हाईकोर्ट ने पन्ना कलेक्टर को लगाई कड़ी फटकार, कहा- “कलेक्टर संजय कुमार मिश्र ने सत्ताधारी दल के एजेण्ट की तरह काम किया”

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फाइल फोटो।

*    कोर्ट की टिप्पणी-  ये इस पद पर रहने के लायक नहीं, इन्हें हटा देना चाहिए

*    गुनौर जनपद पंचायत उपाध्यक्ष चुनाव के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की टिप्पणी

*    हाईकोर्ट ने माना, कलेक्टर के द्वारा मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का नहीं किया गया पालन

*     दिग्विजय सिंह और अरुण यादव ने ट्वीट कर स्थानीय निकाय चुनाव में हुई धांधली को लेकर बोला हमला

जबलपुर/पन्ना। (www.radarnews.in) पन्ना जिले की गुनौर जनपद पंचायत उपाध्यक्ष के चुनाव के विरुद्ध दायर याचिका पर बुधवार 3 अगस्त को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर में जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ के द्वारा सुनवाई की गई। हाईकोर्ट ने पन्ना कलेक्टर की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए उनके खिलाफ बेहद तल्ख़ टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा- “पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्र स्वतंत्र रूप से कार्य न करके सत्ताधारी दल के एजेण्ट की तरह काम कर रहे हैं। इन्हें जिला रिटर्निंग ऑफिसर के पद से हटा देना चाहिए।” कोर्ट ने माना, गुनौर जनपद उपाध्यक्ष के मामले में कलेक्टर के द्वारा प्राकृतिक न्याय के सिंद्धांतों का पालन नहीं किया गया। कांग्रेस नेता परमानंद शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पन्ना कलेक्टर को कड़े शब्दों में फटकार लगाई है और कलेक्टर के रूप आईएएस संजय कुमार मिश्रा की कार्यप्रणाली पर भी खुलकर नाराजगी जताते हुए उनके ख़िलाफ़ निगेटिव कमेंट किये है। कलेक्टर की भूमिका को लेकर हाईकोर्ट की सख्त नाराजगी से जुड़ी खबर आने के बाद पन्ना से लेकर भोपाल तक प्रशासनिक एवं राजनैतिक हलकों में जबर्दस्त हड़कंप मचा है।
पन्ना कलेक्टर, संजय कुमार मिश्र।
प्रदेश में हुए हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव एवं नगरीय निकाय चुनाव में प्रचण्ड जीत मिलने का दावा करने वाली सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी और उसकी सरकार के लिए पन्ना का मामला शर्मिंदगी का सबब बन चुका है। साथ ही इससे स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा को मिली सफलता पर भी सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव ने हाईकोर्ट की टिप्पणी का वीडियो ट्वीट करते हुए स्थानीय निकाय चुनावों में हुई गड़बड़ी को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार और उसकी कठपुतली बने अफसरों पर हमला बोला है। राज्यसभा सांसद एवं मध्यप्रदेश पूर्व के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हाईकोर्ट की टिप्पणी के परिपेक्ष्य में ट्वीट कर कहा, यदि मप्र के अधिकांश ज़िलों में हुए स्थानीय चुनावों की समीक्षा करें तो अनेक जनपद पंचायत व ज़िला पंचायत चुनावों में ज़िला कलेक्टरों ने सत्तारूढ़ दल के एजेंट के रूप में काम किया है। उन्होंने पन्ना कलेक्टर पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के गुलाम की तरह काम करने का भी गंभीर आरोप लगाया है। दिग्विजय ने अपने ट्वीट के अंत में “धन्यवाद मी लॉर्ड” लिखा है। कोर्ट की टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर लोग बुधवार शाम से ही लगातार अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है, पन्ना कलेक्टर के रूप में आईएएस ऑफिसर संजय कुमार मिश्र ने निष्पक्ष तरीके से कार्य न करके देश की प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS Cadre) की छवि धूमिल की है।

भाजपा समर्थित प्रत्याशी को दे दिया जीत का प्रमाण पत्र

पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी भाजपा समर्थित प्रत्याशी राम शिरोमणि मिश्रा की जीत का प्रमाण पत्र।
मालूम होकि, हाल ही में गुनौर जनपद पंचायत उपाध्यक्ष के चुनाव का चुनाव 27 जुलाई 2022 को संपन्न हुआ था, जिसमें पीठासीन अधिकारी ने कांग्रेस नेता परमानंद शर्मा को विजयी घोषित कर जीत का सार्टिफिकेट दिया था। लेकिन पन्ना कलेक्टर एवं जिला रिटर्निंग ऑफिसर संजय कुमार मिश्र ने महज 6 घण्टे के अंदर ही इस चुनाव को निरस्त कर दिया। चुनाव में पराजित भाजपा समर्थित प्रत्याशी राम शिरोमणि मिश्रा के द्वारा प्रस्तुत अपील पर कलेक्टर ने फैसला सुनाते हुए 24 घण्टे के अंदर जनपद उपाध्यक्ष पद हेतु चुनाव पुनः लॉटरी पद्धति से कराने का एकतरफा आदेश दिया था। पीठासीन अधिकारी ने अगले दिन लॉटरी डालकर चुनाव कराते हुए भाजपा समर्थित प्रत्याशी राम शिरोमणि मिश्रा निर्वाचित घोषित कर जीत का प्रमाण पत्र दे दिया। इससे प्रभावित कांग्रेस नेता एवं चंद घण्टे के लिए गुनौर जनपद के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए परमानंद शर्मा ने कलेक्टर पर खुलकर मनमानी करने और अपील की सुनवाई में उसे अपना पक्ष रखने का अवसर न देकर प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का गला घोंटने का गंभीर आरोप लगाया था। कलेक्टर के इस अजब-गजब और विवादित फैसले की चर्चा पन्ना लेकर राजधानी भोपाल तक राजनीतिक गलियारों तथा मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग में रही है। इधर, पन्ना में स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने सोमवार 1 अगस्त को इस मामले को जिले में पंचायत चुनाव में हुई धांधली का मुख्य मुद्दा बनाकर जिला मुख्यालय में प्रदर्शन करके ज्ञापन सौंपा था।

