
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) प्रदेश सरकार ने स्कूल और कॉलेजों को तो खोल दिया लेकिन छात्रावासों को खोलने की सुध अब तक नहीं ली है। छात्रावासों को खोलने में लगातार हो रही देरी का सीधा दुष्प्रभाव ग्रामीण अंचल से आने वाले आरक्षित वर्गों के गरीब छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर पड़ रहा है। स्कूल-कॉलेजों को खोलने तथा छात्रावासों को बंद रखने से आरक्षित वर्गों के गरीब विद्यार्थियों के सामने यह समस्या उत्पन्न हो गई है कि वे शिक्षार्थ अपने घर-गांव से दूर बाहर आखिर कहाँ पर रहें ? क्योंकि समाज में विधमान जातिगत भेदभाव की अमानवीय भावना एवं संकीर्ण सोच के कारण अधिकाँश लोग आरक्षित वर्गों के छात्र-छात्राओं को आज भी अपने मकान में किराए से कमरा भी नहीं देते।
छात्रवासों को खोलने के मसले पर सरकार की उदासीनता ने आरक्षित वर्गों के छात्रों की समस्या को जटिल बना दिया है। इसका दंश झेलने को मजबूर समाज के कमजोर तबके के विद्यार्थी स्कूल-कॉलेजों को खोले जाने के बाद से ही छात्रावासों को भी खोलने की मांग कर रहे हैं। लेकिन छात्रों के भविष्य से जुड़ी इस मांग को सत्तासीन लगातार अनसुना कर रहे हैं।
इससे आक्रोशित पन्ना जिले के छात्रावासी छात्र-छात्राओं ने बीते दिवस युवा नेता संजय अहिरवार के नेतृत्व में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम नायब तहसीलदार पन्ना को एक ज्ञापन सौंपा है। छात्रों ने ज्ञापन के माध्यम से पुनः यह मांग की है कि छात्रावासों को खोलने पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए छात्र हित में सप्ताह भर के अंदर इस पर निर्णय लिया जाए। क्योंकि यह माँग प्रदेश के हजारों छात्र-छात्राओं के भविष्य से सीधे तौर पर जुड़ी है। इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार के उदासीनता पूर्ण रवैये के कारण वर्तमान शैक्षणिक सत्र में आरक्षित वर्गों के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
