पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ शावक की संदेहास्पद मौत, वनकर्मियों को गश्त के दौरान पत्थरों पर पड़ा मिला कंकाल

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मृत बाघ शावक का कंकाल रुपी क्षत-विक्षत शव।

* कुछ माह पूर्व पार्क की रमपुरा बीट में भी मिला था एक बाघ का कंकाल

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से एक बुरी खबर आई है। पार्क की गहरीघाट रेन्ज की कोनी बीट अंतर्गत वन कक्ष क्रमांक- 510 में एक बाघ शावक संदेहास्पद परिस्थितियों में मृत मिला है। करीब डेढ़ वर्ष की आयु के इस शावक का शव क्षत-विक्षत अवस्था में जल स्रोत के पत्थरों के बीच कंकाल के रूप में मिला। शव की हालत को देखते हुए इसकी मौत 5-6 दिन पूर्व होने का अनुमान लगाया जा रहा है। मृत शावक की पहचान बाघिन पी-213 (32) के पहले लिटर के शावक के रूप में की गई है। शावक की मौत का पता पार्क के मैदानी अमले को नियमित जंगल की गश्ती की दौरान चला। पन्ना टाइगर रिजर्व के शीर्ष अधिकारियों को जैसे ही यह हैरान करने वाली खबर मिली तत्काल डॉग स्क्वॉड को मौके पर बुलाकर इलाके की सर्चिंग कराई गई।
फाइल फोटो।
पार्क प्रबंधन का दावा है कि घटनास्थल पर शिकार या अन्य किसी भी अवैध गतिविधि के कोई चिन्ह (साक्ष्य) नहीं पाए गए। ऐसे में शावक बाघ की मौत का रहस्य बरक़रार है। पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव गुप्ता द्वारा मौके से मृत बाघ शावक के सैम्पल एकत्र किये गए। बाघ के कंकाल का पोस्टमार्टम करने के उपरांत उसके अवशेष का जंगल में ही दाह संस्कार किया गया। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया ने बताया कि फ़िलहाल बाघ की मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका। बाघ की मौत का पता लगाने के लिए उसके सैम्पल विषाणु विज्ञान और विष विज्ञान प्रयोगशाला में जांच हेतु भेजे जा रहे हैं। जांच रिपोर्ट आने के पश्चात ही बाघ शावक की मौत की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
पन्ना टाइगर रिजर्व की रमपुरा बीट अंतर्गत कुछ माह पूर्व मिला बाघ का कंकाल। (फाइल फोटो)
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व अंतर्गत कुछ माह पूर्व पार्क के कोर क्षेत्र में ही रमपुरा बीट में इसी तरह एक बाघ का कंकाल मिला था। रमपुरा के वनरक्षक नाका के समीप बाघ की संदेहास्पद मौत होने के कई दिनों बाद मैदानी अमले को इसकी भनक लगी थी। तब तक मृत बाघ का शव कंकाल में तब्दील हो चुका था। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संदेहास्पद मौत के मामले लगातार सामने आने से पार्क क्षेत्र में इनकी सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पार्क की बेहद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और चौबीसों घण्टे निगरानी वाले कोर क्षेत्र में बाघों की इस तरह संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होना और कई दिन बाद इसका पता चलना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि बाघों की मॉनिटरिंग में तैनात मैदानी अमला और तमाम अत्याधुनिक तकनीकी व्यवस्थाएं ठीक तरह से अपना काम नहीं कर रही हैं। इस स्थिति यदि में जल्द सुधार नहीं किया गया तो पन्ना में आबाद बाघों के संसार पर खतरा बढ़ सकता है। वैसे भी जिले के जंगलों में शिकारी और वन्यजीवों के अंगों की तस्करी करने वाले गिरोह खासे सक्रिय हैं।