2 अरब 70 करोड़ की रूंज सिंचाई परियोजना निर्माण का हुआ अनुबंध

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सांकेतिक फोटो।

चेन्नई की एलएण्डटी कम्पनी को मिला ठेका

39 ग्रामों की 12 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि होगी सिंचित

प्रभावित ग्रामों में भू-अर्जन कार्य कार्यवाही जारी

पन्ना। रडार न्‍यूज जिले के अजयगढ़ क्षेत्र के रहवासियों के लिए खुशखबरी है कि बहुप्रतीक्षित रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माण का रास्ता लगभग साफ हो गया है। कतिपय स्थानीय लोगों के विरोध और बांध के फाउण्डेशन निर्माण के लिए हार्ड स्टेटा (मजबूत आधार) न मिलने के कारण लम्बे समय से अधर में लटकी रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माण से जुड़ी इस तकनीकी समस्या का समाधान हो गया है। जल संसाधन विभाग द्वारा परियोजना कार्य के लिए कुछ समय पूर्व ई-टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से टेंडर बुलाये गये। 2 अरब 70 करोड़ की लागत वाली इस महत्वकांक्षी सिंचाई परियोजना के निर्माण का ठेका देश की प्रतिष्ठित कम्पनी एल.एण्ड.टी. कम्पनी चेन्नई को मिला है। पिछले सप्ताह ठेका कम्पनी के प्रतिनिधियों ने पन्ना आकर जल संसाधन विभाग के साथ कार्य का अनुबंध भी निष्पादित कर लिया है। रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माण से पन्ना जिले के अजयगढ़ विकासखण्ड के सिंहपुर-धरमपुर क्षेत्र के 39 ग्रामों की 12550 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी। इस परियोजना के पूर्ण होने पर सिंहपुर-धरमपुर क्षेत्र में खेती सच्चे अर्थों में लाभ का धंधा बन पायेगी। फलस्वरूप अन्नदाता किसान परिवार खुशहाल होंगे। जानकारों का मानना है कि कृषि से समृद्धि के मामले में तराई अंचल का यह इलाका पन्ना का पंजाब बन जायेगा। उल्लेखनीय है पन्ना जिले में रुंज नदी ग्राम मुटवाकला से निकलकर बाघिन नदी में मिलती है। अजयगढ़ विकासखण्ड अन्तर्गत अजयगढ़ घाटी के नीचे विश्रामगंज ग्राम के समीप दो पहाड़ाेें को बांध कर रूंज नदी के पानी को रोकने की योजना को मध्यप्रदेश जल संसाधन विभाग द्वारा 22 जुलाई 2011 को 269.79 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई थी। विश्रामगंज में जिस स्थल का चयन रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माण हेतु किया गया है, वहां तीन तरफ विशाल पहाड़ों के बीच में मैदानी इलाका स्थित होने से प्राकृतिक रूप से यह किसी बांध की तरह नजर आता है।
विश्रामगंज और भुजवई ग्राम होगें प्रभावित-
सिंहपुर-धरमपुर इलाके की तकदीर और तस्वीर बदलने की क्षमता रखने वाली रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माण से दो ग्राम विश्रामगंज और भुजवई के वाशिंदे प्रभावित होंगे। इस परियोजना में कुल 509.73 हेक्टेयर भूमि डूब में आयेगी। जिसमें निजी, शासकीय एवं वन भूमि शामिल है। परियोजन से प्रभावित विश्रामगंज और भुजवई के 428 परिवारों की डूब मेें आने वाली निजी भूमि 245.10 हेक्टयर के भू-अर्जन की कार्यवाही जारी है। भू-अर्जन हेतु जल संसाधन विभाग द्वारा कलेक्टर पन्ना के खाते में 2974.00 लाख रुपये जमा कराये जा चुके है। विश्रामगंज ग्राम का भू-अर्जन अवार्ड भी पारित हो चुका है। रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना से प्रभावित होने वाले ग्राम विश्रामगंज और भुजवई के परिवारों के पुनर्वास हेतु जल संसाधन विभाग द्वारा ग्राम सिमरदा में तकरीबन 28 