
* पुण्यतिथि पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पाठक जी को अर्पित की श्रद्धांजलि
* स्व. पंडित देवीदयाल पाठक जी की स्मृति में काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन
मुस्तक़ीम खान, पन्ना/अजयगढ़।(www.radarnews.in) मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल के सीमावर्ती इलाके में देश की आज़ादी की अलख जगाने वाले विख्यात साहित्यकार, पत्रकार, शिक्षक व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय पंडित देवीदयाल पाठक जी की पुण्यतिथि पर गणमान्य नागरिकों और साहित्यकारों ने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। पन्ना जिले अजयगढ़ क़स्बा में गुरुवार 11 मई को स्व. श्री पाठक के निज निवास पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ। जहां उपस्थित लोगों ने पाठक जी के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर विद्वानजनों ने कहा कि स्व. देवीदयाल पाठक जी के समग्र चिंतन में मनुष्यता, स्वतंत्रता, राष्ट्र प्रेम, सिद्धांतों के प्रति दृंढता, समरसता और शालीनता का आव्हान है। उनकी शिक्षायें शांति, भाईचारे और लोक कल्याण की संकल्पना की सिद्धि का मार्ग प्रशस्त करती हैं। श्रद्धांजलि सभा के अंत में सभी ने दो मिनिट का मौन धारण कर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पंडित देवीदयाल पाठक की पुण्यतिथि पर उनकी स्मृति में काव्य गोष्ठी का आयोजन भी हुआ। जिसका संचालन वीर रस के विख्यात कवि रामबाबू अग्निहोत्री विश्वास द्वारा किया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार बद्री प्रसाद त्यागी ने की। इस अवसर पर वरिष्ठ कवि मानस मर्मज्ञ राम अवतार तिवारी ने स्वर्गीय पाठक जी के विराट व्यक्तित्व और उनकी बहुमुखी प्रतिभा के बारे में बताते हुए कहा कि वह सभी को सदैव आदर सम्मान देते थे। लेकिन जरुरत पड़ने पर घमंडी अधिकारियों और नेताओं को खरी-खोटी भी सुनाते थे। उन्होंने जीवन पर्यन्त अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। यहां तक कि तत्कालीन राजनेताओं से मतभेद होने के कारण सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
जीवन पर्यन्त राष्ट्र सेवा में रहे सक्रिय

इस अवसर पर रिटायर्ड पटवारी रामेश्वर खरे ने काव्य पाठ करते हुए स्वर्गीय पाठक को भारत माता का महान सपूत बताया। उन्होंने कहा कि देश को अंग्रेजी हुकूमत से देश को आज़ादी मिलने के बाद भी पाठक जी की सक्रियता में जरा भी कमी नहीं आई। अजयगढ़ क़स्बा से साप्ताहिक अख़बार दिव्य प्रहरी प्रकाशित कर वह बतौर संपादक जनसेवा और राष्ट्र सेवा में लंबे समय तक अपना योगदान देते रहे। भारतीय सेना में धर्मगुरु के पद पर कार्य करने वाले हरिओम द्विवेदी ने वेदों और सनातन धर्म के बारे में बताया। साथ ही कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय पाठक जी हमारे क्षेत्र के सर्वमान्य व्यक्ति थे, यह हम सब के लिए गर्व की बात है।
इनकी रही उपस्थिति
