अनियमितता | ठेकेदार को आर्थिक लाभ पहुंचाने नियम-प्रक्रिया को मज़ाक बनाकर किया 35 लाख रुपए का अतिरिक्त भुगतान

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जिले सिंह बघेल, मुख्य अभियंता, (भवन) लोनिवि, संभाग रीवा।

*     माप पुस्तिका में पेज चस्पा करके तैयार किया गया कूटरचित बिल

*     पन्ना जिले के लोक निर्माण विभाग (भवन) का मामला

*     उपयंत्री ने उजागर किया कार्यपालन यंत्री और सहायक यंत्री का फर्जीवाड़ा

शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के अति पिछड़े पन्ना जिले में व्याप्त भ्रष्टाचार सारी सीमाएं लांघ चुका है। जिले के कतिपय प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारियों, सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधि-राजनेता मिलकर संगठित तरीके से सरकारी धन को लूटकर अपनी तिजोरी भरने के एक सूत्रीय अभियान में जुटे है। यहां आए दिन सरकारी योजनाओं एवं कार्यों में गंभीर अनियमितता से जुड़े हैरान करने वाले मामले सामने आने से सूबे की मोहन सरकार का भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा पूरी तरह खोखला साबित हो रहा है। पन्ना के लोक निर्माण विभाग (भवन) के कार्यपालन यंत्री व सहायक यंत्री का फर्जीवाड़ा इसका ताज़ा उदाहरण है। दोनों ही तकनीकी अधिकारियों पर जिला चिकित्सालय उन्नयन कार्य के ठेकेदार को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए पद का दुरुपयोग करते हुए भुगतान संबंधी नियम-प्रक्रिया को ठेंगा दिखाने का आरोप लगा है।
कथित तौर पर निहित स्वार्थपूर्ति के चक्कर में तकनीकी अधिकारियों ने माप पुस्तिका के साथ छेड़छाड़ करते हुए कूटरचित बिल तैयार कर हॉस्पिटल ठेकेदार को 35 लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान कर दिया। बिल्डिंग का जो कार्य अभी हुआ भी नहीं ठेकेदार को उसकी राशि का भुगतान कर शासन को आर्थिक क्षति पहुँचाने से जुड़े इस मामले का खुलासा किसी ओर ने नहीं बल्कि संबंधित कार्य के प्रभारी उपयंत्री ने विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी गई शिकायत में किया है। कार्यपालन यंत्री के मनमाफिक ठेकेदारों को अतिरिक्त भुगतान करने में आवश्यक सहमति न देने पर उपयंत्री के प्रभार से संबंधित कार्यों में चार साल के अंदर सात बार बदलाव किया गया। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए प्रमुख सचिव ने मामले की जांच के निर्देश दिए है। आर्थिक अनियमितता एवं प्रताड़ना से संबंधित इस प्रकरण की जांच अधीक्षण यंत्री (भवन) लोक निर्माण विभाग मण्डल रीवा ने शुरू कर दी है।
निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग (पीआईयू) वर्तमान नाम लोक निर्माण विभाग (भवन) पन्ना ने माह नवंबर 2020 में दो सौ बिस्तरीय जिला चिकित्सालय पन्ना का 300 बिस्तरीय में उन्नयन करने के लिए कार्यादेश जारी किया था। लगभग 11 करोड़ 80 लाख से अधिक की लागत से नवीन हॉस्पिटल बिल्डिंग का निर्माण कार्य ठेके पर लक्ष्मी चन्द एण्ड कम्पनी, ग्वालियर द्वारा कराया जा रहा है। कार्य पूर्णता के लिए निर्धारित समयसीमा दो वर्ष पूर्व समाप्त होने के बाद भी हॉस्पिटल बिल्डिंग अधूरी पड़ी है। घटिया फिनिशिंग वर्क तथा कार्य की गुणवत्ता को लेकर शुरू से ही बिल्डिंग निर्माण पर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन कमीशन के चक्कर जिम्मेदार तकनीकी अधिकरियों से लेकर कंसल्टेंट एजेंसी ने निर्माण कार्य को गुणवत्ता के मानकों के अनुरूप कराने के लिए ठेकेदार पर कभी भी जोर डाला। जानबूझकर बरती जाने वाली इस उदासीनता से जिम्मेदार अधिकारीयों और ठेकेदार के बीच सांठगांठ होने के संकेत मिलता है। इनके बीच सांठगांठ कितनी गहरी है, इसका अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि तकनीकी अधिकारियों पर ठेकेदार को आर्थिक लाभ पहुँचाने के बेहद गंभीर आरोप लगे हैं।
