“सिर विहीन बाघ के मामले में बड़ी चूक हुई, सही समय आने पर दोषियों के खिलाफ करेंगे उचित कार्रवाई” : पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ

0
975
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आलोक कुमार से बाघ-तेंदुओं की मौत पर चर्चा करती हुईं पन्ना राजपरिवार की महारानी जीतेश्वरी देवी।

बाघ का सिर गायब होने के डेढ़ माह बाद घटनास्थल पर पहुंचे पीसीसीएफ अलोक कुमार

पन्ना टाइगर रिजर्व के भविष्य को उज्जवल बताते हुए बोले- अब पुनः बाघ विहीन नहीं होगा

लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई में देरी के सवाल पर मामला सरकार के संज्ञान होने की बात कहकर पल्ला झाड़ा

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी आलोक कुमार पन्ना के दौरे पर है। पन्ना टाइगर रिजर्व में सिर विहीन बाघ का शव मिलने और उसके अन्य अंग गायब होने की जांच के सिलसिले में उनका आना हुआ है। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा-निगरानी व्यवस्था एवं पार्क प्रबंधन की कार्यप्रणांली को कठघरे में खड़ा करने वाली इस घटना की सघन जांच-पड़ताल करने प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी आलोक कुमार ने बुधवार 23 सितम्बर को हिनौता रेंज के उन स्थानों का निरीक्षण किया जहां डेढ़ माह पूर्व आपसी संघर्ष के बाद बाघ पी-123 केन नदी में गिरा था और सर्चिंग के दौरान तीसरे दिन नदी में जहां पर उसका धड़ बरामद हुआ था।
पार्क के अमले के हाई अलर्ट पर होने के बाबजूद मृत बाघ का सिर समेत अन्य अंगों को शिकारी-तस्कर गिरोह धारदार हथियार से काटकर के ले गए थे। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया पर इस गंभीर अपराध को छिपाने के उद्देश्य से तथ्यों तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करते हुए गुमराह करने का आरोप हैं। यह अप्रत्याशित घटना कैसे और क्यों हुई इसका पता लगाने के लिए पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ के द्वारा उन तमाम मैदानी कर्मचारियों से पूंछतांछ की गई जोकि बाघ के आपसी संघर्ष के प्रत्यक्षदर्शी हैं और उसके सर्चिंग अभियान में शामिल रहे हैं।
केन नदी में सर्चिंग के दौरान बाघ पी-123 का शव इस स्थिति में बरामद हुआ था, उसका सिर गायब था। (फाइल फोटो)
सर्वविदित है कि बाघ पी-123 के सिर के अलावा भी अन्य अंगों के गायब होने का खुलासा होने पर वन्यजीवों के अंगों की तस्करी से जुड़े इस मामले की जांच स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स भोपाल को सौंपी गई है। वन अपराधों की रोकथाम करने वाली इस एजेन्सी ने हाल ही में पन्ना व पड़ोसी छतरपुर जिले में सक्रिय वन्यजीवों के शिकार और अंगों की तस्करी करने वाले संगठित गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए तेंदुआ और चीतल की दो-दो खाल जप्त की। बाघ के अंगों के गायब होने की जांच के दौरान हुए इस खुलासे ने हर किसी को हैरान कर दिया है। स्थानीय अधिकारी इस गिरोह की गतिविधियों से न सिर्फ पूरी तरह बेखबर रहे बल्कि अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए बाघों-तेन्दुओं और दूसरे वन्यजीवों की मौत पर पर्दा डालते रहे हैं।
पन्ना जिले के उत्तर-दक्षिण वन मण्डल एवं पन्ना टाइगर रिजर्व के अंतर्गत पिछले तीन साल में करीब दो दर्जन तेन्दुओं की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत और शिकार की घटनाएं घटित हुई हैं। इसके आलावा पन्ना टाइगर रिजर्व अंतर्गत महज 9 माह के अंदर 5 बाघों की संदेहास्पद मौत के मामले सामने आए हैं, इनमें बाघ पी-123 भी शामिल है। इन तमाम खुलासों के बीच पन्ना में वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा-निगरानी की बद से बद्तर स्थिति सामने आने के मद्देनजर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी आलोक कुमार से यह पूंछा गया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के भविष्य को आप कितना सुरक्षित मानते हैं ?
इस सवाल के जबाव में श्री कुमार ने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहा कि पन्ना का भविष्य प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व की तुलना में कहीं अधिक उज्जवल और सुरक्षित है। उनके अनुसार यहां बाघों की रिकार्ड संख्या और मेल-फीमेल का स्वस्थ अनुपात पन्ना का भविष्य उज्जवल होने का संकेत देता है। आपने दावे के साथ कहा कि अब पन्ना अब पुनः कभी बाघ विहीन नहीं होगा। जहां तक बाघों की सुरक्षा और मॉनिटरिंग का सवाल है, उसे हम लोग देख रहे हैं, मैनें सभी को स्पष्ट बता दिया है, किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पन्ना टाइगर रिजर्व का हिनौता स्थित प्रवेश द्वार। (फाइल फोटो)
उल्लेखनीय है कि बाघों की मौत की वास्तविकता को छिपाने की प्रवृत्ति के चलते करीब एक दशक पूर्व वर्ष 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था। पन्ना के बाघ विहीन होने की सच्चाई का उच्च स्तरीय जांच में खुलासा होने के पूर्व यहां बाघों को लेकर इसी तरह के बड़े-बड़े दावे किये जाते थे। एक सवाल पर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने सिर विहीन बाघ का शव मिलने को बड़ी चूक मानते हुए कहा कि इस प्रकरण में तथ्यों को छिपाने की बात प्रदेश सरकार के संज्ञान में है। इस मामले में सही समय पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
बताते चलें कि बाघ के अंगों की तस्करी से जुड़े इस संवेदनशील मामले के साक्ष्यों को छिपाने के आरोपों से घिरे पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया के रिटायर्मेंट की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, प्रारंभिक जांच में आरोप सही साबित होने के बाद भी क्षेत्र संचालक के आपराधिक कृत्य के लिए उनके विरुद्ध कार्रवाई करने शीर्ष अधिकारियों को उचित समय का इंतजार है ! क्या यह उचित समय उनके रिटायर्मेंट के बाद आएगा ? इस सवाल का पीसीसीएफ ने कोई जबाव नहीं दिया।
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आलोक कुमार का कहना है कि इस तरह की गलतियां सभी टाइगर रिजर्व में होती हैं, जो पैदा हुआ है उसका मरना तय है। बाघों की मौत कई बार स्वाभाविक होती कई बार दूसरे कारणों से मौत के मामले समने आते हैं, जिसे देखना और उनकी पुनरावृत्ति होने से रोकना हमारा काम है। इसके लिए सभी आवश्यक उपाए किये जा रहे हैं। उन्होंने वर्तमान में जारी एसटीएसएफ की जांच पर भरोसा और संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे पूरा विश्वास है, एसटीएसएफ टीम के द्वारा जल्दी ही बाघ के अंगों के गायब होने के मामले का खुलासा किया जाएगा। आपने बताया कि इस टीम में योग्य और अनुभवी अधिकारी शामिल हैं। प्रदेश की एसटीएफएस टीम की ख्याति पूरे देश में है। इसने देश भर से बड़ी संख्या में शिकारियों-तस्करों को पकड़कर अपनी काबलियत को साबित किया है। इतना ही नहीं दूसरे देशों में छिपे अपराधियों को भी यह टीम सफलता पूर्वक पकड़कर लाई है।