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है। रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना में 154.91 हेक्टयर वन भूमि डूूब में आयेगी। वन भूमि के प्रथम चरण की स्वीकृति भारत शासन से प्राप्त हो चुकी है। अंतिम स्वीकृति के लिए पालन प्रतिवेदन मुख्य वन संरक्षक भोपाल द्वारा भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली को भेजा जा चुका है। योजना मेें प्रभावित वन भूमि हेतु 33 करोड़ 81 लाख 46 हजार रुपये की राशि वन विभाग को अलग-अलग मद में जारी की जा चुकी है।
भू-अर्जन के बाद शुरू होगा निर्माण कार्य-
सिंचाई परियोजना का नक्शा।
लगभग सात वर्ष पूर्व स्वीकृत इस सिंचाई योजना के निर्माण की राह में कतिपय स्थानीय लोग और बांध निर्माण हेतु हार्ड स्टेटा का न मिलना दो बड़ी बाधायें रही हैं। जल संसाधन विभाग के तकनीकी अधिकारियों द्वारा विशेष रुचि लेकर योजना के सर्वेक्षण एवं अनुसंधान कार्य कराने के फलस्वरूप रूंज बांध के मजबूत आधार के लिए आखिरकार हार्ड स्टेटा मिल गया। अब जो कानूनी अड़चनें शेष हैं, उनके निराकरण पर पन्ना से लेकर भोपाल तक के अधिकारियों ने पूरा फोकस कर रखा है। इस बीच रूंज बांध की तकनीकी स्वीकृति मुख्य अभियंता धसान-केन कछार सागर द्वारा रुपये 158.61 करोड़ की प्रदाय की गई है। बांध निर्माण हेतु विभाग द्वारा निविदा आमंत्रित की गई जिसमें चेन्नई की लार्सन एंड टर्बो कम्पनी की निविदा स्वीकृत हुई है। भारत की इस बहुराष्ट्रीय कम्पनी के प्रतिनिधियों ने पिछले दिनों पन्ना आकर रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना निर्माण कार्य का अनुबंध जल संसाधन विभाग के साथ निष्पादित कर लिया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार निर्माण कार्य की ड्राईंग-डिजाइन स्वीकृत कराने, भू-अर्जन कार्यवाही पूर्ण होने तथा अन्य औपचारिकताओं को पूर्ण करने के बाद निर्माण कार्य प्रारंभ किया जायेगा।
सिंचाई परियोजना के तकनीकी पहलू-
महत्वकांक्षी रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना के तकनीकी पहलुओं पर गौर करें तो 1176 हेक्टेयर लम्बाई का मिट्टी बांध और 147 मीटर पक्के बांध का निर्माण कराया जायेगा। इस परियोजना का कुल डूब क्षेत्र 509.73 हेक्टेयर जिसमें वन भूमि 154.91 हेक्टेयर, शासकीय भूमि 87.90 हेक्टेयर और 266.92 हेक्टेयर निजी भूमि सम्मलित है। जल संसाधन विभाग को दावा है इस परियोजना का जल ग्रहण क्षेत्र 226.17 वर्ग किलोमीटर और भराव क्षमता 72 मिलियन घन मीटर होगी। रूंज नदी के पानी को रोकने के लिए पक्के बांध में 6 नग गेट लगाये जायेेंगे। इसके पानी से सिंहपुर-धरपुर क्षेत्र के 39 ग्रामों की 12550 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हेतु प्रेशर एरीगेशन तकनीक के तहत् जमीन के नीचे 42 किलो मीटर लम्बी पाईप लाईन बिछाई जायेगी। पाईप लाईन के जरिये नहर की तरह खेतों में पानी पहुंचाने का एक बड़ा फायदा यह होगा कि खेती की जमीन अनुपयोगी नहीं होगी, पानी की बर्बादी रूकेगी, नहरों की टूट-फूट भराव आदि की समस्या से छुटकारा मिल जायेगा और किसानों को बड़ी ही सुगमता से उनके खेतों को सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सकेगा। जिन किसानों के खेतों में जमीन के अन्दर पाईप लाइन बिछाई जायेगी उन्हें शासन के नियमानुसार मुआवजा भी दिया जायेगा।
खर्च हुए 66 करोड़ –
फाइल फोटो ।