जिला अस्पताल पन्ना के उन्नयन भवन का सूचना बोर्ड।
बता दें कि, ठेकेदार को 11(A) रनिंग बिल के जरिए दिनांक 22 मई 2024 को चेक क्रमांक 28040000676 से रुपए 2,0347920/- रुपए का भुगतान किया गया था। हॉस्पिटल बिल्डिंग के प्रभारी उपयंत्री पीके जैन का दावा है, 11(A) रनिंग बिल में ठेकेदार को रुपए 34,70,256/- का अतिरिक्त भुगतान किया गया है। नियम-कायदों से समझौता न करने और ठेकेदारों पर प्रभावी नियंत्रण रखते हुए हर हाल में गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य सुनिश्चित कराने के लिए बाल सी बारीकी को लेकर सजग रहने वाले उपयंत्री जैन ने अतिरिक्त भुगतान मामले में अपने वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका को लेकर हैरान करने वाला खुलासा किया है। इस संबंध में विभाग के प्रमुख सचिव एवं पन्ना कलेक्टर को भेजी गई शिकायत में उपयंत्री ने बताया है कि, उनके द्वारा ठेकेदार का 11(A) रनिंग बिल रुपए 1,68,77,664/- भुगतान हेतु माप पुस्तिका क्रमांक 148 के पृष्ठ क्रमांक 37 पर प्रस्तुत किया गया था। लेकिन तत्कालीन कार्यपालन यंत्री जगदीश प्रसाद सोनकर द्वारा संविदकार को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए माप पुस्तिका के पेज क्रमांक 38 पर दिनांक 22 मई 2024 को चेक क्रमांक 28040000676 से रुपए 2,0347920/- रुपए का भुगतान कर दिया गया।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि, ठेकेदार को रुपए 34,70,256/- का अतिरिक्त भुगतान माप पुस्तिका (मेजरमेंट बुक) क्रमांक 148 के पृष्ठ क्रमांक 37 पर पूर्व से बने बिल के ऊपर अतिरिक्त पृष्ठ चस्पा करके किया था। अर्थात एमबी (मेजरमेंट बुक) के साथ छेड़छाड़ करते हुए कूटरचित बिल तैयार किया गया था। सिर्फ इतना ही नहीं, ठेकेदार को अतिरिक्त भुगतान करने के लिए तत्कालीन कार्यपालन यंत्री जेपी सोनकर व सहायक यंत्री यशवंत सिंह ने निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना भी उचित नहीं समझा। नियमानुसार भुगतान किए गए बिल पर कार्य की देखरेख करने वाले प्रभारी उपयंत्री जैन के हस्ताक्षर नहीं कराए गए।
उपयंत्री ने अपनी शिकायत में बताया, उनके द्वारा ठेकेदार के 11(A) रनिंग बिल में भुगतान हेतु मेजरमेंट चेक करके जो आइटम स्वीकृत एनआईटी में नहीं है, जिस आइटम में ठकेदार के द्वारा पूरा कार्य नहीं कराया गया अथवा गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं किया गया है, उसमें उचित कारण दर्शाते हुए माप पुस्तिका क्रमांक 183 (पृष्ठ क्रमांक- 6, 9, 14, 22, 23, 57, 63, 71 एवं 78) पर भुगतान कम करके रुपए 1,68,77,664/- का बिल माप पुस्तिका क्रमांक 148 के पृष्ठ क्रमांक 37 पर प्रस्तुत किया गया था। कथित तौर पर ठेकेदार के बिल में कटौती करना वरिष्ठ अधिकारियों को इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने भुगतान प्रक्रिया का माखौल उड़ाते हुए उपयंत्री को बाइपास करके ठेकेदार को मनमाने तरीके से रुपए 2,0347920/- का भुगतान कर दिया। पूर्व में छटवें रनिंग बिल का भुगतान भी इसी तर्ज पर उपयंत्री के हस्ताक्षर के बगैर किया गया था। उपयंत्री पीके जैन का आरोप है, बिना मेरे बिल की जांच एवं हस्ताक्षर के संविदाकार को माप पुस्तिका क्रमांक- 99 के पृष्ठ क्रमांक 66 में रुपए 34,31,751/- का भुगतान नियम विरुद्ध तरीके से किया गया था। जिसकी लिखित जानकारी उनके द्वारा दिनांक 22 दिसंबर 2023 तत्कालीन कार्यपालन यंत्री (भवन) को दी गई थी। लेकिन उनके द्वारा आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई।