पारदर्शिता और जबावदेही सुनिश्चित की जाए- महारानी

पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता गेट किनारे स्थित जंगल कॉटेज में प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी आलोक कुमार से पन्ना राजपरिवार की सदस्य महारानी जीतेश्वरी देवी ने भेंट की। इस दौरान उन्होंने पन्ना जिले के सामान्य एवं संरक्षित वन क्षेत्रों में बाघ-तेंदुओं और दूसरे वन्यजीवों की संदिग्ध मौत तथा शिकार की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि पारदर्शिता और जबावदेही के आभाव के कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति निर्मित हुई है। मृत बाघ-तेंदुओं का ईमानदारी से विस्तृत विवरण, फोटो और वीडियो जारी न करने तथा स्थानीय पत्रकारों को घटनास्थल पर न ले जाने अथवा मौके पर न बुलाने के कारण समय पर घटना की वास्तविकता सामने नहीं आ पाती है। सिर विहीन बाघ के मामले में भी यही हुआ है। अपनी कमियों को छिपाने के लिए मगरमच्छों के द्वारा बाघ के सिर को खाने की कहानी क्षेत्र संचालक के द्वारा गढ़ी गई। इस घटना को कई स्तर पर करीब महीने भर तक छिपाया गया है।
महारानी जीतेश्वरी देवी के द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देते हुए पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आलोक कुमार।
महारानी जीतेश्वरी ने इस प्रकरण में दोषी अधिकारियों के विरुद्ध अब तक कार्रवाई न होने पर हैरानी और नाराजगी जाहिर की करते हुए कहा कि पन्ना में जो कुछ रहा है उसके लिए भोपाल में बैठे शीर्ष अधिकारी भी जिम्मेवार हैं। आप लोगों के द्वारा पन्ना में लंबे समय से जारी तेंदुओं और बाघों की मौत एवं शिकार की घटनाओं को घोर अनदेखी की गई, इन्हें गंभीरता से लेकर कार्रवाई न करने का ही यह दुष्परिणाम है कि पन्ना में अराजकता पूर्ण स्थिति निर्मित हो चुकी है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी आलोक कुमार ने उन्हें आश्वस्त किया कि अतीत की गलतियों से सीखकर उनमें सुधार किया जाएगा। बाघ के प्रकरण में जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ हर-हाल में कार्रवाई की जाएगी।