* पन्ना जिले के अमानगंज क़स्बा में उपद्रव के बाद क्षेत्र में तनाव पूर्ण स्थिति निर्मित
* पुलिस की भूमिका पर संदेह और कार्यवाही को लेकर असंतोष बना हंगामे का कारण
* जिले में प्रतिबंधात्मक आदेश लागू होने के दौरान कानून-व्यवस्था की खुली पोल
पन्ना/अमानगंज (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में अमानगंज थाना अंतर्गत चाका ग्राम में जादू-टोना करने के संदेह पर कुछ अंधविश्वासी लोगों की क्रूरता का शिकार बनी महिला घसुटिया बाई चौधरी 50 वर्ष ने इलाज के दौरान जबलपुर में रविवार 26 जून की सुबह दम तोड़ दिया। महिला की मौत होने की खबर आते ही क्षेत्र में जबरदस्त तनाव फ़ैल गया। अमानगंज क़स्बा में बड़ी संख्या में जुटे महिला के रिश्तेदार एवं चौधरी समाज के लोगों ने इस जघन्य घटना पर पहले से दर्ज आपराधिक प्रकरण में पुलिस की कार्यवाही को लेकर गहरा असंतोष व्यक्त किया और कुछ हत्यारोपियों को बचाने का आरोप लगाते हुए स्थानीय पुलिस थाना परिसर में ही धरने पर बैठ गए। वारदात में कथित तौर पर शामिल रहे 3 अन्य हत्यारोपियों के नाम प्रकरण में जोड़ने तथा उन्हें गिरफ्तार करने की मांग को लेकर आक्रोशित ग्रामीणों ने बाद में थाना के ही सामने कटनी-कानपुर स्टेट हाईवे पर शव रखकर चक्काजाम कर दिया।
स्थिति बेहद तनावपूर्ण होते देख पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा घटना में अन्य लोगों की संलिप्तता की जांच कराकर आवश्यक कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया लेकिन गतिरोध बरकरार रहा। काफी समझाइश के बाद भी जब प्रदर्शनकारी नहीं माने तो देर शाम पुलिस के द्वारा चक्काजम समाप्त कराने के लिए थोड़ी सख़्ती की गई। जिससे प्रदर्शनकारी भड़क उठे और अमानगंज पुलिस थाना समेत पुलिस के वाहनों पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया। गुस्साए ग्रामीणों ने करीब आधा घण्टे तक जमकर बवाल काटा। पुलिस को हालात काबू करने के लिए हल्का बल प्रयोग करते हुए लाठी चार्ज करना पड़ा।
इस घटनाक्रम के बाद से अमानगंज क्षेत्र में तनावपूर्ण शांति निर्मित है। बवाल को देखते हुए अमानगंज क़स्बा में रविवार रात्रि में ही बड़ी तादाद में अतिरिक्त पुलिस बल को तैनात किया गया है। वहीं चाका ग्राम में भी पुलिस जवानों की तैनाती की गई है। आज सुबह पुलिस की मौजूदगी के बीच चाका ग्राम में बेहद ग़मगीन माहौल में घसुटिया बाई चौधरी का अंतिम संस्कार किया गया। उधर, रविवार शाम हुए उपद्रव के मामले में अमानगंज थाना पुलिस ने देर रात 17 उपद्रवियों के खिलाफ नामजद एवं 25 अन्य के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया है।
गिफ्ट को लेकर लेकर हुआ था विवाद
अमानगंज थाना के ग्राम चाका निवासी रामप्रसाद प्रजापति की बेटी और घसुटिया बाई चौधरी पत्नी हल्के चौधरी बेटी दोनों अच्छी सहेली हैं। रविवार 20 जून को रामप्रसाद की बेटी का विवाह था। घसुटिया बाई की बेटी अपनी सहेली के वैवाहिक कार्यक्रम में तो सम्मलित नहीं हुई लेकिन उसने अपने भाई देवीदीन चौधरी से विवाह के गिफ्ट के रूप में एक घड़ी भेजी। रामप्रसाद का आरोप है कि गिफ्ट के रूप में उसके घर पर जादू-टोना कर भूत-प्रेत भेजे गए जिससे उसकी बहू कविता चौधरी की तबियत ख़राब हो गई। अंधविश्वास के चलते कथित तौर पर मंगलवार 22 जून की रात करीब 8 बजे घसुटिया बाई को पकड़कर रामप्रसाद प्रजापति, आनंदी प्रजापति, मस्तराम प्रजापति, बृजेश, धम्मा व कविता जबरन अपने घर ले गए और फिर वहां लाठी-डण्डों से बेदम मारपीट की गई। उसके बेटे को भी पीटा गया।
