रेत के ओवरलोड हैवी ट्रक बने समस्या, अजयगढ़ घाटी में आए दिन लग रहा जाम

0
1580
पन्ना-अजयगढ़ मार्ग पर शुक्रवार 18 जून की शाम लगे जाम का दृश्य।

*   मार्ग बाधित होने से यात्रियों को उठानी पड़ रही परेशानी

*   खुलेआम बगैर पिटपास के जारी है रेत का अवैध परिवहन

*   सांठगांठ के चलते जिम्मेदार अधिकारी कर रहे हैं अनदेखी

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में रेत ठेकेदार ने आपदा को अवसर बनाकर सालभर से खुलेआम लूट मचा रखी है।रेत के अनियंत्रित दोहन के चलते एक ओर जहां शासन को प्रतिदिन लाखों रुपये के राजस्व की क्षति उठानी पड़ रही है, तो वहीं दूसरी तरफ खनन से छलनी हो चुकी जीवनदायनी केन नदी का अस्तित्व संकट में है। तेज़ी से फल-फूल रहा रेत का अवैध कारोबार अति पिछड़े इस इलाके के लिए बड़ी समस्या बन चुका है। खासकर पन्ना से अजयगढ़ तक का सफर करना अब पहले से कहीं अधिक जोखिम और परेशानी भरा हो चुका है। अजयगढ़ क्षेत्र की खदानों से रेत लेकर पन्ना की तरफ आने वाले ओवरलोड हैवी ट्रक-डम्फरों के कारण 40 किलोमीटर लम्बे इस मार्ग पर आए दिन जाम लग रहा है।
कटनी-कानपुर स्टेट हाईवे-47 में पन्ना-अजयगढ़ के बीच पड़ने वाली विश्रामगंज (अजयगढ़) की खतरनाक घाटी का विहंगम दृश्य। (फाइल फोटो)
प्री-मानसून की दस्तक के बाद से जाम की समस्या जटिल होने लगी है। दो-दो घाटियों वाले इस खतरनाक मार्ग पर रेत के ओवरलोड हैवी ट्रक-डम्फरों में चढाई के दौरान तकनीकी खराबी आने, वाहन धंसने या फिर अन्य वजह से अक्सर जाम लग जाता है। वाहनों की आवाजाही बाधित होने से यहां से होकर गुजरने वाले यात्रियों को अक्सर ही परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। इस समस्या का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि हर दिन लगने वाले जाम के कारण यात्रियों को होने वाली असुविधा की जानकारी के बाद भी जिम्मेदार प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी तमशबीन बने बैठे हैं। क्योंकि, रेत माफिया से सांठगांठ के चलते जिम्मेदार अधिकारियों ने उसे मनमानी करने की खुली छूट दे रखी है। रेत से होने वाली कमाई के चक्कर में अफसरों को न तो आमआदमी से कोई सरोकार है और ना ही यात्रियों की कोई परवाह है।
कटनी-कानपुर स्टेट हाईवे-47 अंतर्गत आने वाले पन्ना-अजयगढ़ मार्ग पर सप्ताह भर से रोजाना जाम लग रहा है। शुक्रवार 18 जून को इस मार्ग पर दहलान चौकी ग्राम के आगे मोड़ पर रेत से ओवरलोड एक डम्फर में तकनीकी खराबी आने पर चालक ने उसे बीच सड़क में ही खड़ा कर दिया। इस कारण मार्ग पर हैवी वाहनों के पहिए थम गए, सिर्फ दोपहिया व छोटे चार पहिया वाहनों की आवाजाही जारी रही। इस दौरान पन्ना से प्लास्टिक पाईप लेकर अजयगढ़ जा रहे एक मिनी ट्रक ने जब साईड से निकलने का प्रयास किया तो वह अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पलट गया। जिससे कई घंटे तक पन्ना-अजयगढ़ मार्ग पर बड़े वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप्प रही। देर रात बमुश्किल यातायात बहाल हो सका।
स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से हर दिन जाम की स्थिति निर्मित हो रही है। इससे समस्या की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस समस्या की जड़ अजयगढ़ से पन्ना-सतना के लिए रेत का परिवहन करने वाले ओवरलोड हैवी ट्रक-डम्फर हैं। जोकि अक्सर ही सिंहपुर या फिर विश्रामगंज घाटी के घुमावदार खतरनाक मोड़ पर चढ़ाई के दौरान पलट जाते अथवा तकनीकी गड़बड़ी आने के कारण वहीं खड़े हो जाते हैं। प्री-मानसून की बारिश के बाद इस मार्ग पर हालात लगातार ख़राब हो रहे हैं। अब तो स्थिति यह है कि कब जाम लग जाए कुछ भी कहना मुश्किल है।
राजशाही जमाने में निर्मित विश्रामगंज (अजयगढ़) घाटी समुचित देखरेख के आभाव में काफी जर्जर हो चुकी है, हाल के वर्षों में में घाटी में भूस्खलन (लैंडस्लाइड) की घटनाएं भी सामने आईं हैं। जानकार मानते हैं कि भूस्खलन की घटनायें घाटी मार्ग की आवश्यक मरम्मत के आभाव तथा ओवरलोड हैवी वाहनों के ट्रैफिक के दबाव के कारण बारिश के मौसम में होने वाली हलचल की वजह से होती हैं। बहरहाल, पन्ना-अजयगढ़ मार्ग पर जाम की जटिल होती समस्या के काफी हद तक समाधान के लिए रेत की ओवर लोडिंग पर प्रभावी अंकुश लगाया जाना बेहद जरुरी हो गया है।
रेत माफिया को खुला संरक्षण देकर निहित स्वार्थ साधने में जुटे राजस्व, खनिज, परिवहन और पुलिस के अधिकारी जानबूझकर इस समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं। जिससे इस मार्ग से होकर अपने गंतव्य तक पहुँचने के लिए यात्रियों जाम के झाम का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में जिला खनिज अधिकारी रवि पटेल एवं जिला परिवहन अधिकारी सुनील कुमार शुक्ला से जब सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाइल फोन रिसीव न होने के कारण बात नहीं हो सकी।
“कोविड संक्रमण की रोकथाम में अभी तक व्यस्त रहा हूँ, अभी थोड़ी फुर्सत मिली है, छुट्टी से वापस लौटकर देखता हूँ, जाम की समस्या का समाधान कराने का हर सम्भव प्रयास किया जाएगा।”

– सत्यनारायण दर्रो , एसडीएम, पन्ना।