सुप्रीम कोर्ट ने सिलिकोसिस पीड़ित मजदूरों के मुआवजा और पुनर्वास पर राज्यों से मांगी रिपोर्ट

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फाइल फोटो।

*     वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने की सिलिकोसिस पीड़ित संघ की पैरवी

*     पन्ना समेत मध्य प्रदेश के छह जिलों के सिलिकोसिस पीड़ित मजदूरों की बात उठाई

पन्ना।(www.radarnews.in) फेंफड़ों को पत्थर बना देने वाली जानलेवा बीमारी सिलिकोसिस से पीड़ित मजदूर तिल-तिल मर रहे हैं। इंसाफ मिलने की आस में लंबी होती कानूनी लड़ाई के चलते सिलिकोसिस पीड़ित मजदूरों सांसें लगातार असमय थमती जा रही हैं। हालांकि अब इनका संघर्ष निर्णायक स्थिति में पहुंच चुका है। यह महज संयोग ही है कि अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस यानी मई दिवस या श्रमिक दिवस के एक दिन पूर्व 30 अप्रैल को सिलिकोसिस पीड़ित मजदूरों से जुड़ी बेहद महत्वपूर्ण खबर आई है। देश की सबसे बड़ी अदालत में मंगलवार को सिलिकोसिस से पीड़ित तथा मृत मजदूरों के मुआवजा और समुचित पुनर्वास से जुड़ी विचाराधीन जनहित याचिका क्रमांक 110/2006 पर सुनवाई की गई । प्रकरण में सिलिकोसिस पीड़ित संघ की ओर से सुप्रीम कोर्ट के जानेमाने वकील प्रशांत भूषण ने पैरवी की। कोर्ट में हुई सुनवाई की जानकारी सिलिकोसिस पीड़ित मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत पृथ्वी ट्रस्ट पन्ना की अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता समीना यूसुफ ने दी है।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने महत्वपूर्ण तथ्य रखते हुए बताया कि, सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले आदेश में सिलिकोसिस के लिए जिम्मेदार देशभर की फैक्ट्रियों की जांचकर एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी गयी थी। परंतु केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने केवल गुजरात की 35 फैक्ट्रियों की जांच रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की है। ये फैक्ट्रियां न केवल पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं बल्कि इनसे मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही पर्यावरणीय कानूनों का पालन नहीं करने वाली सभी फैक्ट्रियों को तुरंत बंद करवाने की मांग की।
सर्वोच्च न्यायालय ने सिलिकोसिस मृतकों को मुआवजा नहीं देने पर सभी राज्य सरकारों से जवाब मांगा है। मंगलवार की सुंनवाई में सिलिकोसिस से मध्यप्रदेश के धार झाबुआ अलीराजपुर, पन्ना और विदिशा के 274 मृत पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिलने की बात भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाते हुए सभी सिलिकोसिस पीड़ितों के पुनर्वास के लिए मांग की गई।
पत्थर खदान, स्टोन क्रेशर समेत कुछ फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों के सिलिकोसिस नामक जानलेवा बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक रहती है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सुनवाई में सिलिकोसिस मृतकों और पीड़ितों के मुआवजा के मुद्दे पर अपना पक्ष प्रस्तुत किया। सर्वोच्च न्यायालय ने सिलिकोसिस की स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सभी राज्य सरकारों को निर्देशित किया था, परंतु केवल झारखंड और हरयाणा ने ही रिपोर्ट प्रस्तुत की बाकी राज्यों को भी जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। सिलिकोसिस पीड़ित संघ मध्यप्रदेश के 6 जिलो धार, झाबुआ, अलीराजपुर, पन्ना, विदिशा और मंदसौर के कुल 3216 सिलिकोसिस पीड़ितों कि बात उठाई। जिनमें से 1097 जीवित तथा 1148 पीड़ित मृतकों का मामला भी न्यायालय के संज्ञान में लाया गया। साथ ही कर्नाटक के 300 सिलिकोसिस पीड़ितों की मृत्यु और पश्चिम बंगाल के दो जिलों 24 उत्तर परगना और 24 दक्षिण परगना 38 सिलिकोसिस पीड़ितों एवं 20 पीड़ित मृतकों का मामला भी उठाया।
खान सुरक्षा महानिदेशालय ने अपने शपथ पत्र में बताया कि देशभर की 14064 फैक्ट्रियों की जाँच की गई। जिसमें पर्यावरणीय एवं अन्य कानूनों के उल्लंघन के 3076 मामले सामने आए। परंतु किसी भी फैक्ट्री पर कार्यवाही न होने पर अधिवक्ता द्वारा चिंता जताई गई। संघ ने देश के 31 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के सभी सिलिकोसिस पीड़ितों के लिए न्याय की बात करते हुये सभी के लिए पुनर्वास और मृतकों के के लिए मुआवजे की मांग को उठाया है।