* वनरक्षक के लम्बित वेतन भुगतान और वेतनवृद्धि के नाम पर लिए रुपए
* लोकायुक्त पुलिस की ट्रैप कार्रवाई से प्रशासनिक हलकों में मचा हड़कम्प
* अति पिछड़े पन्ना जिले में चरम सीमा पर है घूसखोरी और भ्रष्टाचार
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में लोकायुक्त पुलिस संगठन सागर की टीम ने बड़ी ट्रैप कार्रवाई को अंजाम देते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व के दो लिपिकों को पाँच रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। वनरक्षक ब्रह्म प्रकाश सिंह की लम्बित वेतन भुगतान और वेतनवृद्धि लगाने के एवज में पन्ना टाइगर रिजर्व के मुख्य लिपिक आलोक खरे एवं स्थापना शाखा लिपिक इमानुल हक़ कुरैशी के ने आज जैसे ही उनसे क्रमशः चार हजार रुपए और एक हजार रुपए की रिश्वत ली, अगले ही पल लोकायुक्त पुलिस ने दबिश देकर दोनों गिरफ्तार कर लिया। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक कार्यालय में लोकायुक्त पुलिस की ट्रैप कार्रवाई के चलते सनाका खिंचा गया। सोशल मीडिया पर इस खबर के आते ही जिले के प्रशासनिक हलकों व खासकर उत्तर-दक्षिण वन मण्डल कार्यायल में अंदरखाने हड़कम्प की स्थति निर्मित रही।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पन्ना टाइगर रिजर्व की अमानगंज बफर रेन्ज में पदस्थ युवा वनरक्षक ब्रह्म प्रकाश सिंह के मेडिकल अवकाश की वेतन का भुगतान काफी समय से अटका हुआ था। इसके अलावा वर्ष 2016 में वनरक्षक के रूप में पदस्थ होने के बाद उनकी एक भी वेतनवृद्धि नहीं लगाई गई। अन्य वनरक्षकों की वेतनवृद्धि लगाने के बाबजूद ब्रह्म प्रकाश सिंह को इसके लाभ से वंचित रखा गया। सम्बंधित लिपिक आलोक खरे एवं स्थापना शाखा लिपिक इमानुल हक़ कुरैशी से बात करने पर उनके द्वारा पांच हजार रुपए की रिश्वत की मांग की गई। रिश्वत लिए बगैर लिपिकों के काम न करने से परेशान होकर युवा वनरक्षक ब्रह्म प्रकाश सिंह ने बुधवार 18 मार्च को लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक सागर के कार्यालय में शिकायत की। वन रक्षक की शिकायत की तस्दीक कर रिश्वत की मांग संबंधी वॉइस रिकार्डिंग कराई गई।
रिश्वत माँगने की शिकायत सही पाए जाने पर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक सागर रामेश्वर सिंह यादव के निर्देशन में ट्रैप कार्रवाई की योजना तैयार कर उसे अंजाम देने के लिए एक टीम गठित की गई। पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार शुक्रवार 20 मार्च को दोपहर करीब 2 बजे वनरक्षक ब्रह्म प्रकाश सिंह ने पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक कार्यालय में पहुंचकर स्थापना लिपिक इमानुल हक़ कुरैशी को एक हजार रुपए दिए। जबकि कथित तौर पर मुख्य लिपिक आलोक खरे कहने पर चार हजार रुपए उनकी टेबिल में फाइल के नीचे रख दिए। इस दौरान क्षेत्र संचालक कार्यालय के आसपास लोकायुक्त पुलिस की टीम सादे कपड़ों में पहले से मुस्तैद रही। रिश्वत का लेनदेन होने का इशारा मिलते ही लोकायुक्त पुलिस ने दबिश देकर दोनों लिपिकों को गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई के चलते पीटीआर कार्यालय में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई। समीप स्थित उत्तर वन मण्डल एवं दक्षिण वन मण्डल कार्यालय के अधिकारियों-कर्मचारियों को जैसे ही इस कार्रवाई की भनक लगी उनकी धड़कनें तेज हो गईं।
पैंट उतरवाकर जब्त की गई
