* पन्ना जिले के कटन से फतेहपुर-सिमरी मार्ग का मामला
* सड़क के घटिया निर्माण कार्य को लेकर क्षेत्रवासियों में रोष व्याप्त
* गुणवत्तापूर्ण तरीके से तकनीकी मापदण्डों के अनुसार कार्य न कराने का आरोप
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में लोक निर्माण विभाग द्वारा 10 करोड़ की लागत से निर्मित एक सड़क महज 2 माह में ही जर्जर हो चुकी है। पाँच साल की गारण्टी वाली कटन-गिरवारा से फतेहपुर-सिमरी सड़क पहली बारिश में ही गड्ढों से पट चुकी है। पन्ना जिले में अभी तक सामान्य कम बारिश दर्ज की गई है बाबजूद इसके नवनिर्मित सड़क जिस तरह जगह-जगह धंस गई और उखड़ी पड़ी है उससे निर्माण कार्य को लेकर कई गम्भीर सवाल उठ रहे है। उधर, सड़क के बनते ही उखड़ने से क्षेत्र के लोगों में गहरा रोष व्याप्त है। इनका मानना है कि सड़क की बदहाली ने निर्माण के दौरान बड़े पैमाने पर की गई अनियमितताओं की पोल खोलकर रख दी है। पांच साल की गारण्टी वाली नवनिर्मित सड़क के पहली बारिश में ही परखच्चे उड़ने से निर्माण कार्यों के जानकार भी हैरान है। इनके अनुसार आमतौर पर ऐसी स्थिति तब बनती है जब सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जाता है। गुणवत्ता से समझौता कर निर्धारित तकनीकी मापदण्डों के अनुसार काम न कराने की वजह से ही शायद कटन से फतेहपुर-सिमरी मार्ग इतना अधिक जर्जर हुआ है।
5 साल तक क्या गड्ढे ही भरते रहेंगे



पन्ना जिले में अल्प वर्षा होने के बाबजूद पाँच साल की परफॉर्मेंस गारण्टी वाली नवनिर्मित सड़क काफी खस्ताहाल हो चुकी है। जिससे क्षेत्र के लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। सड़क बदहाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कथित गुणवत्तापूर्ण सड़क न सिर्फ जगह-जगह धंस गई है बल्कि डामर-गिट्टी की परत उखड़ने से यह गड्ढों से पट चुकी है। परिणामस्वरूप इस मार्ग से होकर आवागमन करना पहले की ही
तरह कष्टप्रद हो गया है। उखड़ी पड़ी सड़क को लेकर क्षेत्र के लोगों में गहरा रोष व्याप्त है। लोग सवाल पूँछ रहे है कि, दो माह में ही जब सड़क की इतनी दुर्गति हो चुकी है तो पांच साल के गारण्टी पीरियड में क्या पूरे समय पेंच रिपेयरिंग ही चलती रहेगी ! फिलहाल इसका जबाब लोक निर्माण विभाग के सम्बंधित तकनीकी अधिकरियों व ठेकेदार के पास नहीं है।
सड़क निर्माण से जुड़े जानकारों की मानें तो कटन से गिरवारा, फतेहपुर-सिमरी मार्ग जिस तरह उखड़ा है उसके मुख्य रूप से दो बड़े कारण है। पहला सड़क निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण तरीके से निर्धारित तकनीकी मापदण्डों के अनुसार न होना है। सड़क निर्माण में गुणवत्तापूर्ण सामग्री का उपयोग नहीं किया गया। दूसरा कारण सड़क का सही तरीके से प्रत्येक चरण में कॉम्पेक्शन न करना है। शायद इसी वजह से पहली अल्प बारिश में ही सड़क की पाँच साल की गारण्टी धुलने से इसके धुर्रे उड़ गए है। चर्चा यह भी कि सड़क निर्माण में जिस डामर का प्रावधान था उसकी जगह पर सस्ते डामर का उपयोग किया गया। गौरतलब है कि बारिश के चालू सीजन में इस मार्ग के दो बार गड्ढे भरवाए गए लेकिन इसके बाद भी निर्माण कार्य में हुआ भ्रष्टाचार छिपाए नहीं छिप रहा है। सड़क की बदहाली स्वतः ही इसे बयां कर रही है। इस सड़क के प्रभारी उपयंत्री ने दो बार गड्ढे भरवाने की जानकारी देते हुए यह स्वीकार किया है कि पहली बारिश में ही सड़क काफी क्षतिग्रस्त हुई है।
मजेदार बात यह है कि निर्माण कार्यों की समीक्षा बैठकों में कलेक्टर, कमिश्नर और वरिष्ठ विभागीय अधिकारी गुणवत्तापूर्ण कार्य करवाने के निर्देश देते रहते हैं लेकिन फील्ड पर इनका पालन नहीं होता है। कटन-गिरवारा-सिमरी मार्ग की तस्वीरें हमारे सिस्टम की इस कथनी और करनी के अंतर को दर्शाती है। निर्माण कार्यों में निविदा की स्वीकृति से शुरू होने वाले कमीशन के चरणबद्ध खेल का यह स्याह सच है। इस तरह के मामलों में कई बार जाँच भी निर्माण कार्य की तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। शायद यही वजह है कि गुणवत्तापूर्ण एवं तकनीकी मापदण्डों के अनुसार कार्य करवाने के भाषणों के बीच निर्माण कार्यों में अनियमितताएं बदस्तूर जारी हैं और गड़बड़ी करने वालों के हौसले बुलंद है। दरअसल, रिचार्ज बाउचर सिस्टम के तहत कुर्सी पाने वालों की तरफ से ऐसे लोगों को अघोषित तौर पर से यह आश्वासन प्राप्त है कि उन पर कार्रवाई की आँच नहीं आएगी।
कटन चौराहा से गिरवारा, फतेहपुर-सिमरी तक नवनिर्मित मार्ग की दुर्दशा को लोक निर्माण विभाग के सबसे बड़े तकनीकी अधिकारी आर. के. मेहरा इंजीनियर इन चीफ के संज्ञान में लाया गया है। 10 करोड़ की लागत से बनी 5 साल की गारण्टी सड़क की बदहाली को ईएनसी श्री मेहरा ने गंभीरता से लेते हुए चीफ इंजीनियर सागर जोन आर. एल. वर्मा को जाँच के निर्देश दिए है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि घटिया सड़क की जाँच कब तक पूरी होती है। सड़क के निर्माण में गड़बड़ी करने अथवा सही तरीके से इसकी निगरानी न करने वालों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई होती है या फिर जाँच के नाम पर मामले को ठण्डे बस्ते में डालकर बाद में इसे रफा-दफा कर दिया जाएगा।

