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* महिला टीआई के शासकीय आवास पर की गई कार्रवाई
* लोकायुक्त पुलिस सागर और देवेंद्रनगर थाना पुलिस के बीच हुई तीखी बहस
* जानलेवा हमले के मामले में एक पक्ष को रियायत व दूसरे पक्ष के विरुद्ध धारा बढ़ाने मांगी थी रिश्वत
शादिक खान, पन्ना/रमेश अग्रवाल, देवेन्द्रनगर । (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में नए साल के पहले दिन लोकायुक्त पुलिस संगठन सागर की टीम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए देवेंद्रनगर थाना प्रभारी और एक पुलिस आरक्षक को 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। थाना क्षेत्र के ग्राम दऊअन टोला में सप्ताह भर पूर्व दो पक्षों के बीच हुए झगड़े में गोली चलने की घटना सामने आई थी। प्रणघातक हमले से संबंधित इस प्रकरण में रियायत देने और विरोधी पक्ष के खिलाफ धारा बढ़ाने एवज में थाना प्रभारी ने दबाव बनाकर 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। देवेन्द्रनगर थाना प्रभारी एवं निरीक्षक ज्योति सिंह सिकरवार के शासकीय आवास पर रिश्वत का लेनदेन होने के फलस्वरूप लोकायुक्त पुलिस टीम द्वारा मौके पर ही दबिश दी गई। ट्रैप कार्रवाई के दौरान उस समय जबरदस्त हड़कंप व अफरा-तफरी की स्थिति बन गई जब पहले घूसखोर आरक्षक अमर सिंह बागरी और उसके बाद टीआई ज्योति सिंह सिकरवार लोकायुक्त पुलिस को चकमा देकर भाग निकले। इसके पूर्व ट्रैप कार्रवाई को लेकर लोकायुक्त पुलिस टीम और देवेंद्रनगर थाना पुलिस स्टॉफ के बीच तीखी बहस भी हुई। देवेंद्रनगर थाना पुलिस पर कार्रवाई में असहयोग करने तथा थाना से टीआई को भगाने में मदद करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। भ्रष्टाचार और घूसखोरी के लिए बदनाम पन्ना जिले में महीने भर के अंदर पुलिस महकमे में लोकायुक्त ट्रैप की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इसके पूर्व लोकायुक्त पुलिस ने सिमरिया थाना अंतर्गत आने वाली हरदुआ चौकी प्रभारी को 20 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था।
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लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक सागर के कार्यालय में विगत दिवस पन्ना जिले के ग्राम खम्हरिया निवासी विनोद यादव 40 वर्ष ने थाना प्रभारी द्वारा रिश्वत मांगने की लिखित शिकायत की थी। जिसमें बताया कि थाना प्रभारी ज्योति सिंह सिकरवार द्वारा उनकी बुआ के परिजनों के विवाद से जुड़े जानलेवा हमले के प्रकरण में रियायत देने और विरोधी पक्ष के खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरण में धाराएं बढ़ाने के एवज में दबाव बनाकर एक लाख रुपए मांग रहीं है। पूर्व में विनोद के द्वारा आरक्षक अमर सिंह बागरी के माध्यम से थाना प्रभारी को 18 हजार रुपए प्रथम किश्त के तौर पर दिए थे। साथ ही विषम परिस्थितियों का हवाला देते हुए रिश्वत की राशि कुछ कम करने का आग्रह किया था। शिकायत की तस्दीक करने के उपरांत लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक सागर रामेश्वर सिंह यादव के निर्देशन में घूसखोर थाना प्रभारी व आरक्षक को रंगे हाथ पकड़ने का फुल प्रूफ प्लान तैयार किया गया। योजना अनुसार नव वर्ष 2023 के पहले दिन रविवार 1 जनवरी को ट्रैप कार्रवाई के लिए निरीक्षक मंजू सिंह पटेल के नेतृत्व में टीम को देवेन्द्रनगर भेजा गया। शाम करीब 7 बजे विनोद यादव ने आरक्षक अमर सिंह बागरी से बात की और रिश्वत की राशि देने थाना से चंद क़दम की दूरी पर स्थित टीआई ज्योति सिंह सिकरवार के सरकारी आवास पहुंच गया। वहां थाना प्रभारी और आरक्षक से बात कर उन्हें रिश्वत में मांगी गई राशि के रूप में 50 हजार रुपए सौंप दिए। अगले ही पल लोकायुक्त पुलिस टीम ने मौके पर दबिश देकर दोनों को रंगे हाथ पकड़ कर रिश्वत में ली गई राशि को जप्त लिया।
दीवार फांदकर भाग निकला आरक्षक
