रेत की लूट : स्वीकृत खदान क्षेत्र के बाहर बड़ी मात्रा में निकाली रेत, संयुक्त जाँच के बाद भी दर्ज नहीं हुआ अवैध उत्खनन का मामला

0
1168
पन्ना जिले की चाँदीपाठी रेत खदान में अवैध उत्खनन की संयुक्त रूप से जांच करते खनिज और राजस्व विभाग अधिकारी।

* पन्ना जिले की चाँदीपाठी रेत खदान में हुआ अवैध उत्खनन

* खनिज और राजस्व विभाग के अधिकारी कर रहे बहानेबाजी

* एक-दूसरे पर आवश्यक जानकारी न भेजने का लगा रहे आरोप

* रेत के लिए जीवनदायनी केन नदी को खोखला करने में जुटे माफिया

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में अजयगढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली चाँदीपाठी रेत खदान लम्बे समय से सुर्ख़ियों में बनीं है। जिले के अंतिम छोर पर उत्तर प्रदेश की सीमा के नजदीक केन नदी में संचालित विशाल क्षेत्रफल वाली यह खदान बड़े पैमाने पर रेत के अवैध उत्खनन, दैत्याकार मशीनों से खनन और पर्दे के पीछे खदान में हिस्सेदारी रखने वाले हाई प्रोफ़ाइल पार्टनरों को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहती है। लेकिन इस बार चाँदीपाटी खदान की चर्चा वहाँ हुए रेत अवैध उत्खनन की संयुक्त जाँच के बाद कार्रवाई में जानबूझकर की जा रही देरी को लेकर हो रही है। जांच में स्वीकृत खदान क्षेत्र के बाहर बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन पाए जाने के बाद भी ठेकेदार के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की कार्रवाई न होने से इस मामले में जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की मंशा और उनकी भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
खदान की संयुक्त जांच करने वाले राजस्व व खनिज विभाग के अधिकारी कार्रवाई में देरी को लेकर बहानेबाजी करते हुए एक-दूसरे पर आवश्यक जानकारी न भेजने का आरोप लगा रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारियों की गोलमोल बातों से ऐसा लगता है जैसे वे किसी से ग्रीन सिग्नल मिलने का इंतजार कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि चाँदीपाठी रेत खदान के सम्बन्ध प्रशासनिक स्तर भ्रम फैलाकर लोगों को गुमराह भी किया जा रहा है। इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों खनिज और राजस्व विभाग के अमले की संयुक्त जांच में चाँदीपाठी खदान में स्वीकृत क्षेत्र के बाहर बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन पाया गया लेकिन इस मामले में अब तक प्रकरण दर्ज नहीं किया।
सांकेतिक तस्वीर।
लोगों को गुमराह करने के लिए चालाक अफसरों ने ऑफ रिकॉर्ड यह प्रचारित करा दिया कि अवैध उत्खनन के मद्देनजर खदान की ईटीपी बंद की गई है। जबकि सच्चाई यह है, रेत खदान ठेकेदार पर खनिज राजस्व की बड़ी राशि बकाया होने की वजह से 2 मार्च को ईटीपी को अस्थाई तौर पर बंद किया गया था। बकाया राशि का दो किश्तों में भुगतान किए जाने पर शुक्रवार 6 मार्च की शाम ईटीपी पर लगी रोक समाप्त भी हो चुकी है। अब खदान ठेकेदार पूर्व की तरह पुनः रेत परिवहन हेतु ईटीपी जारी कर सकेगा।
सांकेतिक तस्वीर।
उल्लेखनीय है कि चाँदीपाठी रेत खदान ठेकेदार के द्वारा स्वीकृत खदान क्षेत्र के बाहर मशीनों से बड़ी मात्रा में खनन कराकर पानी के अंदर से रेत निकालने की ख़बरें लम्बे समय से आ रहीं थीं। रेत की खुलेआम जारी इस लूट की कई दिनों तक अनदेखी करने बाद मीडिया के दबाब में जिला प्रशासन द्वारा खनिज और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम को चाँदीपाठी भेजकर 27 फरवरी को खदान की जांच कराई गई। जांच टीम में शामिल रहे अधिकारियों ने खदान की नापजोख करने के पश्चात स्वीकार किया खदान क्षेत्र के बाहर से रेत का खनन हुआ है। लेकिन सप्ताह भर से अधिक का समय गुजरने के बाद भी अवैध रेत खनन का प्रकरण सम्बंधित ठेकेदार के विरुद्ध पंजीबद्ध नहीं किया गया।
