पन्ना परिवर्तन मंच ने शुरू किया किलकिला पुर्नजीवित अभियान
जन सहयोग से नदी संरक्षण के लिये जुटे आम और खास
पन्ना। रडार न्यूज प्राचीन धरमसागर तालाब के जीर्णोद्धार को जन आंदोलन का रूप देते हुए जल संरक्षण और संर्वधन की मिसाल कायम करने वाले पन्ना के लोगों ने इस बार प्रणामी समाज की गंगा कहलाने वाली किलकिला नदी को पुर्नजीवित करने का बीड़ उठाया है। शहर की गंदे नालों के गिरने से अत्याधिक प्रदूषित हो चुकी किलकिला नदी को स्वच्छ और अविरल बनाने के लिये शहर के प्रबुद्धजन और प्रणामी संप्रदाय के लोग आगे आये हैं। धरमसागर तालाब के गहरीकरण अभियान की तर्ज पर किलकिला को बचाने के लिये नगर के जागरूक लोगों ने नदी की साफ-सफाई व अन्य कार्यों के लिये जन सहयोग से राशि एकत्र की है। इस पुनीत कार्य में उत्साह के साथ लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। पन्ना के लोगों के लिये किलकिला नदी का विशेष महत्व है। बारिश के समय इस नदी में आने वाली जल राशि से ही शहर के प्राचीन तालाब लबालब होते थे। पन्ना परिवर्तन मंच के तत्वाधान में रविवार शाम किलकिला नदी के पुर्नजीवन की रूपरेखा बनाने और उसे सफलता पूर्वक क्रियान्वित करने के उद्देश्य से कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राजमाता दिलहर कुमारी उपस्थित रहीं, वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में लक्ष्मीकांत शर्मा, आशा गुप्ता, रज्जन खरे, बृजेन्द्र सिंह बुंदेला, बीएल धामी उपस्थित रहे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह बुंदेला ने नदी को बचाने के लिये विशेष प्रयास करने की बात रखी। उन्होंने बताया कि किलकिला नदी को बचाने के सर्वप्रथम नदी में मिलने वाले गंदे पानी को वॉटर टीटमेंट प्लांट लगाकर ठीक करना होगा। तभी किलकिला को बचाया जा सकता है। इसके लिये नगर पालिका का सहयोग होना जरूरी है। वहीं राजमाता दिलहर कुमारी ने नदी के महत्व को बचाते हुए लोगों ने इस कार्य में एकजुट होकर प्रयास करने की बात कही। युवा नेता नीलम राज शर्मा ने किलकिला नदी के धार्मिक महत्व को बताते हुए कहा कि जिस तरह बनारस में गंगा का महत्व है, उसी तरह पन्ना के लिये किलकिला नदी महत्वपूर्ण हैं। महामति प्राणनाथ जी ने इस नदी को पवित्र नदी का दर्जा दिया है। प्रणामी संप्रदाय के लोगों की नदी के प्रति गहरी आस्था है. कार्यक्रम को कई लोगों ने संबोधित किया। कार्यक्रम में शामिल शहर के गणमान्य नागरिकों ने अपनी ओर से सहयोग राशि देकर सफाई अभियान की शुरू की। वहीं सोमवार को स्थानीय लोगों ने नदी में पहुंचकर श्रमदान किया और मशीनों के माध्यम से सफाई का का कार्य प्रारंभ कराया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से मनु बुंदेला, वीरेन्द्र शर्मा, सुदीप श्रीवास्तव, अंकित शर्मा, एसके समेले, बालकिशन र्श्मा, गोपाल मिश्रा, अमरेश र्श्मा, नृपेन्द्र सिंह, मनीष शर्मा, चीटू समारी, जीतेन्द्र सिंह चौहान, रजऊ राजा अमानगंज, जगलपाल सिंह बॉबी, गोलू जडिया, रेहान मोहम्मद, मृगेन्द्र सिंह गहरवार, गोपाल लालवानी, राध्ोलाल शर्मा, तिलक शर्मा, विक्रम शर्मा शामिल हुए।
मिलते हैं गंदे नाले
पूरे शहर का कचरा और गंदा पानी छोटे बड़े नालों से होता हुआ धाम मोहल्ला और आगरा मोहल्ला के समीप किलकिला नदी में मिलकर पूरी नदी को दूषित करता है। शहर में आने के साथ ही किलकिला नदी नाले में तब्दील हो जाती है। नदी के संरक्षण के लिये नगर पालिका प्रबंधन द्वारा कोई सार्थक प्रयास नहीं किये गये हैं, जिसके चलते नदी का अस्तित्व ही समाप्त होने की कगार पर है। वहीं नदी में हो रहे अतिक्रमण से भी विशाल नदी का दायरा कम होता जा रहा है।
किलकिला से भरते थे शहर के तालाब
पन्ना शहर में हमेशा पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिये यहां के राजाओं ने विशाल तालाबों का निर्माण कराया था। इन विशाल तालाबों को भरने के लिये किलकिला नदी खासी महत्वपूर्ण थी। किलकिला के सहारे ही इन विशाल तालाबों की आधारशिला रखी गई थी। विदित हो कि एक दौर में धरमसागर, लोकपाल सागर और निरपत सागर को भरने के लिये किलकिला नदी का सहारा लिया जाता था। सतना बैरियल से तालाबों के लिये विशेष कैनाल बनाई गई थी, जो आज पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। किलकिला को पुर्नजीवित करने से एक बार फिर इन इन तालाबों के लिये नदी का उपयोग किया जा सकता है, जिससे शहर में कभी भी जल संकट की स्थिति निर्मित नहीं होगी।