* बाघों की निगरानी और सुरक्षा को लेकर घोर लापरवाही हुई उजागर
* सोता रहा वन विभाग, पखवाड़े भर बाद शिकार की घटना का चला पता
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के सतना जिले में सिंहपुर रेन्ज की अमदरी बीट अंतर्गत एक युवा नर बाघ का करंट लगाकर शिकार करने की घटना प्रकाश में आई है। बाघ की मौत होने के बाद उसकी खाल को उतारकर शव को तालाब में फेंक दिया गया। शिकार की इस सनसनीखेज घटना का खुलासा मृत बाघ का रेडियो कॉलर और कंकाल मिलने से हुआ है। बड़ी ही बेरहमी से शिकार किये गए बाघ की पहचान पन्ना के “हीरा” के रूप में की गई है। पन्ना के जंगलों में पले-बढ़े दो बाघ शावक भाई हीरा-पन्ना की पर्यटकों के बीच मशहूर जोड़ी अब टूट गई है। पन्ना के अकोला बफर के जंगलों से निकलकर नए ठिकाने की तलाश में सतना के वन क्षेत्र में विचरण करने वाला बाघ हीरा (पी-243-31) पन्ना से हमेशा के बिछड़ चुका है। जिस जगह बाघ हीरा का शिकार हुआ है, वह सतना वन मंडल की बरौंधा रेन्ज से 7 किलोमीटर की दूरी पर है। सोमवार 1 नवम्बर को वन विभाग की टीम ने घटनास्थल से हीरा का कंकाल बरामद किया। सूचना मिलते ही वन विभाग के आला अधिकारी मौके पर पहुँच गए और घटनास्थल की गहन पड़ताल की। वन मण्डलाधिकारी विपिन कुमार पटेल ने इस मामले में 3 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर पूंछतांछ करने की पुष्टि की है।
दशहरा के समय हुआ था शिकार
प्रारंभिक जांच-पड़ताल में पता चला है कि, शिकारियों के द्वारा पन्ना के बाघ हीरा (पी-243-31) का शिकार दशहरा पर्व के आसपास कथित तौर पर करंट लगाकर किया गया था। इस बाघ को रेडियो कॉलर आईडी पहनाई गई थी। जिससे बाघ के मूवमेंट की निगरानी सैटेलाइट से भी की जा सकती थी। गौरतलब है कि, रेडियो कॉलर वाले बाघ का पखवाड़े भर पूर्व शिकार होने की घटना की वन विभाग को न तो भनक लगी और ना ही उसने बाघ की खोज खबर लेना उचित समझा। कई दिन बाद मृत बाघ का रेडियो कॉलर और कंकाल मिलने के बाद शिकार की हैरान करने वाली घटना का खुलासा हो सका। इस घटनाक्रम ने बाघों की निगरानी और सुरक्षा व्यस्था को लेकर वन विभाग की घोर लापरवाही को उजागर कर दिया है।
सतना जिले के वन क्षेत्र में बाघ हीरा के विचरण करने पर उसकी प्रत्यक्ष निगरानी और सुरक्षा की जितनी जवाबदेही स्थानीय वनकर्मचारियों-अधिकारियों की थी उतनी ही जिम्मेदारी पन्ना टाइगर रिजर्व के अफसरों की बनती है। क्योंकि। बाघ के रेडियो कॉलर के सिग्नल सैटेलाइट के माध्यम से पन्ना के अधिकारियों को प्राप्त होते हैं। ऐसे में यह सवाल उठना जाहिर है, यदि रेडियो कॉलर वाले और बाघ जैसे संकटग्रस्त वन्य जीव की वन विभाग निगरानी नहीं कर सकता तो बगैर रेडियो कॉलर वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर विभागीय अमला कितना संजीदा होगा ! इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। बता दें कि, सतना जिले के वन क्षेत्र में पन्ना के बाघ के शिकार की यह पहली घटना नहीं है। पूर्व में भी इसी इलाके में युवा बाघ का शिकार किया गया था। बावजूद इसके इलाके में हीरा की मौजूदगी की जानकारी होने के बाद भी उसकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए।
करीब 3 माह पूर्व पन्ना से कर गया था पलायन
