* भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे आरईएस के प्रभारी कार्यपालन यंत्री का कारनामा
* दैनिक वेतनभोगी को स्थाईकर्मी में विनियमित करने पर डीए ने उठाई थी आपत्ति
* सेवा बहाली के लिए उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण में पहुंचा पूर्व कर्मचारी
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) भ्रष्टाचार के अनेक गंभीर आरोपों के चलते लोकायुक्त जांच का सामना कर रहे ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग (आरईएस) पन्ना के प्रभारी कार्यपालन यंत्री भगवान दास कोरी का कच्चा चिट्ठा एक से बढ़कर एक हैरान करने वाले काले कारनामों से भरा पड़ा है। फिर चाहे वह किराए पर लिए गए वाहनों के भुगतान में वित्तीय गड़बड़ी कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाना, ठेकेदारों के दस्तावेजों की बगैर जांच करोड़ों की लागत वाले निर्माण कार्यों के अनुबंध निष्पादित करना या फिर छात्रावासों की मरम्मत में लीपापोती का मामला हो। आरईएस के इन चर्चित घपलों-घोटालों के संबंध में तो कई लोगों को थोड़ी-बहुत जानकारी है, लेकिन एक प्रकरण ऐसा भी जिससे अधिकांश लोग पूरी तरह अनभिज्ञ हैं! यह मामला चयन प्रक्रिया का कथित तौर पर मखौल उड़ाते हुए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को स्थाईकर्मी में विनियमित करने से जुड़ा है।
दरअसल, कोरी साहब पर आरोप है कि उन्होंने शासन के दिशा-निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए बिना उचित चयन प्रक्रिया अपनाए बगैर अपने कार्यालय के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को पहले तो स्थाईकर्मी में विनयमित कर दिया। बाद में जब इस पर आपत्ती आई तो उस गरीब कर्मचारी को नौकरी से ही निकाल दिया। मगर, पूर्व कर्मचारी सेवा बहाली की उम्मीद में बिना किसी सैलरी के लगभग एक साल से लगातार कार्यालय में अपनी सेवाएं दे रहा है। साथ ही हाजिरी रजिस्टर में वह अपने हस्ताक्षर भी कर रहा है। लेकिन सेवा बहाली एवं सैलरी भुगतान मामले में शासन-प्रशासन स्तर पर कोई कार्यवाही न होते देख प्रभावित व्यक्ति ने न्याय के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर का दरवाजा खटखटाया है। मामला हाईकोर्ट पहुंचने से इन दिनों आरईएस ऑफिस पन्ना में अंदरखाने जबरदस्त हड़कंप मचा है। कोर्ट में प्रकरण के सभी पहलुओं पर बारीकी से गौर किए जाने की पूर्ण संभावना को देखते हुए, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को स्थाईकर्मी बनाने और फिर अचानक उसकी सेवा समाप्त करने वाले अफसरों की धड़कनें तेज हो गई हैं।
कार्यालय कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग, पन्ना में कई सालों से दैनिक वेतन भोगी (दैवेभो) के तौर पर कार्यरत घनश्याम रैकवार को वर्ष 2023 में स्थाईकर्मी में विनियमित किया गया था। दैवेभो को स्थाईकर्मी बनाने की कार्रवाई आरईएस के प्रभारी कार्यपालन यंत्री भगवान दास (बीडी) कोरी ने अपने पहले कार्यकाल में की थी। आरईएस के संभागीय लेखा अधिकारी (डिविजनल अकाउंटेंट) आनंद दयाल द्वारा इस कार्रवाई पर दिनांक 01 फरवरी 2024 को आपत्ति दर्ज करवाते हुए बकायदा प्रपत्र-60 जारी किया गया। जिसमें नियम-निर्देशों तथा प्रक्रिया का का हवाला देकर लेख किया, दैवेभो घनश्याम रैकवार को के विपरीत स्थाईकर्मी बनाया गया है। डिविजनल अकाउंटेंट (डीए) ने अपनी आपत्ति (प्रपत्र-60) के संदर्भ में मध्य प्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल के परिपत्र क्रमांक एफ 5-1/2013/1/3 भोपाल दिनांक 07 अक्टूबर 2016 का उल्लेख किया है। इस परिपत्र के परिशिष्ट ‘अ’ के बिंदु क्रमांक-01 में जिला स्तर के चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु चयन करने के लिए संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में समिति गठित करने के निर्देश दिए गए हैं। समिति में कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, जिले के संबंधित विभाग के कार्यालय प्रमुख एवं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के नामांकित अधिकारी को बतौर सदस्य शामिल किया गया है।
