सावधान : अब मच्छरों के चक्कर में बिना सर्च वारंट के हो सकती है आपके घर की तलाशी !

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सांकेतिक फोटो।

* मच्छर जनित बीमारियाँ अब एमपी में अधिसूचित संक्रामक रोग घोषित

* राजपत्र में प्रकाशन के बाद स्वास्थ्य विभाग और नगरीय निकायों को मिले कई अधिकार

* लार्वा सर्वे और दवा के छिड़काव के लिए घर के अंदर की कर सकेंगे तलाशी

* प्रायवेट अस्पतालों और दवा दुकानों को भी देनी होगी मरीजों की जानकारी

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच राज्य सरकार ने मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों की प्रभावी रोकथाम के उद्देश्य एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। गज़ट नोटिफिकेशन के बाद मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया एवं जैपनीज़ एनसेफ़लाइटिस को अब अधिसूचित संक्रामक रोग घोषित किया गया है। अर्थात मच्छर जनित बीमारियां भी अब अधिसूचित संक्रामक रोगों (नोटिफाइड इंफेक्शियस डिसीज़) की श्रेणी में आएंगीं। इससे इन बीमारियों के संक्रमण वाले इलाकों में रोकथाम के लिए कार्य करने वाला मलेरिया, स्वास्थ्य विभाग एवं नगरीय निकायों का अमला अब कहीं अधिक प्रभावी तरीके अपना काम कर पाएगा।
सांकेतिक फोटो।
उदाहरण के लिए अगर कोई मकान मालिक मच्छरों से फैलने वाले संक्रमण की रोकथाम में आपेक्षित सहयोग नहीं करता है तो मलेरिया विभाग और नगरीय निकाय के कर्मचारी बिना किसी सर्च वारंट के उस घर के अंदर जाकर लार्वा सर्वे और मच्छर नाशक दवा का छिड़काव कर सकेंगे। इसके अलावा अगर किसी घर में बड़ी तादाद में मच्छर के लार्वा पाए जाते हैं तो मकान मालिक के विरुद्ध कार्रवाई करने का अधिकार भी इनके पास होगा। घर में मच्छरों को पैदा होने से रोकने के लिए आवश्यक उपाए न करने पर घर के मालिक के विरुद्ध अब प्रभावी कार्रवाई हो सकेगी।

निजी अस्पतालों को देनी होगी पूरी जानकारी

मध्य प्रदेश शासन के राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना।
कोरोना संकटकाल के दौरान मच्छर जनित बीमारियों को संक्रामक रोगों की फेहरिस्त में शामिल करने का आदेश जारी होने के बाद से इससे जुड़े नियम-कानून समस्त निजी हॉस्पिटल-नर्सिंग होम पर भी लागू होंगे। जिला मलेरिया अधिकारी पन्ना हरिमोहन रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि निजी अस्पताल अगर किसी मच्छर जनित बीमारी से पीड़ित मरीज का इलाज करते हैं तो उन्हें इसकी जानकारी मलेरिया और स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। इससे इन बीमारियों के संक्रमण की सही स्थिति का पता लगाने में आसानी होगी। एक्ट में शामिल न होने के कारण अभी तक निजी अस्पताल मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, फाइलेरिया, जैपनीज़ एनसेफ़लाइटिस से पीड़ित मरीजों के इलाज की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं देते थे। लेकिन अब निजी अस्पतालों के लिए जानकारी देना कानूनी रूप से बंधनकारी होगा। श्री रावत ने बताया कि मेडीकल स्टोर से दवाएं खरीदने वाले मरीजों की जानकारी भी अब मंगाई जा सकती है।