रूंज सिंचाई परियोजना पर चार साल तक चले सर्वे और 42 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया था कि बांध के फाउंडेशन निर्माण के लिए जरूरी गहराई तक हार्ड स्टेटा नहीं मिल पा रहा है। जिस गहराई पर हार्ड स्टेटा मिल रहा है उतनी गहराई पर फाउंडेशन (बांध के आधार) को अपेक्षित मजबूती नहीं मिलने की आशंका के चलते यह परियोजना कुछ समय के लिए अघोषित तौर पर स्थगित कर दी गई थी। इसके साथ ही परियोजना को पुनरीक्षित करने के साथ नया नक्शा तैयार करने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजे गए थे। इसके बाद बीते दो साल से परियोजना बंद जैसी स्थिति मेें रही। कुछ बदलाव के साथ नये सिरे से स्थल सर्वेक्षण होने पर आखिरकार बांध की मजबूती के लिए हार्ड स्टेटा (ठोस आधार) मिल गया। लेकिन इसके लिए विभाग को परियोजना के सर्वेक्षण कार्य पर 42 लाख से अधिक की राशि खर्च करनी पड़ी। रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना को आकार देने के लिए मार्च माह 2018 तक की स्थिति में विभिन्न कार्यों पर 66 करोड़ रुपये का व्यय होना बताया जा रहा है। जिसमें परियोजना के सर्वेक्षण कार्य के अलावा भू-अर्जन पर 2974 लाख, वन भूमि पर 3381.46 लाख और 202.43 अन्य व्यय शामिल है।
अब इन कार्यों पर व्यय होगी राशि-
2 अरब 69 करोड़ 79 लाख रुपये की लागत वाली रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना को मूर्तरूप देने के लिए अब जो कार्य कराये जाने शेष हैं, उसमें मुख्य रूप से बांध निर्माण (शीर्ष कार्य) पर 175.68 करोड़ की लागत आयेगी। इसके अलावा नहर कार्य (पाईप लाइन बिछाने) पर 85.03 करोड़, प्रभावित ग्रामीणों के पुनर्वास स्थल पर आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर 21.35 करोड़, विद्युत लाईन शिफ्टिंग पर 20 लाख तथा बांध निर्माण से डूबने वाली रोड के नवीन निर्माण (डायवर्सन रोड) पर 350 लाख खर्च होंगे।
शुगर उत्पादन की बनेगी संभावना –
रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना से अजयगढ़ विकासखण्ड के जिस इलाके के वर्ष भर सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी वहां के किसान पिछले कई दशकों से गन्ने की खेती सीमित दायरे में कर रहे है। बावजूद इसके सिंहपुर-धरमपुर का इलाका गन्ना उत्पादन के लिए जाना जाता है। गन्ना उगाने के साथ-साथ यहां के कुछ किसान देशी पद्धति से घर पर ही उससे गुड़ तैयार करते हैं। सिंचाई की बेहतर सुविधा मिलने पर इस इलाके में गन्ने का कई गुना बम्फर उत्पादन होना तय है। भविष्य में यहां सुगर फैक्ट्री और गुड़ निर्माण की इकाई स्थापित होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। जल संसाधन विभाग के ही सेवानिवृत्त इंजीनियर एलडी सिंह का मानना है कि रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माण से अति पिछड़े सिंहपुर-धरमपुर क्षेत्र में हरित क्रांति आयेगी। यहां के किसानों परिवारों का जीवन स्तर बेहतर होगा और गन्ने का उत्पादन बढ़ने से क्षेत्र के औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
इनका कहना है-
       ‘‘रूंज मध्यम सिंचाई परियोजना का टेण्डर स्वीकृत होने पर इसके निर्माण हेतु एल.एण्ड.टी. कम्पनी के साथ इसी महीने अनुबंध हो चुका है। कार्य कब से प्रारंभ होगा यह बता पाना फिलहाल संभव नहीं है, क्योंकि निविदा शर्तों के अनुसार कम्पनी को इसके पहले अन्य कई औपचारिकतायें पूरी करनी है।‘‘
                                                                 -जेके ठाकुर, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग पन्ना

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