घसुटिया बाई को बचाने जब उसके परिजन रामप्रसाद के घर पहुंचे तो वह चबूतरे पर अचेत अवस्था में पड़ी मिली। वहीं रामप्रसाद का आरोप है कि घसुटिया बाई और छिदियां चौधरी ने एक राय होकर उसकी बहू कविता के साथ मारपीट की है। इस घटना पर पुलिस ने 23 जून को घसुटिया बाई की ओर से रामप्रसाद प्रजापति, धर्मदास प्रजापति एवं मस्तराम के विरुद्ध अपराध क्रमांक 365/21 धारा 294, 323, 506, 34 आईपीसी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया। वहीं रामप्रसाद की रिपोर्ट पर भी इन्हीं धाराओं के तहत घसुटिया बाई और उसके रिश्तेदार छिदियां चौधरी के खिलाफ जवाबी मामला (काउंटर केस) दर्ज कर लिया।
पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप
इस मामले में जिले के अमानगंज थाना पुलिस की भूमिका शुरू से ही संदेह और सवालों के घेरे में है। घसुटिया बाई के बच्चे और रिश्तेदार खुलकर थाना पुलिस पर आरोपीगणों को बचाने का आरोप लगा रहे हैं। मालूम हो कि, कथित तौर पर बंधक बनाकर बेदम मारपीट किए जाने के कारण घसुटिया बाई को प्राणघातक चोटें आईं थीं। जिससे उसकी हालत बेहद नाजुक होने के बावजूद थाना पुलिस ने साधारण मारपीट का अपराध पंजीबद्ध किया था। थाना प्रभारी विजय कुमार अहिरवार ने अपनी सफाई में बताया कि प्रथम दृष्टया माँ-बेटे को आईं चोटों को देखते हुए मारपीट का मामला दर्ज किया गया था।
उन्होंने बताया कि दोनों घायलों को चोटों की जांच के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अमानगंज भेजा था। जिसकी एमएलसी रिपोर्ट थाना में 25 जून को प्राप्त हुई। इस रिपोर्ट में डॉक्टर ने घसुटिया बाई की नाजुक हालत का उल्लेख करते हुए उसे बेहतर इलाज हेतु उच्च स्वास्थ्य संस्था में रिफर करना बताया गया। साथ ही महिला के सिर में आई चोट की प्रकृति के संबंध में उल्लेख किया है। मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पुलिस के द्वारा पूर्व से दर्ज प्रकरण में आईपीसी की धारा 307 का इजाफा किया गया। शनिवार 26 जून को इलाज के दौरान जबलपुर में घसुटिया बाई की मौत होने पर पुलिस के द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट और केस डायरी प्राप्त होने पर दर्ज प्रकरण में आईपीसी की धारा 302 का इजाफा करने की बात कही जा रही है।
उल्लेखनीय है कि शनिवार को अमांगज क़स्बा में महिला के परिजन थाना में धरना-प्रदर्शन एवं चक्काजाम करने के दौरान पुलिस पर खुलकर आरोप लगाते रहे कि, घसुटिया बाई की हालत बेहद नाजुक होने के बाद भी जानबूझकर पहले मारपीट की साधारण धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। दर्ज प्रकरण में पुलिस के द्वारा सिर्फ रामदास प्रजापति, धर्मदास प्रजापति और मस्तराम प्रजापति को ही आरोपी बनाया। जबकि उनके बार-बार कहने के बाद भी बृजेश प्रजापति, आनंदी प्रजापति और कविता प्रजापति के नाम नहीं जोड़े गए। इतना ही नहीं रामदास प्रजापति की रिपोर्ट पर भी अमानगंज थाना पुलिस के द्वारा घासुटिया बाई और उसके रिश्तेदार छिदियां चौधरी के खिलाफ मारपीट का काउंटर केस दर्ज किया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार घसुटिया बाई और उसके पुत्र को आईं चोटों का मेडिकल परीक्षण अमानगंज स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक ड़ॉ. अमित मिश्रा ने किया था। उन्होंने पीड़िता की नाजुक हालत को देखते हुए प्राथमिक उपचार के बाद उसे तुरंत रेफरल कर दिया था फिर इन घायलों की एमएलसी रिपोर्ट को थाना भेजने में दो दिन का समय क्यों लगा। थाना प्रभारी अमानगंज व पुलिस के आला अधिकारियों के से बात करने पर मेडिकल रिपोर्ट में देरी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं सकी। रडार न्यूज़ ने ड़ॉ. अमित मिश्रा से जब इस संबंध में बात करने के लिए संपर्क किया तो उनका मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुआ।
पुलिस और प्रशासन के प्रति अविश्वास बना बवाल का कारण ?
