
आधुनिक भारत में महिला शिक्षा की अलख जगाने वालीं महिलावादी और शिक्षिका फातिमा शेख की जयंती मनाई


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देशपाल पटेल ने अपने उद्बोधन में माता फातिमा शेख और सावित्रीबाई फूले के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उठाए गए क्रांतिकारी क़दमों के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि आजादी के पहले देश में महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखा गया था। परंपरावादी रूढ़िवादी लोगों के द्वारा महिलाओं को घर के अंदर ही रहने के लिए विवश किया गया ताकि उनकी हुकूमत (पितृ सत्ता वर्चस्व) कायम रहे। समाज सुधारक माता फातिमा शेख और सावित्री बाई फुले ने संयुक्त रूप से इसका जबरदस्त विरोध करते हुए देश की बालिकाओं-महिलाओं को शिक्षा दिलाने का बीड़ा उठाते हुए देश में पहला बालिका विद्यालय महाराष्ट्र के पुणे शहर में 1848 को खोला गया। क्योंकि इनका मानना था कि शिक्षा से ही महिलाओं का सशक्तिकरण सम्भव हो सकता है।
श्री पटेल ने कहा कि, आज भारत की प्रत्येक वर्ग की महिलाएं इनके द्वारा किए गए शैक्षिक कार्य व समाज सुधार कार्यों के प्रति आभारी हैं। समाज सुधारक और शिक्षिका फातिमा शेख के प्रयासों से प्रेरणा लेते हुए महात्मा फूले परिषद के सभी सदस्यों ने संकल्प लिया कि आने वाले समय में देश के सभी समाज के महापुरुष, समाज सुधारकों की जयंती धूमधाम से मनाएंगे। कार्यक्रम के अंत सुधीर कुशवाहा, अध्यक्ष महात्मा क्षमता फुले परिषद द्वारा सभी उपस्थितों का आभार व्यक्त किया गया। जयंती कार्यक्रम में बड़ी संख्या उपस्थित लोगों द्वारा माता सावित्री बाई फुले अमर रहे, माता फातिमा शेख अमर रहे के नारे लगाए गए।