाएं भी बढ़ी हैं। वन्यजीवों के शिकार, वन भूमि में अतिक्रमण, अवैध खनन एवं अवैध कटाई सरीके गंभीर प्रकृति वाले वन अपराधों को रोकने में जिले का वन विभाग नाकाम साबित हुआ है।
निहत्थे अथवा लाठी-डण्डे के सहारे जंगल की सुरक्षा करने वाले वनकर्मी अगर वन अपराधों की रोकथाम के प्रयास करते हैं तो वन माफिया/तस्कर उन पर हमला करने से नहीं चूकते। इन परिस्थितियों में वन अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण संभव नहीं हो पा रहा है। शासन को जंगल को बचाने के लिए प्रदेश में वन माफिया के खिलाफ विशेष मुहिम चलाने के साथ-साथ वनकर्मियों को सुरक्षा उपकरणों से सुसज्जित करने पर ध्यान देने की जरुरत है। ताकि विषम परिस्थितियों में वे आत्मरक्षा कर सकें और वन माफिया से मुकाबला करने में भी सक्षम व समर्थ हो सकें।

वन माफिया के नेटवर्क को ध्वस्त करेंगे

गौरव शर्मा, डीएफओ, उत्तर वन मण्डल पन्ना।
पकड़े गए एवं फरार हमलावरों के संबंध में उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओ गौरव शर्मा ने बताया कि प्रारंभिक जांच-पड़ताल में सागौन की अवैध कटाई के संगठित अपराध में इनकी अहम भूमिका होने के संकेत मिले हैं। ये लोग जंगल में सागौन की अवैध कटाई करके उसे वन माफिया/तस्कर को बेंचते का काम करते हैं। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वन माफिया/सागौन माफिया के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करते हुए उनके नेटवर्क को ध्वस्त करने का प्रयास किया जाएगा।
फाइल फोटो।
डीएफओ श्री शर्मा ने वनकर्मियों पर बढ़ते हमलों को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि वनकर्मी आमतौर पर निहत्थे व अकेले ही जंगल की सुरक्षा करते हैं, हालिया घटनाओं को देखते यह निश्चित तौर पर काफी जोखिम भरा काम है। जंगल में मोबाइल नेटवर्क भी नहीं मिलता जिससे संकट की स्थिति में वनकर्मियों के पास समय पर मदद नहीं पहुँच पाती है। एक सवाल के जवाब में आपने कहा कि मौजूदा चुनौतियों को देखते मैदानी वनकर्मियों की आत्मरक्षा/सुरक्षा को लेकर वन विभाग के शीर्ष अधिकारी संवेदनशील है, वनकर्मियों आवश्यक सुरक्षा उपकरण शीघ्र मुहैया कराने की कवायद वन बल प्रमुख के स्तर पर की जा रही है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी सुरक्षा सामग्री क्रय कर वनकर्मियों को प्रदान की जाएगी।