27 लाख के फर्जीवाड़े में सहायक आयुक्त सहकारिता समेत चार दोषी करार

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फाइल फोटो।

*    पन्ना जिले की पैक्स ककरहटी में स्वीकृत नक्शा के विपरीत निर्माण कराने का मामला

*    स्वीकृत संरचना अनुसार नहीं कराया गोदाम व ऑफिस निर्माण जांच में हुआ खुलासा

*    मनमाने तरीके से दुकानें बनवाकर समिति प्रबंधक के पुत्र और रिश्तेदारों को कर दिया आवंटन

  एकीकृत शहरी विकास परियोजना से प्राप्त 27 लाख की ऋण राशि का किया बंदरबांट

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) आर्थिक अनियमितताओं के लिए बदनाम पन्ना जिले की प्राथमिक कृषि साख़ सहकारी समितियों से घपले-घोटालों और इनकी उचित मूल्य दुकानों में गरीबों के खाद्यान्न की कालाबाज़ारी के नित नए चौंकानें वाले खुलासे हो रहे हैं। पैक्स में फर्जीवाड़े का ताज़ा मामला ककरहटी का है। जहां एकीकृत सहकारी विकास परियोजना से प्राप्त 27 लाख की ऋण राशि से शासन द्वारा स्वीकृत नक्शा अनुसार गोदाम व ऑफिस का निर्माण नहीं कराया गया। मनमाने तरीके से स्वीकृत नक़्शे में परिवर्तन कर नगर परिषद ककरहटी की भूमि पर दुकानों का निर्माण कराया और फिर नवनिर्मित दुकानों का आवंटन पूर्व सुनियोजित तरीके से समिति प्रबंधक के पुत्र तथा रिश्तेदारों को कर दिया।
तत्कालीन सहायक आयुक्त सहकारिता पन्ना राजयश कुरील।
इस चर्चित मामले की जांच में तत्कालीन सहायक पंजीयक सहकारी संस्थायें पन्ना राजयश कुरील, तत्कालीन प्रशासक प्राथमिक सहकारी समिति ककरहटी विष्णु दीक्षित, उपयंत्री एकीकृत सहकारी विकास परियोजना पन्ना जोगेन्द्र बिल्लोरे, सहायक समिति प्रबंधक ककरहटी विजय कुमार पाण्डेय को अनियमितताओं के लिए दोषी माना है। संयुक्त जांच दल ने अपनी चार पेज की रिपोर्ट स्पष्ट अभिमत के साथ सहायक आयुक्त सहकारिता को सौंपी है। इस रिपोर्ट में दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ सेवा नियमों के तहत आवश्यक वैधानिक कार्यवाही काने की सिफारिश की है।

क्या है मामला

एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (आईसीडीपी) पन्ना के द्वारा प्राथमिक कृषि साख़ सहकारी समिति ककरहटी में 100-100 मैट्रिक टन क्षमता के दो गोदाम एवं ऑफिस निर्माण हेतु स्वीकृति आदेश, अनुबंध की शर्तें अपने पत्र आई.सी.डी.पी./ऋण/2021/227 पन्ना दिनांक 12 फरवरी 2021 को 27 लाख 60 हजार रुपए का ऋण प्रदाय किया गया था। सम्पूर्ण निर्माण कार्य स्वीकृत नक्शा के अनुसार कराना था। पैक्स ककरहटी की बैठक दिनांक 5 मार्च 2021 को आयोजित की गई थी जिसमें स्वीकृत नक्शा से हटकर अपनी सुविधानुसार निर्माण कराने तथा दुकानें बनवाने का निर्णय पारित किया गया। निर्माण में संशोधन संबंधी स्वीकृति प्राप्त करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बगैर ही कार्य करवा दिया। स्वीकृत गोदाम नक़्शे जोकि प्रथम स्वीकृत (शासन द्वारा) हैं, उसमें 200 मीट्रिक टन के निर्धारित लंबाई-चौड़ाई के प्रस्तावित थे। उसके साथ एक कमरा और बराण्डा भी स्वीकृत था। परिवर्तित नक्शा (दूसरा स्वीकृत नक्शा) के तहत तीन दुकानें, ऑफिस रुम व दो गोदाम का निर्माण कराया गया।

आटीआई से हुआ अनियमितताओं का खुलासा

मजेदार बात यह है कि मनमाने तरीके से उक्त निर्माण कार्य मुख्य मार्ग किनारे स्थित नगर परिषद ककरहटी की भूमि करा दिया। नवनिर्मित दुकानों का आवंटन भी सहकारिता विभाग पन्ना के तत्कालीन सहायक आयुक्त तथा पैक्स ककरहटी की कार्यकारिणी द्वारा पूर्व सुनियोजित तरीके से औपचारिकता पूर्ण प्रक्रिया अपनाकर सहायक समिति प्रबंधक ककरहटी के पुत्र व रिश्तेदारों को नाममात्र की राशि पर कर दिया। बस स्टैण्ड में मुख्य मार्ग किनारे व्यापार-व्यवसाय की दृष्टि से प्राइम लोकेशन की दुकानों को नीलामी में लेने की उम्मीद लगाए बैठे स्थानीय लोगों को जब औपचारिकता पूर्ण कार्यवाही में इनका आवंटन किए जाने की भनक लगी तो वे बैचेन हो उठे। पारदर्शी तरीके से दुकानों का आवंटन न होने से नाराज लोगों ने सूचना के अधिकार अधिनयम के तहत निर्माण से जुड़े दस्तावेज़ निकालकर उनको खंगाला। जिसमें कई बड़ी अनियमितताएं उजागर होने पर इसकी लिखित शिकायत विनय पाण्डेय, धीरेन्द्र पाण्डेय, आशीष पाण्डेय, शैलेन्द्र बाल्मीक, अहमद रज्जाक, संदीप पाठक, संजय पाण्डेय, मुहम्मद शाकिर, नीरज गुप्ता, मोनू द्विवेदी, सौरभ तिवारी, राजेश माली, अरुण अवधिया, सुशील शर्मा एवं अरविंद पाण्डेय के द्वारा सहायक आयुक्त सहकारिता पन्ना से की गई।