पीएस से शिकायत के बाद शुरू हुई जांच

प्रमोद कुमार जैन, उपयंत्री।
निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बगैर हॉस्पिटल बिल्डिंग ठेकेदार को बार-बार मनमाने तरीके से लाखों रुपए का भुगतान कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने के मामले में स्थानीय स्तर पर कोई कार्यवाही न होने से निराश प्रभारी उपयंत्री पीके जैन काफी समय से मानसिक आघात की स्थिति से जूझ रहे थे। वरिष्ठ तकनीकी अधिकारियों को वस्तुस्थिति से अवगत कराने पर भी अवैध भुगतान पर रोक नहीं लग सकी। इस स्थिति से परेशान होकर उपयंत्री द्वारा अतिरिक्त भुगतान मामले की शिकायत लोक निर्माण विभाग के शीर्ष अधिकारी प्रमुख सचिव से की गई। एमबी से छेड़छाड़ करके कूटरचित बिल तैयार कर संविदाकार को मनमाना भुगतान करने से जुड़ी शिकायत को प्रमुख सचिव ने गंभीरता से लेते हुए मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग (भवन) संभाग रीवा को कमेटी गठित कर जांच करने के निर्देश दिए है। लेकिन मुख्य अभियंता द्वारा कमेटी गठित न करके प्रभारी अधीक्षण यंत्री मण्डल रीवा केके सिंघारे को जांच के सिलसिले में दिनांक 9 अक्टूबर 2024 को पन्ना भेजा। अधीक्षण यंत्री सिंघारे ने शिकायत की जांच हेतु पन्ना आगमन की पूर्व सूचना शिकायतकर्ता को नहीं दी। उन्होंने पन्ना पहुँचने के बाद उपयंत्री जैन को मोबाइल पर कॉल करके उन्हें निर्माणाधीन हॉस्पिटल बिल्डिंग में बुलाया था। कार्य का सत्यापन करने के लिए जांच अधिकारी के पास मौके पर स्वीकृत एनआईटी, डिटेल स्टीमेट, टाइम एक्सटेंशन लेटर आदि आवश्यक दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं थे।

समझौता न करने पर प्रभार में बदलाव की सजा

अधीक्षण यंत्री एवं जांच अधिकारी श्री सिंघारे को उपयंत्री जैन ने बताया कि, कार्यपालन यंत्री व सहायक यंत्री की ठेकेदार से सांठगांठ के चलते बिल भुगतान के समय प्रभार वाले कार्यों में बार-बार बदलाव करके उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। वर्ष 2015 से लेकर 2018 तक छह बार और वर्ष 2021 से लेकर 2024 तक सात बार प्रभार वाले कार्यों में बदलाव किया गया। उपयंत्री का आरोप है, कार्यों की गुणवत्ता से समझौता न करने और ठेकेदार को अतिरिक्त भुगतान जैसे अवैध कार्य में सहयोग न करने की उन्हें लगातार सजा दी जा रही है। हद तो तब हो गई जब मनमाफिक कार्य करवाने एवं निर्माण कार्यों की प्रगति के कागजी घोड़े दौड़ने के लिए कार्यपालन यंत्री (भवन) लोनिवि पन्ना ने जिले के कार्यों की निगरानी का अतिरिक्त प्रभार पड़ोसी जिला सतना में पदस्थ उपयंत्रियों को सौंपने का आदेश जारी कर दिया। यह अजब-गजब व्यवस्था पिछले कई सालों से चल रही है। इस अव्यवहारिक और अदूरदर्शी फैसले के दुष्परिणाम निर्माण कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित होने के तौर पर सामने आने के बाद भी वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी अपनी गलती को सुधारने के लिए तैयार नहीं हैं।

जल उपयोग राशि कटौती में विलंब क्यों ?

जिला चिकित्सालय पन्ना के उन्नयन भवन की ठेका फर्म लक्ष्मी चन्द एण्ड कम्पनी द्वारा पूर्व में साइट पर स्थित कुआं तथा वर्तमान में बोरिंग के पानी का उपयोग निर्माण कार्य में किया जा रहा है। शासन के सर्कुलर अनुसार निर्माण कार्य में शासकीय स्रोत से पानी का उपयोग किए जाने पर निर्माण की कुल लागत की एक प्रतिशत राशि काटकर ठेकेदार को भुगतान किया जाना चाहिए। हॉस्पिटल भवन के प्रभारी उपयंत्री द्वारा जल उपयोग की राशि कटौती का मामला कार्यपालन यंत्री के संज्ञान में लाया गया। बावजूद इसके कार्यपालन यंत्री द्वारा नियम-निर्देशों को ताक पर रखकर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाते हुए लगातार गलत भुगतान किया जा रहा है। ठेकेदार को आर्थिक लाभ पहुंचाकर अपने हित साधने में जुटे तकनीकी अधिकारियों के मनमाने रवैये का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि पिछले चार साल से ठेकेदार शासकीय स्रोत से पानी का उपयोग कर बिल्डिंग बना रहा है लेकिन माप पुस्तिका में इसे दर्ज नहीं किया गया।