लोकायक्त पुलिस अधीक्षक सागर कार्यालय में पदस्थ डीएसपी राजेश खेड़े ने जानकारी देते हुए बताया कि रिश्वत के रूप में लिए गए कैमिकलयुक्त करेन्सी नोट में 1000 हजार रुपए लिपिक इमानुल हक़ कुरैशी, सहायक ग्रेड-2 की पैंट की जेब में मिले। लिपिक के घर से दूसरी पेंट आने पर उनकी पैंट उतरवाकर जेब वाले हिस्से को पानी से धुलने पर उससे निकले रिश्वत के रंग का सेम्पल भरा गया। रिश्वत के रुपए के साथ उनकी पेंट भी साक्ष्य के रूप में जब्त की गई। जबकि मुख्य लिपिक आलोक खरे सहायक ग्रेड-1 के कक्ष में उनकी टेबिल पर फाइल के नीचे से रखी रिश्वत की राशि 4,000 रुपए जब्त हुए हैं। पत्रकारों के पूँछने पर मुख्य लिपिक आलोक खरे ने अपनी सफाई में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि मुझे साजिश के तहत फंसाने के लिए रुपए मेरी अनुपस्थिति में फाइल के नीचे रखे गए। उनका कहना है कि इन रुपयों की मुझे किसी तरह की कोई जानकारी ही नहीं थी। उन्होंने, अपने इस दावे की पुष्टि कमरे में लगे सीसीटीव्ही कैमरे के फुटेज से करने की बात कही है।
शिकायतकर्ता ने लगाई फटकार
उल्लेखनीय है कि, मुख्य लिपिक जब खुद को पाक-साफ़ बता रहे थे उसी दौरान समीप खड़ा शिकायतकर्ता वनरक्षक ब्रह्म प्रकाश सिंह गुस्से से भड़क उठा। उसने लोकायुक्त पुलिस व पत्रकारों के ही सामने लिपिक आलोक खरे को झूठ बोलने के लिए फटकार लगाते हुए कथिततौर उनके द्वारा रिश्वत की मांग करने की मोबाइल रिकार्डिंग सुनाकर उन्हें चुप करा दिया। भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने वाले युवा वनरक्षक ब्रह्म प्रकाश सिंह ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि भ्रष्टाचार और घूसखोरी मौजूदा समय में सबसे बड़ी समस्या है, जिससे आम आदमी और मध्यवर्गीय लोग काफी परेशान हैं। उसने बताया कि जायज काम के लिए लम्बे समय से रिश्वत के खातिर परेशान किए जाने के कारण मुझे मजबूर होकर यह सब करना पड़ा क्योंकि और कोई शेष नहीं बचा था।
पीटीआर के मुख्य लिपिक आलोक खरे की गिनती जिले के प्रमुख कर्मचारी नेताओं में होती है। लेकिन आज जब विभागीय मैदानी कर्मचारी से रिश्वत लेने आरोप में उनके पकड़े जाने की खबर आने से कर्मचारी नेताओं को तगड़ा झटका लगा। लोगों के बीच यह चर्चा रही कि जब कर्मचारी संघ के नेता ही अपने कर्मचारियों का शोषण करने लगेंगे तो उनके हितों की रक्षा फिर कौन करेगा। समाचार लिखे जाने तक दोनों रिश्वत लेने आरोप में दोनों लिपिकों के विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम के द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध करने की कार्रवाई की जा रही थी।
पन्ना में बेइंतहा भ्रष्टाचार
पन्ना जिले में पिछले कुछ वर्षों से लोकायुक्त पुलिस की लगातर ट्रैप कार्रवाई के बाबजूद रिश्वतखोरी का खेल खुलेआम जारी है। यहाँ सरकारी कार्यालयों में आमजन और विभागीय कर्मचारियों के छोटे-छोटे जायज काम भी बगैर रिश्वत के नहीं होते हैं। लोगों से रिश्वत लेने के लिए सरकारी अमला नियम-कानूनों का लेकुना बताकर उन्हें बेबजह भटकाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि परेशान होने पर सम्बंधित से आसानी से रिश्वत के रूप में मोटी रकम ऐंठी जा सके। जिले के सरकारी कार्यालयों में नीचे से लेकर ऊपर तक भ्रष्टाचार व्याप्त होने के कारण आम आदमी और निचले स्तर के कर्मचारियों की सुनवाई ही नहीं होती। इसलिए परेशान होकर लोग लोकायुक्त पुलिस संगठन की शरण में जाते हैं।
दो माह पहले ही एक शिक्षक की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने रेत से भरे एक ट्रेकर को छोड़ने के एवज में रिश्वत लेने के आरोप में गुनौर के नायब तहसीलदार और एक चौकीदार को गिरफ्तार किया था। पन्ना टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ वर्षों में लोकायुक्त पुलिस की यह तीसरी बड़ी कार्रवाई है। इसके पूर्व अमानगंज बफर रेन्ज के पूर्व वन परिक्षेत्राधिकारी संतोष सिंह मर्स्कोले और चंद्रनगर रेन्ज के वनपाल बाबू सिंह को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था। मालूम हो कि जिले के उत्तर-दक्षिण वन मण्डल, पन्ना टाइगर रिजर्व समेत विभिन्न कार्यालयों में भ्रष्टाचार और घूसखोरी चरम पर होने का परिणामस्वरूप कई लिपिकों तथा अधिकारियों के द्वारा बड़े पैमाने पर अनुपातहीन बेनामी सम्पत्ति बनाने की ख़बरें भी जन चर्चाओं में हैं।