कई माह तक चली जांच

कहरहटी समिति की गंभीर अनियमितताओं की शिकायत पर सहयक आयुक्त सहकारिता पन्ना ने दिनांक 2 फरवरी 2022 को प्रकरण की जांच हेतु दो सदस्यीय संयुक्त जांच दल गठित किया गया। जिसमें सहकारी निरीक्षक आरके नायक व आरके जैन को शामिल किया गया। जांच दल ने निर्माण कार्य स्थल का निरीक्षण किया, संबंधितों के कथन दर्ज किए, शासकीय अभिलेख के अनुसार स्थिति को देखा। कई माह तक चली जांच में यह पाया गया कि शासन द्वारा स्वीकृत संरचना में मनमाफ़िक फेरबदल कर निर्माण कार्य कराया गया है। अभिलेखों एवं तथ्यों से प्रमाणित है कि गोदाम निर्माण की स्वीकृति में फेरबदल करके कम भंडारण क्षमता के गोदाम बनाए गए। साथ ही तीन दुकानों का निर्माण कराया। दुकानों के पक्षपात पूर्ण आवंटन और इसे स्वीकृत करने में तत्कालीन सहायक आयुक्त सहकारिता पन्ना राजयश कुरील, तत्कालीन प्रशासक प्राथमिक सहकारी समिति ककरहटी विष्णु दीक्षित, सहायक समिति प्रबंधक ककरहटी विजय कुमार पाण्डेय की पूर्व सुनियोजित भूमिका थी।

दुकानों के आवंटन में पहुंचाई आर्थिक क्षति

जांच में यह पाया गया कि सहकारी समिति ककरहटी में निर्मित दुकानों के आवंटन की औपचारिकता पूर्ण कार्यवाही की गई जिसमें पारदर्शिता का घोर आभाव रहा। तीनों दुकानों को मात्र 2-2 लाख रुपए और 500/- पांच सौ रुपए में प्रतिमाह के मान से मासिक किराये पर सहायक समिति प्रबंधक ककरहटी विजय कुमार पाण्डेय के पुत्र व रिश्तेदारों को ही आवंटित कर दिया। जबकि इन दुकानों को प्राप्त करने के लिए स्थानीय लोग 10-10 लाख रुपए की अमानत राशि देने तत्पर हैं। इस तरह दुकानों के आवंटन में संस्था को अमानत राशि की आर्थिक क्षति पहुंचाई गई। जांच दल ने इस अनियमितता के लिए संस्था के सहायक प्रबंधक और प्रशासक को स्पष्ट रूप से जवाबदार माना है।

दुकानों का आवंटन निरस्त करने की सिफ़ारिश

प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति ककरहटी में मुख्य मार्ग किनारे निर्मित दुकानें। फाइल फोटो।
इस मामले में आईसीडीपी के उपयंत्री जोगेन्द्र बिल्लोरे के द्वारा सही तरीके से अपनी भूमिका का निर्वाहन नहीं किया। प्रकरण की जाँच में स्वीकृत संरचना में फेरबदल हेतु उच्चाधिकारियों से आवश्यक स्वीकृति लेने हेतु पत्राचार संबंधी कोई दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं किए गए। इस कृत्य के लिए लिए उपयंत्री जवाबदार ठहराया गया है। जांच रिपोर्ट में नक्शा परिवर्तन के समय से लेकर निर्माण कार्य पूर्ण होने तक संस्था की किसी भी कार्यवाही में परियोजना विकास अधिकारी के उपस्थित न रहने पर भी सवाल उठाया है। संयुक्त जांच दल की यह रिपोर्ट आरटीआई के जरिए बमुश्किल प्राप्त हुई। रिपोर्ट में जांच दल ने अपने अभिमत में उल्लेख किया है, गोदाम व दुकानों का निर्माण पूर्ण हो चुका है इसलिए उसमें कोई परिवर्तन होना संभव नहीं है। दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया दोषपूर्ण होने के कारण इसे निरस्त किया जाए। उक्त दुकानों में संस्था अपना कोई व्यवसाय जैसे कियोस्क सेंटर, पीडीएस दुकान, खाद व्यवसाय का संचालन कर सकती है। इसके अलावा दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ सेवा-नियमों के अनुसार आवश्यक वैधानिक कार्यवाही करने की सिफारिश की है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इन सिफारिशों पर पूरी तरह से अमल होने में कितना समय लगता है।