एक्सपायरी दवाएं बेच रहे केमिस्ट! महिला जनप्रतिनिधि ने सीएमएचओ से की शिकायत

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फाइल फोटो।

 पन्ना में पदस्थ ड्रग इंस्पेक्टर राजधानी भोपाल में अटैच

  जिले में पंजीकृत 3 सौ दवा दुकानों की निगरानी की नहीं व्यवस्था

पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के अति पिछड़े पन्ना जिले में कथित तौर पर नकली, नशीली एवं जोशवर्धक दवाओं का गैरकानूनी कारोबार संचालित होने की ख़बरें बीच-बीच में लगातार सुनाई देती रही हैं। अब इसी कड़ी में एक्सपायरी दवाओं की बिक्री का मामला सामने आया है। जिला मुख्यालय पन्ना में स्थित सबसे बड़ी दवा दुकान राज मेडिकल स्टोर पर जिला पंचायत से जुड़ीं एक महिला जनप्रतिनिधि को एक्सपायरी डेट की दवाएं बेंचने का आरोप है। महिला जनप्रतिनिधि द्वारा इस मामले की शिकायत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से की गई। मामला जिले के प्रशासनिक मुखिया कलेक्टर सुरेश कुमार के संज्ञान में होने की भी जानकारी मिली है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि एक्सपायरी डेट की दवा बिक्री महज़ लापरवाही का नतीज़ा है या फिर मामला कुछ ओर ही है। प्रकरण गंभीर होने के बावजूद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा तत्काल प्रभाव से कोई एक्शन न लेना कई गंभीर सवाल खड़े करता है।
जिला पंचायत पन्ना की अध्यक्ष मीना राजे परमार को बीते दिवस राज मेडिकल स्टोर से एक्सपायरी डेट की दवाओं की बिक्री कर दी गई। जिला पंचायत अध्यक्ष ने जब दवाओं पर गौर किया तो वह दंग रह गईं, क्योंकि उनके उपयोग की अंतिम तिथि समाप्त हो चुकी थी। उन्होंने आनन-फानन इसकी सूचना मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (पदेन उपसंचालक खाद्य एवं औषधि प्रशासन) को दी। जब इस संबंध में जिला पंचायत अध्यक्ष से संपर्क किया तो उन्होंने एक्सपायरी डेट की दवाइयां प्राप्त होने की बात स्वीकार की। उक्त दवाओं के सेवन से किसी तरह की कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या न होने की जानकारी देते हुए आपने बताया मैं स्वयं इसे देख लूंगी, बस इतना कहकर उन्होंने फोन काट दिया।
वहीं राज मेडिकल स्टोर संचालक ने बिना किसी लाग-लपेट के इस मामले को अपने कर्मचारी की गलती (लापरवाही) बताया है। उन्होंने बताया कि छांटकर अलग की गई एक्सपायरी दवाओं की भूलवश डिलेवरी कर दी थी लेकिन जैसे ही यह बात संज्ञान में आई तो बिना किसी देरी के बदलकर दूसरी दवाएं दी गईं। राज मेडिकल स्टोर संचालक पुष्पराज पाटकर ने कहा कि, हम अपने ग्राहकों की सेहत और सुरक्षा के साथ कभी कोई समझौता नहीं करते। नियम-कानूनों का पालन करते हुए अपने ग्राहकों को सही दवाएं देना कई दशकों से हमारी पहचान और विश्वसनीयता का सबसे मजबूत पक्ष है। इस भरोसे को आगे भी कायम रखने के लिए हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।

शिकायत मिलने पर आई डीआई की याद

एक्सपायरी डेट की दवा बिक्री संबंधी शिकायत प्राप्त होने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश तिवारी ने पन्ना में पदस्थ डीआई को तलब किया तो उन्हें पता चला कि जिले के अतिरिक्त प्रभार पर रहे ड्रग इंस्पेक्टर का अन्यत्र तबादला हो चुका है। उनके स्थान पर पन्ना में महिला औषधि निरीक्षक (ड्रग इंस्पेक्टर) को पदस्थ किया गया था। लेकिन वह राजधानी भोपाल में स्थित मुख्यालय में अटैच हैं। सीएमएचओ ने महिला औषधि निरीक्षक का मोबाइल नंबर खंगालकर उनसे बात की और उन्हें पन्ना में अपनी सेवाएं देने के लिए कहा। सीएमएचओ डॉ. तिवारी के अनुसार यदि डीआई शीघ्र ही पन्ना में आकर अपनी सेवाएं नहीं देती तो उनका अटैचमेंट समाप्त करवाने के लिए कलेक्टर सर का पत्र नियंत्रक औषधि प्रशासन को प्रेषित किया जाएगा।
बता दें कि डॉ. तिवारी को पन्ना में प्रभारी सीएमएचओ के रूप पदस्थ हुए लगभग दो माह हो चुके हैं लेकिन हालिया घटनाक्रम के पूर्व उन्हें डीआई की पदस्थापना के संबंध कोई जानकारी ही नहीं थी। सवाल उठता है, डीआई अगर पन्ना लौट भी आती हैं तो क्या वह अकेले जिले भर के लगभग 300 मेडिकल स्टोर्स की नियमित रूप से निगरानी कैसे कर पायेंगी। दवा दुकानों का संचालन नियम-कानूनों के अनुसार हो इसके लिए जरुरी है कि डीआई का अटेचमेंट समाप्त करवाकर उन्हें पन्ना लाया जाए साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर जिला स्तरीय/खंड स्तरीय कमेटियों से मेडिकल स्टोर का नियमित निरीक्षण सुनिश्चित कराया जाए।

अजयगढ़ की दवा दुकानों पर पड़े थे छापे

उल्लेखनीय है कि, जिले में दवाओं के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए कुछ माह पूर्व तत्कालीन ड्रग इंस्पेक्टर रामलखन पटेल के नेतृत्व में अजयगढ़ स्थित दवा दुकानों पर छापामार कार्रवाई की गई थी। लेकिन इसकी जद में आने से बचने के अजयगढ़ के अधिकांश केमिस्ट अपनी दुकानें बंद कर भूमिगत हो गए थे। जिले में कई वर्षों बाद दवा दुकानों पर की गई यह पहली बड़ी कार्रवाई थी, जिससे केमिस्टों (दवा दुकानदारों) में हड़कंप मचना स्वाभाविक था। छापामार कार्यवाही में दवा दुकानों में किस तरह की अनियमितताएं पाई गईं और उस पर संबंधितों के विरुद्ध क्या कार्यवाही सुनिश्चित की गई इसकी जानकारी मीडिया को आज तक नहीं दी गई। सूत्रों से पता चला है कि पन्ना जिले में अधिकांश दवा दुकानें किराए के फार्मेसी लाइसेंस पर संचालित हैं। अर्थात फार्मेसी काउंसिल का पंजीयन जिस व्यक्ति के नाम पर है उसकी जगह दवा दुकान कोई और चला रहा है। दवा दुकानें निर्धारित योग्यता-पात्रताधारी द्वारा संचालित न करने के ही कारण आए दी गड़बड़ी की ख़बरें मिल रहीं है। इनकी रोकथाम के लिए दवा दुकानों का नियमित निरीक्षण बेहद आवश्यक है।