अमानगंज क़स्बा में 26 जून को हुए बवाल को समाज के कमजोर वर्गों में पन्ना पुलिस और जिला प्रशासन के प्रति कमजोर पड़ चुके भरोसे की परिणीति के तौर पर देखा जा रहा है। इससे बड़ी विडंबना भला और क्या होगी, हमारा संविधान और कानून जिन वर्गों के प्रति सहानुभूति रखने, उनसे जुड़े मामलों को लेकर संवेदनशील रहने की बात करता है, पन्ना जिले में प्रशासन के प्रति उन्हीं वर्गों के द्वारा अविश्वास जाहिर करना निःसंदेह चिंताजनक है। चाका की घटना के दोनों पक्ष दलित हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि अमानगंज में दोपहर 2 बजे के आसपास मृतका घसुटिया बाई चौधरी के परिजनों एवं रिश्तेदारों ने थाना परिसर में धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया था। शाम को जबलपुर से शव आने पर प्रदर्शनकारियों के द्वारा थाना के ही सामने तिराहा पर चक्काजाम किया गया।
इस दौरान प्रदर्शनकारी एक ही मांग पर अड़े रहे जिन 3 कथित हत्यारोपियों के नाम प्रकरण में दर्ज नहीं किए गए थे उनके नाम जोड़कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए। मौके पर मौजूद एसडीएम सुरेश गुप्ता, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बीकेएस परिहार, पवई एसडीओपी रक्षपाल सिंह यादव, तहसीलदार अवंतिका तिवारी एवं अमानगंज समेत अन्य थानों के थाना प्रभारी प्रदर्शनकारियों को लगातार समझाइश और कार्रवाई का आश्वासन देते रहे लेकिन कई घंटे बाद भी गतिरोध समाप्त नहीं हो सका।
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने पीड़ित पक्ष से आवेदन पत्र लेकर उन्हें भरोसा दिलाने का प्रयास किया कि, प्रकरण में जिन 3 व्यक्तियों के नाम छूटने की बात कही जा रही है उनकी संलिप्तता की जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। पूर्व में जिन 3 आरोपियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज हुआ था उन्हें गिरफ्तार किए जाने की जानकारी भी दी गई लेकिन बात नहीं बन सकी। कारण, स्पष्ट है इस प्रकरण में पुलिस की भूमिका को लेकर पीड़ित पक्ष में गहरा संदेह और की गई कार्रवाई को लेकर पहले से ही असंतोष व्याप्त था। इसलिए आश्वासन काम नहीं आया।
लगभग 5 घण्टे तक चले इस प्रदर्शन को समाप्त कराने देर शाम पुलिस ने शव को सम्मानपूर्वक अपने कब्जे में लेकर ग्राम चाका के लिए रवाना कर दिया। जिससे आक्रोशित लोग भड़क उड़े और उनके द्वारा पुलिस थाना, पुलिस वाहनों एवं पुलिस कर्मियों के ऊपर जमकर पथराव किया गया। जबरदस्त तनाव और उपद्रव के बीच पुलिस को हालात को काबू करने के लिए हल्का बल प्रयोग करते हुए लाठी चार्ज करना पड़ा। तब कहीं जाकर बमुश्किल स्थिति सामान्य हो सकी। उपद्रवियों के द्वारा किया गया बवाल, पथराव, तोड़फोड़ घोर निंदनीय और अस्वीकार्य है।
मगर, कल जो कुछ भी हुआ उसके पीछे तात्कालिक कारणों के साथ-साथ एक पृष्ठभूमि भी है। बताते चलें कि पिछले कुछ महीनों में पन्ना जिले में दलित समाज से जुड़े लोगों के साथ पुलिस के द्वारा दुर्व्यवहार करने, शिकायतों पर पक्षपात पूर्ण कार्रवाई करते हुए प्रकरण दर्ज किए जाने और उत्पीड़न से जुड़े कुछ मामलों में सुनवाई न होने के गंभीर आरोप लगते रहें हैं। पुलिसवालों के द्वारा दलित महिलाओं को अपमानित करने के ऑडियो भी वायरल हुए लेकिन इन मामलों में संबंधितों के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने के कारण भी दलितों में पुलिस एवं प्रशासन को लेकर अविश्वास बढ़ा है।
चिंताजनक पहलू यह भी है कि जिले में धारा-144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश लागू होने के दौरान अमानगंज के घटनाक्रम ने कानून-व्यवस्था की बेहद लचर स्थिति की पोल खोलकर रख दी है। करीब 5 घण्टे तक चले प्रदर्शन का पटाक्षेप जबरदस्त बवाल और लाठी चार्ज से होना यह बताता है कि मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी स्थिति को संभालने में बुरी तरह नाकाम साबित हुए हैं।
इनका कहना है –
” अमानगंज क्षेत्र में स्थित पूरी तरह सामान्य है और शान्ति व्यवस्था कायम है। सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन करने वाले लोगों को काफी समझाइश दी गई और उनकी मांग पर उचित कार्यवाही करने का आश्वासन भी दिया गया था लेकिन इसके बाद भी उनके द्वारा उपद्रव किया गया। जबकि पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण में पहले ही धारा 307 बढ़ाने के साथ-साथ तीनों आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया था। जबलपुर से केस डायरी प्राप्त होने पर धारा 302 बढ़ाई जाएगी। अमानगंज में उपद्रव करने वालों के विरुद्ध भी प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।”
– धर्मराज मीना, पुलिस अधीक्षक, जिला पन्ना।
“अमानगंज क्षेत्र में स्थिति पूर्णतः सामान्य है, पुलिस ने लाठीचार्ज नहीं किया है। प्रदर्शनकारियों को पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा काफी समझाइश दी गई लेकिन वे लोग बात समझने को तैयार ही नहीं थे।”
– संजय कुमार मिश्र, कलेक्टर, जिला पन्ना।
— Radar News (@RadarNews4) June 27, 2021