लोकायुक्त पुलिस टीम की बड़ी कार्रवाई, 18 हज़ार रुपये की रिश्वत लेते पटवारी व कम्प्यूटर ऑपरेटर को रंगे हाथ पकड़ा

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रिश्वतखोर पटवारी और कम्प्यूटर ऑपरेटर (लाल घेरे में) को रंगे हाथ पकड़ने वाली लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम।

*     3 गरीबों के BPL कार्ड बनवाने के एवज में मांगी थी रिश्वत

*     आवेदक का आरोप रैपुरा तहसील कार्यालय में चल रहा भ्रष्टाचार का बाज़ार

*     पन्ना जिले के सरकारी कार्यालयों में बगैर रिश्वत दिए आमजन के नहीं होते काम

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश का अति पिछड़ा पन्ना जिला सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों एवं सत्तासीनों का चारगाह बना हुआ है। यहां प्रशासनिक व्यवस्था में बेइंतहा भ्रष्टाचार और रिश्वतख़ोरी व्याप्त है। स्थिति यह है कि, शासकीय कार्यालयों में बगैर रिश्वत दिए आमआदमी का कोई काम नहीं होता है। जिले के सरकारी कार्यालयों में तैनात अधिकारी-कर्मचारी लोगों से न सिर्फ अधिकार पूर्वक खुलेआम रिश्वत की मांग कर रहे हैं बल्कि बेख़ौफ़ होकर रिश्वत ले रहे है। घूसखोरी से परेशान होकर लोग अब भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी को सबक सिखाने के लिए लोकायुक्त पुलिस की मदद ले रहे है। ऐसा ही एक प्रकरण आज पन्ना जिले के रैपुरा क़स्बा में सामने आया है, जहां लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने 18 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पटवारी व तहसील कार्यालय रैपुरा में पदस्थ कम्प्यूटर ऑपरेटर को रंगे हाथ पकड़ा है। तीन गरीब व्यक्तियों के गरीबी रेखा कार्ड (बीपीएल कार्ड) बनवाने के एवज में उनके अधिवक्ता से रिश्वत की मांग की गई थी। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया है। सुबह सरकारी ऑफिसों के खुलते ही रैपुरा से लोकायुक्त पुलिस की ट्रैप कार्रवाई की खबर आने के बाद से जिले के प्रशासनिक हलकों में दिनभर जबरदस्त हड़कंप मच रहा।

अधिवक्ता की शिकायत पर हुई कार्रवाई

रिश्वत की मांग संबंधी शिकायत लोकायुक्त पुलिस से करने वाले आवेदक उमेश कुमार प्रजापति एडवोकेट।
लोकायुक्त पुलिस टीम के प्रमुख बीएम द्विवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि गनेश लोधी, चेतराम लोधी, रायचंद लोधी ने अपना गरीबी रेखा कार्ड (बीपीएल कार्ड) बनवाने के लिए उमेश कुमार प्रजापति एडवोकेट के माध्यम से आवेदन पत्र तहसील कार्यालय रैपुरा में प्रस्तुत किया था। इस संबंध उमेश कुमार ने जब रैपुरा सदर पटवारी रामअवतार वर्मा से सम्पर्क किया तो उनके द्वारा प्रत्येक आवेदक के 8,000/- (आठ हजार) रुपए के हिसाब से कुल 24,000/- (चौबीस हजार) रुपए रिश्वत की मांग की गई। बाद में चर्चा उपरांत 7,000/- (सात हजार) रुपए के हिसाब से तीनों बीपीएल कार्ड के कुल 21,000/- (इक्कीस हजार) रुपए की जगह 2,0000 (बीस हजार) रुपए की राशि देना तय हुआ। उमेश कुमार ने कुछ दिन पूर्व रिश्वत की पहली किश्त के रूप में पटवारी को 2000/- (दो हजार) रुपए दिए। और फिर रिश्वत की अनुचित मांग से परेशान होकर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक सागर के कार्यालय में लिखित शिकायत की गई।

पटवारी के कहने पर रिश्वत की रकम कम्प्यूटर को दी

18 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए रैपुरा तहसील के पटवारी और कम्प्यूटर ऑपरेटर।
शिकायत की तस्दीक करने के पश्चात लोकायुक्त पुलिस टीम द्वारा आवेदक के साथ मिलकर घूसखोर पटवारी को पकड़ने का फुलप्रूफ प्लान तैयार किया गया। प्लान के मुताबिक आज सुबह करीब साढ़े दस बजे एडवोकेट उमेश कुमार प्रजापति रिश्वत की शेष राशि लेकर पटवारी के आवास पहुंचे, जहां उन्होंने पूर्व चर्चा अनुसार रिश्वत की राशि पटवारी रामअवतार वर्मा को देने के लिए उनकी ओर हाथ बढ़ाया तो पटवारी द्वारा उक्त राशि वहां मौजूद भागीरथ सेन कंप्यूटर ऑपरेटर को देने के लिए कहा गया। भागीरथ सेन ने उमेश से जैसे ही अपने हाथ में रुपए लिए तभी वहां लोकायुक्त पुलिस टीम ने दबिश देकर उसे और पटवारी को रंगे गिरफ्तार कर लिया।

हर काम का फिक्स है दाम

फाइल फोटो।
रैपुरा में सुबह-सुबह लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गई ट्रैप कार्रवाई की खबर कुछ ही देर में जंगल की आग की तरह पूरे क़स्बा में फ़ैल गई। देखते ही देखते पटवारी आवास के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई। आवेदक उमेश कुमार ने स्थानीय पत्रकारों से चर्चा में बताया कि, रैपुरा तहसील कार्यालय में भ्रष्टाचार का बाजार सजा हुआ है। अपात्रों से रिश्वत लेकर उनके बीपीएल कार्ड बनाने का धंधा तहसील में लंबे समय से जोरों पर चल रहा है। इस कारण रिश्वत देने में असमर्थ वास्तविक गरीब व्यक्तियों के नाम बीपीएल सूची में नहीं जुड़ पा रहे हैं। उमेश का आरोप है कि रैपुरा तहसील में बगैर रिश्वत दिए आमआदमी का कोई काम नहीं होता है, यहां हर काम का दाम फ़िक्स है।