जंगलराज| वन क्षेत्र में लाखों की लागत के आधा दर्जन तालाब एवं परकोलेशन टैंक फूटे

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पन्ना जिले के उत्तर सामान्य वनमण्डल की अजयगढ़ रेन्ज अंतर्गत बारिश में फूटा नवनिर्मित तालाब।

  पन्ना जिले के चर्चित उत्तर सामान्य वन मण्डल का मामला

 डीएफओ को नहीं थी जानकारी, बोले- आपके द्वारा भेजे गए वीडियो-फोटो से चला पता

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में पिछले माह जुलाई में हुई बारिश ने घटिया निर्माण कार्यों की पोल खोलकर रख दी है। लोक निर्माण विभाग की लगभग 60 करोड़ की लागत वाली नवनिर्मित 3 सड़कों के धंसने-गड्ढों में तब्दील होने एवं पुलियों-रपटों के बहने के कारण पन्ना से लेकर राजधानी भोपाल तक जबरदस्त हड़कंप मचा है। अब इसी कड़ी में पन्ना के उत्तर सामान्य वन मण्डल अंतर्गत वन क्षेत्र में निर्मित आधा दर्जन तालाब एवं परकोलेशन टैंक के फूटने का मामला सामने आया है। इनकी लागत लगभग 1 करोड़ रुपए के आसपास बताई जा रही है। उत्तर वनमंडल में व्याप्त अंधेरगर्दी का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि, वन परिक्षेत्र अजयगढ़ एवं धरमपुर के जंगल में महीने भर से फूटी पड़ी जल संरचनाओं की डीएफओ गर्वित गंगवार को जानकारी ही नहीं थी। आज शाम मोबाइल पर हुई अनौपचारिक चर्चा के दौरान डीएफओ ने बिना किसी लागलपेट के स्वीकार किया ‘रडार न्यूज़’ द्वारा भेजे गए फोटो-वीडियो से उन्हें तालाबों एवं पी-टैंकों के क्षतिग्रस्त होने का पता चला। डीएफओ की इस स्वीकारोक्ति से उत्तर वन मंडल की बहुमूल्य वन संपदा की सुरक्षा एवं निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवालिया लग गया है।
फाइल फोटो।
सूबे की मोहन सरकार के वन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिलीप अहिरवार के निर्वाचन क्षेत्र चंदला विधानसभा सीट की सीमा से लगे पन्ना जिले का उत्तर सामान्य वन मण्डल टाइगर-तेंदुओं की संदिग्ध मौत, सागौन की अवैध कटाई, वन क्षेत्र में हीरा-पत्थर के बेतहाशा अवैध खनन, वन भूमि पर अतिक्रमण और भारी भ्रष्टाचार के चलते पिछले कई महीनों से सुर्ख़ियों में बना है। उत्तर वन मण्डल हावी कमीशनखोरी और अराजकता को देखते यह कहना अतिश्यक्तिपूर्ण न होगा कि यहां जंगलराज चल रहा है। कथित प्री-पेड रीचार्ज व्यवस्था से मनचाही मैदानी पोस्टिंग पाने वाले अफसरों ने उत्तर वन मण्डल को चारागाह में तब्दील कर दिया है। वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा को पूरी तरह से श्रमिकों के भरोसे छोड़कर उत्तर वन मण्डल के वनरक्षक से लेकर बड़े अफसर विभागीय निर्माण कार्यों में ठेकेदारी, सामग्री खरीदी में कमीशनखोरी और हर महीने बिल-बाउचर भुगतान सुनिश्चित करवाकर अपने आर्थिक हित साधने के एक सूत्रीय अभियान में जुटे हैं। ज्यादा से ज्यादा राशि डकारने के चक्कर में वन विभाग के अफसरों के बीच मची होड़ ने विभागीय निर्माण कार्यों का दिवाला निकाल दिया है। जिसका ताज़ा उदाहरण वन परिक्षेत्र अजयगढ़ एवं धरमपुर अंतर्गत बारिश में क्षतिग्रस्त हुए आधा दर्जन तालाब और परकोलेशन टैंक (पी-टैंक) हैं।
अजयगढ़ रेंज की धवारी बीट अंतर्गत बारिश में क्षतिग्रस्त परकोलेशन टैंक।
बता दें कि, पिछले महीने हुई बारिश में बहने वाले अधिकांश तालाब एवं परकोलेशन टैंक का निर्माण हाल ही में हुआ था। जल संरक्षण से जुड़े इन कार्यों की गुणवत्ता का सहज अंदाजा सिर्फ इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी ये पहली बारिश भी नहीं झेल सके। बारिश ने उत्तर वन मण्डल में चल रहे घटिया निर्माण कार्यों एवं कमीशनखोरी के गोरखधंधे की पोल खोलकर रख दी है।

इन स्थानों पर फूटे तालाब

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार उत्तर वन मण्डल की अजयगढ़ रेंज अंतर्गत अटल भू-जल योजना से कुछ माह पूर्व निर्मित करीब 25 लाख की लागत का तालाब पहली बारिश में ही गुब्बारे की तरह फूट गया। अजयगढ़ रेंज की धवारी बीट में भी नवनिर्मित तालाब फूटा है। धावरी बीट में ही वर्ष 2025 में कैम्पा मद तथा आरडीएफ (विकास) से वर्ष 2022 से हुए पौधरोपण के नजदीक स्थित परकोलेशन टैंक और परकोलेशन पिट भी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। धरमपुर रेंज अंतर्गत सिल्हाई बीट में निर्मित परकोलेशन टैंक के फूटने के वीडियो और तस्वीरें भी निकलकर आई हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो अजयगढ़ एवं धरमपुर रेंज की अन्य बीटों में भी अटल भू-जल योजना के तालाब फूटे हैं। साथ ही उत्तर वन मण्डल के अन्य वन परिक्षेत्रों देवेन्द्रनगर, पन्ना एवं विश्रामगंज में अन्य योजनाओं से बने तालाबों-परकोलेशन टैंक, परकोलेशन पिट के क्षतिग्रस्त होने की चर्चाएं भी दबी जुबान विभाग के अंदरखाने चल रही हैं।

इनका कहना है-

“बारिश में अजयगढ़ एवं धरमपुर रेंज अंतर्गत तालाब और परकोलेशन टैंक फूटने की मुझे जानकारी नहीं थी। आपके द्वारा भेजे गए वीडियो-फोटो से मुझे पता चला है। सभी रेंज ऑफिसर्स को जंगल में निर्मित जल संरचनाओं की स्थिति का भौतिक सत्यापन करके 3 दिवस के अंदर जानकारी भेजने के निर्देश दिए हैं। आपने जो फोटो भेजे हैं उसमें कुछ परकोलेशन पिट भी शामिल हैं। फील्ड से जानकारी आने के बाद जल संरचनाओं के फूटने के कारणों का पता लगाया जाएगा यदि कार्य की गुणवत्ता से समझौता होने के तथ्य सामने आते हैं तो संबंधितों की जवाबदेही सुनिश्चित कर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।”

गर्वित गंगवार, डीएफओ, उत्तर सामान्य वनमण्डल, पन्ना।