
* भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं क्षेत्रीय सांसद के खिलाफ जमकर की नारेबाजी
* दशकों से जिस भूमि पर हैं काबिज उसे हड़पने और बेदखल करने का लगाया आरोप
* करीब 400 गरीबों के आशियाने से जुड़े मुद्दे पर पन्ना का मीडिया और विपक्ष है खामोश
शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिवस को मध्यप्रदेश में गरीब कल्याण सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। लेकिन इसके विपरीत पन्ना जिले में भारतीय जनता पार्टी के ही एक नेता पर गरीबों की भूमि को हड़पने का आरोप लग रहा है। जिस भूमि पर सैंकड़ों गरीब परिवार कई दशकों से काबिज हैं उसकी रजिस्ट्री और नामांतरण भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अंकुर त्रिवेदी ने कथित तौर पर तथ्यों को छिपाकर फर्जी तरीके से अपने नाम करा ली। इससे प्रभावित गरीब-श्रमिक परिवारों के सामने बेघर होने की नौबत आ गई है।

अपने आशियाने से बेदखल किए जाने की साजिश के खिलाफ पन्ना के समीपी ग्राम नयापुरवा के वाशिंदें पिछले एक पखवाड़े से आंदोलित हैं। मंगलवार 15 सितंबर को प्रभावित परिवारों की महिलायें गले में फाँसी का फंदा डालकर पैदल मार्च करते हुए जब संयुक्त कलेक्ट्रेट भवन के लिए निकलीं तो लोग इन्हें देखकर हतप्रभ रह गए। इस दौरान प्रदर्शनकारी महिलाओं ने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष एवं खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा और उनके करीबी माने-जाने वाले भाजपा नेता अंकुर त्रिवेदी के खिलाफ जमकर तीखी नारेबाज़ी की। इन महिलाओं ने पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्र से भेंटकर उन्हें अपने साथ हुई साजिश की सिलसिलेवार जानकारी दी और उनसे फ़रियाद करते हुए कहा कि- “हमें इंसाफ चाहिए, हमें इंसाफ दें, अगर इंसाफ नहीं मिल सकता तो हमें फाँसी दे दो साहब।” कलेक्टर द्वारा मामले की संवेदनशीलता दृष्टिगत रखते हुए प्रदर्शनकारी महिलाओं को हताश और निराश न होने की समझाईश दी गई साथ मामले की जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया गया। वहीं गरीब महिलाओं ने न्याय न मिलने पर कलेक्ट्रेट में ही फांसी लगाने का ऐलान किया है।

अपने आशियाने को बचाने की जद्दोजहद करतीं अनपढ़ गरीब महिलाओं का विरोध-प्रदर्शन कल से जिले के राजनैतिक हल्क़ों, प्रशासनिक गलियारों, आमलोगों और पत्रकारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। लम्बे समय से चरागाह बने अति पिछड़े पन्ना जिले में सिस्टम और सियासत के नापाक गठजोड़ के काले कारनामों के खिलाफ शायद पहली बार कमजोर तबके की महिलाओं ने इतना उग्र प्रदर्शन किया है। लेकिन जिला मुख्यालय के पत्रकारों एक बड़ा तबका और कोंग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के नेतागण इस ज्वलंत मुद्दे पर मौन साधे हुए बैठे हैं। सोशल मीडिया के रायचंद और व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के विद्वानजन भी इस मुद्दे पर बात करने से क़तरा रहे हैं। दरअसल, इस मामले में प्रभावित लोग सीधे तौर पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष एवं क्षेत्रीय सांसद वीडी शर्मा और उनके करीबी नेता अंकुर त्रिवेदी पर बेहद गंभीर आरोप लगा रहे हैं। सत्ता में बैठे ताकतवर लोगों के खिलाफ पन्ना में आमतौर पर खुलकर कोई सामने नहीं आता है, यह परम्परा इस मांमले भी फिलहाल कायम है। अपवाद स्वरूप कुछेक प्रकरणों को छोड़ दें तो मीडिया और विपक्ष का ज्वलंत मसलों की जानबूझकर अनदेखी करना कोई नई या अचरज भरी बात नहीं है। इन परिस्थितियों में पन्ना राजघराने की सदस्य महारानी जीतेश्वरी देवी मुड़िया पहाड़ के गरीबों के समर्थन में आगे आई हैं।
क्या है पूरा मामला
पन्ना जिला मुख्यालय की नजदीकी ग्राम पंचायत मनौर के ग्राम नयापुरा के अंतर्गत आने वाले मुड़िया पहाड़ एवं आसपास की शासकीय भूमि में करीब 400 गरीब-मजदूर परिवार निवास कर रहे हैं। इनका दावा है कि वे उक्त भूमि पर पिछले पांच-छह दशक से रह रहे हैं। इनमें से कई लोगों के पास उक्त भूमि के शासन द्वारा प्रदाय किये गए पट्टा और कब्जे से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि उनके कब्जे की भूमि को हथियाने के लिए भाजपा नेता अंकुर त्रिवेदी के द्वारा राजस्व के अधिकारियों-कर्मचारियों से सांठगांठ कर कूट रचित दस्तावेजों के आधार अपने ही एक करीबी वृद्ध हीरालाल आदिवासी के नाम पर 12 एकड़ भूमि को दर्ज कराया गया। बाद में हीरालाल से वर्ष 2015-16 में अंकुर त्रिवेदी पुत्र अवधेश त्रिवेदी ने यह भूमि 95 लाख रुपए में खरीद ली। इसके अलावा दूसरी रजिस्ट्री सुमित्रा त्रिवेदी पति अवधेश त्रिवेदी के नाम पर कराई गई।

उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के भूमि विक्रेता हीरालाल की भूमि की रजिस्ट्री हेतु क्रेता द्वारा तत्कालीन कलेक्टर से स्वीकृति मांगी गई थी लेकिन कलेक्टर ने स्वीकृति प्रदान नहीं की थी। बाद में राजस्व निरीक्षक मण्डल ग्वालियर से स्वीकृति प्राप्त हो गई। उक्त भूमि के नामंतरण के खिलाफ स्थानीय रहवासियों द्वारा तसीलदार और एसडीएम पन्ना के न्यायलय में आपत्ति प्रस्तुत की गई जिसके आधार पर क्रमशः दोनों ही न्यायालयों ने भूमि का नामांतरण निरस्त कर दिया था। इसके पश्चात अपर आयुक्त सागर के न्यायलय में जब मामला पहुंचा तो वहां से अंकुर के पक्ष में नामांतरण का फैसला हो गया। कथित तौर पर हल्का पटवारी के द्वारा अपने प्रतिवेदन में जमीनी सच्चाई को छिपाकर उक्त भूमि को रिक्त (खाली) और बंजर बताए जाने से भूमि का नामांतरण संभव हो सका। हाईकोर्ट में इस मामले के विचाराधीन होने के बावजूद तत्कालीन पन्ना तहसीलदार के द्वारा नामांतरण की कार्रवाई कर दी गई।
जमीन खाली करने के लिए मिल रही धमकी