क्या है पूरा मामला

उल्लेखनीय है कि गुनौर में दिनांक 27 जुलाई 2022 को उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा समर्थक राम शिरोमणि मिश्रा व कांग्रेस नेता परमानंद शर्मा ने नामांकन दाखिल किया था। इसी दिन मतदान संपन्न होने पर परमानंद शर्मा को 13 व राम शिरोमणि मिश्रा को 12 वोट प्राप्त हुए थे। इस तरह एक वोट से विजयी हुए परमानंद को पीठासीन अधिकारी ने निर्वाचित घोषित करते हुए जीत का प्रमाण पत्र प्रदान किया था। लेकिन भाजपा समर्थित प्रत्याशी राम शिरोमणि मिश्रा के द्वारा पीठासीन अधिकारी के निर्णय को चुनौती देते हुए 27 जुलाई को ही पन्ना कलेक्टर एवं जिला रिटर्निग ऑफिसर के समक्ष अपील प्रस्तुत की गई। उपाध्यक्ष पद के निकटतम प्रतिद्वंदी राम शिरोमणि के द्वारा अपील में कहा गया कि एक वोट के बैलेट पेपर पर स्याही बीच में लगी होने से वह रिजेक्ट की श्रेणी में आता है। इसे अमान्य मानकर निरस्त करते हुए पुनः चुनाव कराया जाए। पन्ना कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी संजय कुमार मिश्र ने 27 जुलाई को ही देर शाम इस मामले की सुनवाई पूरी कर तुरंत फैसला सुनाते हुए एक वोट को निरस्त मानकर दोनों को 12-12 मत देते हुए लॉटरी सिस्टम से अगले दिन 28 जुलाई को उपाध्यक्ष का चुनाव पुनः कराने के आदेश जारी कर दिए।
गुनौर जनपद पंचायत उपाध्यक्ष पद पर विजयी होने के बाद पीठासीन अधिकारी से प्रमाण पत्र प्राप्त करते हुए कांग्रेस नेता परमांनद शर्मा। (फ़ाइल फोटो)
जिला निर्वाचन अधिकारी ने परमानंद को अपना पक्ष रखने का अवसर दिए बगैर आश्चर्यजनक तरीके से एकतरफा निर्णय पारित कर दिया था। फलस्वरूप 28 जुलाई शासकीय महाविधायलय गुनौर में लॉटरी सिस्टम के तहत लॉटरी डालकर उपाध्यक्ष का पुनः चुनाव कराया गया। भाजपा जिसमें समर्थित राम शिरोमणि मिश्रा के नाम की लॉटरी निकलने पर उन्हें उपाध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित घोषित कर सार्टिफिकेट जारी कर दिया गया। यह सब कुछ महज 24 घण्टे के अंदर हुआ था। इस फैसले को लेकर जनमानस में हैरानी और गहरी नाराजगी देखी जा रही थी। वहीं सोशल मीडिया पर भी लोग इसकी तीखी आलोचना कर रहे थे। कानून के जानकार भी इस तरह फैसला सुनाए जाने पर आश्चर्य चकित थे। इस बीच कांग्रेस नेता परमानंद शर्मा के द्वारा कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर की। जिसमें उपाध्यक्ष के चुनाव में हुई गड़बड़ी को लेकर पन्ना कलेक्टर एवं एवं जिला निर्वाचन अधिकारी संजय कुमार मिश्र पर बेहद गंभीर आरोप लगाए गए।

जस्टिस बोले- “इसको बाय नेम पार्टी बनाईए”

हाईकोर्ट में बुधवार 3 अगस्त को परमानंद की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल ने आलोक में आये तथ्यों, दस्तावेजी साक्ष्यों एवं याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिकवक्ता मनोज शर्मा और काज़ी फ़ख़रुद्दीन के तर्कों को सुनने के बाद पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्र की कार्यप्रणाली को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की है। जस्टिस श्री अग्रवाल ने पन्ना कलेक्टर को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए कहा कि- इसको, संजय कुमार मिश्र को बाय नेम पार्टी बनाईए। क्योंकि, कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा सत्ताधारी दल के एजेण्ट की तरह काम कर रहे हैं।” कोर्ट ने कलेक्टर को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए उन्हें अपने आचरण को लेकर पक्ष रखने को कहा है। साथ ही यह भी पूंछा है कि, भविष्य में उन्हें चुनाव जैसे संवेदनशील मामलों को ना सौंपने की सिफारिश क्यों न की जाए। और इस सिफारिश को भारत निर्वाचन आयोग तथा राज्य निर्वाचन आयोग को क्यों न भेजा जाए।