
* किसानों को सच्चाई बताने के लिए बीजेपी चलाएगी जन जागरण अभियान
* कृषि सुधार विधेयकों से मुनाफा बढ़ने और अन्नदाता के सशक्त होने का दावा
* न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था में नहीं होगा बदलाव, पूर्व की तरह रहेगी जारी
* भाजपा कार्यालय में प्रेसवार्ता कर पार्टी के नेताओं ने गिनाए कृषि सुधार विधेयकों के फायदे
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) किसान बिल को लेकर देश भर में किसान संगठनों और विपक्षी दलों का पिछले कई दिनों से उग्र विरोध-प्रदर्शन जारी है। इस मुद्दे पर एनडीए में भी दरार पड़ गई है। पंजाब में भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख सहयोगी और एनडीए में शामिल दल आकाली दल ने पहले ही इस मसले पर केन्द्र सरकार का साथ छोड़ दिया है। अब बिहार में एनडीए के वरिष्ठ साथी जनता दल यूनाइटेड ने भी भाजपा से अलग अपनी राय जाहिर करते हुए किसान संगठनों की मांग का समर्थन किया है। इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी के नेता कृषि सुधार बिल को मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं। इस ज्वलंत मुद्दे पर वस्तुस्थिति स्पष्ट करने के लिए आज पन्ना जिला मुख्यालय में स्थिति भाजपा के कार्यालय में पार्टी के जिलाध्यक्ष रामबिहारी चौरसिया द्वारा प्रेसवार्ता आयोजित की गई। जिसमें बीजेपी के पूर्व जिला महामंत्री एवं कृषि सम्बंधी मामलों के जानकार सुशील त्रिपाठी ने पत्रकारों से विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए तीनों विधेयकों के लाभ गिनाए और इनके विरोध के पीछे की राजनीति को लेकर विपक्ष पर जमकर हमला बोला।
वरिष्ठ भाजपा श्री त्रिपाठी ने बताया कि कृषि सुधार विधेयकों के पास होने से किसानों को अपनी उपज बेंचने के लिए नए अवसर मिलेंगे, जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा। किसान नियम-कानूनों के बंधन से आजाद होंगें। किसानों के पास मण्डी में जाकर लाइसेंसी व्यापारियों को ही अपनी उपज बेंचने की विवशता नहीं होगी। इससे कृषि क्षेत्र को जहां अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा वहीं अन्नदाता किसान भाई आर्थिक और तकनीकी रूप से सशक्त होंगे। आपने स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी खरीदी की व्यवस्था बनी रहेगी। ये विधेयक किसानों को अपनी फसल के भंडारण, बिक्री की आजादी देंगे और उन्हें बिचौलियों के चंगुल से मुक्त करेंगे, जिससे उनका आर्थिक लाभ होगा।
भाजपा नेता सुशील त्रिपाठी ने एक सवाल के जवाब में मुख्य विपक्षी दल कोंग्रेस पर कृषि सुधार विधेयक को लेकर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कोंग्रेस ने शुरू से ही देश के किसानों को कानून के नाम पर जकड़ रखा है। इसने आज तक तो किसानों के हित में कोई फैसला लिया नहीं और आज जब मोदी सरकार के द्वारा बहुप्रतीक्षित कृषि सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं तो किसानों को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि, कोंग्रेस और दूसरे विपक्षी दल देश के किसानों के बीच भ्रम फैलाकर उन्हें भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। किसानों को गुमराह कर राजनीति करना कोंग्रेस की पुरानी आदत रही है। जबकि कोंग्रेस ने 2019 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में एपीएमसी हटाने की बात की थी। वर्ष 2013 में राहुल गांधी ने कोंग्रेस शासित राज्यों में फल-सब्जियों को एपीएमसी एक्ट से बाहर करने का बयान दिया था। अब कोंग्रेस पार्टी ही एपीएमसी एक्ट में बदलाव का विरोध कर रही है। इससे कोंग्रेस पार्टी के नेताओं का दोहरा चरित्र उजागर हो गया है।