नवीन संयुक्त कलेक्ट्रेट भवन पन्ना का फाइल फोटो।
मजेदार बात यह है कि, इस सम्बंध में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अजयगढ़ बी. बी. पाण्डेय से बात करने पर पहले तो उन्होंने अब तक प्रकरण दर्ज न होने पर हैरानी जताई और फिर कहा कि इस मामले में कार्रवाई नियमानुसार खनिज विभाग को ही करनी है। खदान की संयुक्त जाँच में खनिज निरीक्षक नूतन जैन शामिल रहीं है, अजयगढ़ तहसीलदार और बीरा मण्डल के नायब तहसीलदार तो उनके सहयोग के लिए गए थे। खदान के जांच सम्बंधी समस्त दस्तावेज उनके पास उपलब्ध हैं। अजयगढ़ एसडीएम श्री पाण्डेय का कहना है कि प्रकरण दर्ज करने में खनिज विभाग को यदि कोई समस्या है तो वे हमें दस्तावेज भेज दें प्रकरण हम दर्ज कर लेंगे। वहीं जब खनिज निरीक्षक नूतन जैन से बात की गई तो उन्होंने प्रकरण दर्ज करने में देरी की वजह अजयगढ़ के राजस्व अमले से आवश्यक जानकारी प्राप्त न होना बताया। इस तरह एक-दूसरे पर दस्तावेज न भेजने का आरोप लगाकर जिम्मेदार अधिकारी न सिर्फ अपनी जबावदेही से पल्ला झाड़ रहे हैं बल्कि अवैध उत्खनन के मामले को जानबूझकर लटकाए हुए हैं।
केन नदी में मशीनों से होने वाले रेत खनन का फाइल फोटो।
बहरहाल इस लेटलतीफी के कारण इन चर्चाओं को भी बल मिल रहा है कि मौजूदा प्रशासन चाँदीपाठी रेत खदान के खिलाफ कार्रवाई करने का नैतिक साहस नहीं जुटा पा रहा है। कथित तौर खदान में शामिल ऊँची पहुँच रखने वाले हिस्सेदारों को नाराज करके अधिकारी अपनी कुर्सी के लिए खतरा मोल लेना नहीं चाहते। सुगबुगाहट यह भी है कि निहित स्वार्थ पूर्ती के चक्कर में इस मामले को ठण्डे बस्ते में रखा गया है। खदान ठेकेदार से अघोषित समझौते के चलते पन्ना जिला प्रशासन 31 मार्च 2020 तक कोई भी ऐसी कार्रवाई करने से बच रहा है जिससे खदान के संचालन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े।
विदित होकि वर्तमान में पन्ना जिले की अधिकांश रेत खदानों की ईटीपी पर रोक लगी है, सरकारी रिकार्ड में सिर्फ तीन खदानें इससे बाहर हैं जिनमें शक्ति ट्रेडर्स की मोहना खदान, चाँदीपाठी और रामनई ग्राम में निजी भूमि पर फ़तेह सिंह की खदान शामिल है। फिलहाल कतिपय कारणों से मोहना खदान बंद होने से चाँदीपाठी खदान ठेकेदार और फ़तेह सिंह की चांदी हो गई है। चाँदीपाठी खदान में खनन की अनुमति 31 मार्च 2020 अथवा नए ठेकेदार मल्होत्रा कम्पनी की खदान चालू होने तक के लिए है। शायद इसीलिए पन्ना जिला प्रशासन इस खदान की अनियमितताओं को लम्बे समय तक नजरअंदाज करता रहा है, दबाब बढ़ने पर बेमन से संयुक्त जांच का दिखावा किया गया लेकिन उसका नतीजा कुछ नहीं निकला। उल्लेखनीय है इस सम्बंध में जब पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा से बात करने का प्रयास किया गया तो कई बार रिंग जाने के बाद भी उनका मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुआ।

इनका कहना है –

“खनिज राजस्व बकाया होने के कारण कुछ दिनों के लिए चाँदीपाठी रेत खदान की ईटीपी बंद की गई थी जोकि शुक्रवार शाम से पुनः शुरू हो चुकी है। राजस्व और खनिज विभाग की संयुक्त जांच में इस खदान में अवैध उत्खनन पाया गया था लेकिन अजयगढ़ के राजस्व अधिकारियों से कुछ दस्तावेज न मिलने के कारण अवैध उत्खनन का मामला फ़िलहाल दर्ज नहीं हो पाया है। सम्बंधितों से बात करके इस मामले में शीघ्र ही कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।”

– आर. के. पाण्डेय जिला खनिज अधिकारी पन्ना।