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थाना प्रभारी के शासकीय आवास पर लोकायुक्त पुलिस की ट्रैप कार्रवाई से मचे हड़कंप के बीच आरक्षक अमर सिंह बागरी लोकायुक्त पुलिस टीम को चकमा देकर मौके से भाग निकला। जनचर्चा है कि, थाना प्रभारी के आवास की दीवार फांदकर आरक्षक गायब हुआ। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम से हैरान लोकायुक्त पुलिस टीम सतर्कता बरतते हुए थाना प्रभारी ज्योति सिंह को अपने साथ देवेन्द्रनगर थाना ले गई। जहां लोकायुक्त पुलिस टीम और थाना पुलिस स्टॉफ के बीच जमकर तीखी नोंक-झोंक हुई। उधर, टीआई के ट्रैप होने की खबर आने से पुलिस महकमे में खलबली मच गई। पन्ना से आनन-फानन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आरती सिंह और एडीओपी बीएस बरीबा देवेन्द्रनगर थाना पहुंच गए। इस बीच कार्रवाई के दौरान बाथरूम जाने का बहाना बनाते हुए थाना के दरवाजे और चैनल गेट बंद करवाकर थाना प्रभारी ज्योति सिंह सिकरवार अपने स्टॉफ के सहयोग से बड़ी ही चालाकी से गायब हो गईं। कथित तौर पर बरती गई लापरवाही के कारण महज एक घण्टे के ही अंतराल में लगे इस दूसरे बड़े झटके से लोकायुक्त पुलिस टीम को कड़ाके की सर्दी में पसीना मार गया। हैरान-परेशान लोकायुक्त पुलिस के द्वारा तत्परता से आसपास तलाश शुरू की गई लेकिन दोनों का कोई सुराग नहीं लगा। तलाश करने के चक्कर में लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई देर रात करीब 1 बजे पूरी हो सकी।
देवेन्द्रनगर पुलिस स्टॉफ ने नहीं किया सहयोग
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दरअसल, ट्रैप कार्रवाई चूंकि थाना प्रभारी के ही खिलाफ थी इसलिए लोकायुक्त टीम को स्थानीय पुलिस से कोई सहयोग नहीं मिला। उल्टा कार्रवाई के विरोध में लोकायुक्त पुलिस टीम पर दबाव बनाए जाने की भी अपुष्ट चर्चाएं हैं। मजेदार बात यह है कि, भ्रष्टाचारियों को कार्रवाई से बचाने की यह निर्लज्ज कोशिश ऐसे समय पर सामने आई है जब सूबे के मुख्यमंत्री आए दिन अपनी सभाओं में भ्रष्टाचारियों को किसी भी सूरत ना बख्शने की बात कह रहे हैं। लोकायुक्त पुलिस की इस ट्रैप कार्रवाई को प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित/प्रसारित किया है। जिसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदेश सरकार के दावों से इतर धरातल पर हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे है। पूरे प्रकरण में पन्ना के पुलिस के अधिकारियों की चुप्पी को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
जांच के नाम पर चल रहा रिश्वत का खेल
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भ्रष्टाचारियों और घूसखोरों का चारागाह बने मध्यप्रदेश के अति पिछड़े पन्ना जिले में महीने भर के अंदर पुलिस महकमे में लोकायुक्त पुलिस संगठन की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इसके पूर्व दिनांक 5 दिसंबर को सिमरिया थाना अंतर्गत आने वाली दूरस्थ पुलिस चौकी हरदुआ के प्रभारी एवं उप निरीक्षक हरिराम उपाध्याय को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने रंगे हाथ पकड़ा था। मारपीट के मामले में धाराएं बढ़ाने और आरोपीगणों को गिरफ्तार करने के एवज में पीड़ित भज्जू अहिरवार पिता ख़िलइयाँ अहिरवार 60 वर्ष निवासी हरदुआ से चौकी प्रभारी के द्वारा रिश्वत की मांग की गई थी। इसी तरह देवेन्द्रनगर के मामले में भी प्राणघातक हमले जैसे गंभीर प्रकरण की जांच में एक पक्ष को रियायत तथा दूसरे पक्ष के विरुद्ध दर्ज अपराध में धारा बढ़ाने के एवज में रिश्वत मांगी गई थी। इन दो प्रकरणों के आलोक में पन्ना पुलिस की कार्यशैली को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। देश भक्ति-जन सेवा दम भरने वाली पुलिस के आरक्षक से लेकर अधिकारी तक रिश्वत और अवैध वसूली की राशि से अपनी जेबें भरने में जुटे हैं। प्रकरणों की जांच के नाम पर खुलेआम निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने तथा अपराधियों को बचाने का खेल चल रहा है।
लोकायुक्त एसपी बोले गलत रिपोर्टिंग से दुखी हूं
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