चयन प्रक्रिया के विपरीत जाकर बनाया स्थाईकर्मी
रडार न्यूज़ को विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार आरईएस पन्ना के डीए आनंद दयाल ने दिनांक 12 फरवरी 2024 को अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग भोपाल को लिखे गए पत्र में दैवेभो को स्थाईकर्मी बनाए जाने के निर्णय पर आपत्तियों का उल्लेख किया है। जिसमें बताया गया है कि संदर्भित परिपत्र परिशिष्ट ‘अ’ के निर्देशानुसार दैवेभो को स्थाईकर्मी विनयमित करने (बनाने) की कार्रवाई चयन समिति द्वारा नहीं की गई। साथ ही पूर्व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी घनश्याम रैकवार की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेजों को देखने से पता चलता है कि सिर्फ तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत पन्ना के अनुमोदन पर उसे स्थाईकर्मी बना दिया था। तब जिला पंचायत की कमान युवा आईएएस अफसर संघ प्रिय जिला हाथों में थी।
विनियमित करने की आपत्ति में लेख है कि, संदर्भित परिपत्र के अनुच्छेद 1.8 के अनुसार, “ऐसे दैनिक वेतन भोगी जो दिनांक 16 मई 2007 को कार्यरत थे व दिनांक 01 सितंबर 2016 को भी कार्यरत है, इस वेतन क्रम एवं अन्य लाभों के लिए पात्र होंगे।” यहां गौर करने वाली बात यह है कि, आरईएस ऑफिस पन्ना में घनश्याम द्वारा 2017 से सेवाएं देना प्रारंभ किया गया। प्रशासनिक प्रक्रिया के जानकारों का मानना है कि इस प्रकरण में आरईएस के प्रभारी कार्यपालन यंत्री कोरी एवं संबंधित अधिकारियों द्वारा दैवेभो को मनमाने तरीके से स्थाईकर्मी बनाकर शासन के दिशा-निर्देशों के साथ मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम,1965 के नियम 3(1)(ii) एवं (iii), मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1966 (CCA Rules), मध्यप्रदेश कार्य विभागीय मैन्युअल (MP Works Manual), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(d) समेत अन्य नियम-कानूनों तथा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन किया गया।
विनयमित किया, नियुक्ति नहीं की
दैवेभो कर्मचारी को स्थाईकर्मी बनाने पर जारी प्रपत्र-60 के संबंध में प्रभारी कार्यपालन यंत्री कोरी ने दिनांक 02 फ़रवरी 2024 को संभागीय लेखाधिकारी को दिए गए स्पष्टीकरण में विभाग के शीर्ष अधिकारी द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए घनश्याम को स्थाईकर्मी में विनयमित करने की योजना का लाभ देने की प्रक्रिया/कार्रवाई को पूर्णतः सही ठहराया है। कार्यपालन यंत्री के अनुसार प्रमुख अभियंता (Engineer-in-Chief) ग्रामीण यांत्रिकी सेवा भोपाल के पत्र क्रमांक 6450/22/वि-3/ग्रा.यां.से./2016 भोपाल दिनांक के आधार पर कार्यालय में पदस्थ दैवेभो कर्मचारी घनश्याम रैकवार को स्थाईकर्मी में विनियमित करने की योजना का लाभ दिया गया है न की किसी प्रकार की नियुक्ति की गई है।
चयन समिति के जरिए नियुक्ति के सवाल पर बताया है कि सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र के विषय में भी स्पष्ट रूप से दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों के लिए स्थाईकर्मियों को विनियमित करने की योजना का उल्लेख है। जबकि परिपत्र के बिंदु क्रमांक 02 में उल्लेखित ‘संलग्न परिशिष्ट-अ’ स्थाईकर्मियों की नियुक्ति के संबंध जिस समिति का हवाला दिया है, वह समिति ‘कार्यरत दैनिक वेतन भोगी स्थाईकर्मियों को चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर नियमित सेवा के अधिक अवसर उपलब्ध जाने बावत’ (चयन प्रक्रिया) का गठन किया गया है, न की स्थाईकर्मी में विनियमित करने के लिए। दैवेभो घनश्याम को स्थाईकर्मी में विनियमित करने की सूचना आरईएस पन्ना के द्वारा पत्र क्रमांक-1894 के जरिए दिनांक 01 जून 2023 प्रमुख अभियंता को भेजी गई थी।
…तो फिर नौकरी से निकाला क्यों?