टाइम एक्सटेंशन के बगैर निर्माण और भुगतान जारी

उपयंत्री के द्वारा निर्माण कार्य के टाइम एक्सटेंशन हेतु ठेकेदार को तीन पत्र लिखे गए जिसकी कॉपी सूचनार्थ कार्यपालन यंत्री को प्रेषित की गई।
हॉस्पिटल भवन उन्नयन के लिए निर्माण एजेंसी के द्वारा दिनांक 6 नवंबर 2020 को संविदाकार को जारी किए गए कार्यादेश में कार्य पूर्णता के लिए 2 वर्ष की समयसीमा निर्धारित की गई थी। कथित तौर पर साइट पर अवैध कब्ज़ा होने के कारण तय समयसीमा में निर्माण पूरा नहीं हो सका। कार्य पूर्णता की समयावधि समाप्त हुए करीब दो वर्ष का लंबा अर्सा गुजरने के बाद भी आज तक कार्यपालन यंत्री (भवन) लोक निर्माण विभाग पन्ना ने समय विस्तार हेतु सक्षम अधिकारी से आवश्यक अनुमति प्राप्त नहीं ली। जबकि समयावधि बढ़ाने हेतु आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के लिए प्रभारी उपयंत्री की ओर से बकायदा पत्राचार कर संबंधित ठेकेदार और कार्यपालन यंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया गया। लेकिन लोनिवि (भवन) पन्ना में व्याप्त हद दर्जे की अंधेरगर्दी का हाल यह है कि, टाइम एक्सटेंशन की अनुमति/स्वीकृति के बगैर पिछले दो साल से नियम-प्रक्रिया का माखौल उड़ाते हुए न सिर्फ ठेकेदार अपनी गति से कार्य करवा रहा है बल्कि विभाग के द्वारा बिना किसी पेनाल्टी के उसके बिलों का भुगतान भी नियमित रूप से किया जा रहा है।

इनका कहना है –

“ठेकेदार को सभी भुगतान नियमनुसार किए गए। किसी भी भुगतान में कहीं कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ, जिसका सत्यापन मौके पर कार्य की प्रगति का एमबी से मिलान करके किया जा सकता है। शासन ने जांच टीम गठित कर दी है, जांच दल को प्रत्येक आरोप का जवाब दिया जाएगा।”

जगदीश प्रसाद सोनकर, पूर्व कार्यपालन यंत्री (भवन) लोनिवि पन्ना।

“पन्ना के निरीक्षण के दौरान कार्य का सत्यापन करने के लिए मौके पर आवश्यक दस्तावेज मंगाए गए थे। भवन की गुणवत्ता तथा कार्य के अनुपात में भुगतान से संबंधित जो भी कुछ देखा है उसका उल्लेख रिपोर्ट में किया जाएगा। रिपोर्ट तैयार करने के लिए पन्ना से आवश्यक दस्तावेज मंगाए है। अगले सप्ताह तक मुख्य अभियंता को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दूंगा। उपयंत्री के प्रभार में बार-बार बदलाव किया जाना मेरे कार्यक्षेत्र और जांच से संबंधित विषय नहीं है इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।”

केके सिंघारे, अधीक्षण यंत्री (भवन) लोनिवि सर्किल रीवा।

“उपयंत्री प्रमोद कुमार जैन के आरोपों की जांच केके सिंघारे, प्रभारी अधीक्षण यंत्री, (भवन) मण्डल रीवा को सौंपी है। वे पिछले सप्ताह पन्ना जाकर स्थल का निरीक्षण और दस्तावेजों से कार्य का सत्यापन कर चुके है। .संभवतः अगले सप्ताह तक उनके द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। जांच रिपोर्ट में जो भी तथ्य सामने आएंगे उनके आधार आगे की कार्यवाही की जाएगी।

जिले सिंह बघेल, मुख्य अभियंता, (भवन) लोनिवि, संभाग रीवा।