स्वीकृत क्षेत्र के बाहर चल रही खदानें
एनजीटी के निर्देशों को ताक पर रखकर मशीनों से निकाल रहे रेत
पन्ना।रडार न्यूज बुन्देलखण्ड अंचल के पन्ना, छतरपुर और बांदा जिले की जीवन रेखा कहलाने वाली केन नदी का अस्तित्व संकट में है। देश की चुनिंदा स्वच्छ जल राशि वाली नदियों में शुमार सदानीरा केन की रेत लूटने की होड़ में माफिया इसे बरसाती नदी में तब्दील करने में तुले है। पन्ना जिले के अजयगढ़ क्षेत्र में रेत की संगठित लूट चरम पर है। यहां केन नदी पर स्वीकृत खदानों के बाहर कई किलोमीटर में दैत्याकार मशीनों से पानी के अंदर की रेत निकाली जा रही है। कुछ खदानें तो ऐसी है कि जिनमें रेत कई माह पूर्व ही समाप्त हो चुकी है बावजूद इसके उन खदानों के ई-पिटपास जारी करने पर अब तक कोई रोक नहीं लगाई गई। फलस्वरूप केन नदी में अवैध उत्खनन कर निकाली जाने वाली रेत के परिवहन का गोरखधंधा इन्हीं खदानों के ई-पिटपास बड़े मजे से चल रहा है। विश्वस्त्र सूत्रों से हांसिल जानकारी के अनुसार अजयगढ़ क्षेत्रांतर्गत वर्तमान में केन नदी पर जिगनी, फरस्वाहा, सुनहरा, बाबा का पुरवा, चंदौरा, उदयपुर, मझगांय, बीरा क्रमांक-02, बीरा क्रमांक-01 चांदीपाठी, खरौनी, बरौली, रामनई, बरकोला एवं केन की सहायक नदियों रूंज तथा बागे नदी में हरदी, टिकुरिहा, मगरदहा, खोरा, परनियापुरवा, अमरछी, सहित अन्य स्थानों पर पूर्णतः अवैध तरीके से प्रतिदिन सैकड़ों घन मीटर रेत निकाली जाती है। क्षेत्रीय राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों तथा पन्ना में बैठे खनिज विभाग के अफसरों की सांठगांठ से माफिया नदियों के विनाश की इबारत लिख रहे है। बीच-बीच में होने वाली प्रशासन की कार्यवाही महज दिखावे तक ही सीमित है। जिसका नजीता यह है कि रेत के अवैध उत्खनन पर रोक लगने के बजाय नदी के सूखने के साथ ही यह दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है। रेत की इस लूट में सबकी अपनी-अपनी हिस्सेदारी है। खदान क्षेत्रों में फैली चर्चाओं पर भरोसा करें तो उक्त सभी स्थानों पर होने वालों अवैध उत्खनन में स्थानीय दबंग, आपराधिक तत्व, माफिया, भाजपा-कांग्रेस के नेता व जनप्रतिनिधि एवं पत्रकार शामिल बताये जा रहे है।
इन खदानों में नहीं बची रेत-

अजयगढ़ क्षेत्र में केन नदी पर स्वीकृत रेत खदान बीरा क्रमांक-01, बीरा क्रंमाक-02, चंदौरा, बरकोला, मझगांय, सुनहरा, उदयपुर खदान के स्वीकृत रकबे में रेत कई माह पहले ही खत्म हो चुकी है। इसकी जानकारी खनिज विभाग समेत अजयगढ़ और पन्ना के प्रशासनिक अधिकारियों को भी है। लेकिन खदान ठेकेदारों से होने वाले ‘‘फीलगुड‘‘ के चक्कर में अब तक न तो इनके ई-पिटपास पर रोक लगाई गई और न ही जिम्मेदार अफसरों ने मौके पर जाकर यह देखना उचित समझा कि खदान में रेत खत्म होने के बावजूद प्रतिदिन इतनी बड़ी मात्रा में रेत कहां से निकाली जा रही है। वहीं धरमपुर क्षेत्र में रूंज और बागे नदी पर एक भी खदान स्वीकृत न होने के बावजूद सत्ताधारी दल भाजपा के नेता, उनके परिजन और स्थानीय दबंगों ने रेत निकालने के लिए कई किलोमीटर में नदियों में खुदाई कर उन्हें खोखला कर दिया है। जिसका दुष्परिणाम यह है कि बड़े क्षेत्र में दोनों ही नदियां सूख चुकी है।
खुलेआम चल रहीं मशीनें-

मशीनों से रेत के उत्खनन पर एनजीटी की रोक के बावजूद प्रशासन, पुलिस और सत्ता का संरक्षण प्राप्त माफिया केन और उसकी सहायक नदियों की ज्यादा से ज्यादा रेत निकालने के लिए दैत्याकार मशीनों से इन नदियों का सीना ही नहीं बल्कि उनकी कोख भी छलनी कर रहे है। जमीनी हकीकत यह है कि केन नदी के जिगनी घाट में एक भी खदान स्वीकृत न होने के बावजूद वहां चंदौरा खदान ठेकेदार, स्थानीय दबंग, भाजपा संगठन से जुडे़ लोग रात-दिन जेसीबी-पोकलैण्ड मशीनें चलाकर रेत निकाल रहे है। चांदीपाठी खदान में भी दिनदहाड़े लिफ्टर और मशीनें चल रही है। जबकि अन्य खदानों बरकोला, रामनई, बरौली, खरौनी, उदयपुर, बाबा का पुरवा, फरस्वाहा, मझगांय, बीरा क्रमांक-02 और 01 में शाम ढलते ही नदी में मशीनें उतार दी जाती है।
कम हो रही जलधारण क्षमता-

शिवराज सरकार में मध्यप्रदेश में अवैध उत्खनन लगातार तेजी से बढ़ा है। विभिन्न सर्वेक्षणों के नतीजे इसका प्रमाण है। अब तो विपक्षी दलांे के नेता भी खुलकर शिवराज सरकार पर खेती के बजाय रेती को लाभ का धंधा बनाने का आरोप लगा रहे है। पन्ना जिले में हर तरफ मची खनिज सम्पदा की बेतहाशा लूट को देखते हुए यही प्रतीत हो रहा है कि शासन और प्रशासन ने माफियाओं को पूरी छूट दी रखी है। एक तरफ जहां खुलेआम अवैध पत्थर खदानें चल रही वहीं दूसरी ओर केन नदी से तकरीबन 20 स्थानों पर अवैध तरीके से रेत निकाली जा रही है। जिसका दुष्परिणाम यह है कि नदी की जलधारण क्षमता तेजी से कम हो रही है। केन नदी पर विस्तृत अध्ययन करने वाले सैनड्रप संस्था के भीम सिंह रावत व वेदितम संस्था के सिद्र्धाथ अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट में इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है। इन दोनों सामाजिक कार्यकर्ताओं की अध्यनरत रिपोर्ट बताती है कि मशीनों से पानी के अंदर की रेत निकाले जाने के कारण केन के जलीय जीव-जन्तु, वनस्पति तेजी से समाप्त हो रही है। इसका सीधा दुष्परिणाम नदी की जैविविधता पर पड़ रहा है। साथ ही केन नदी पर आश्रित मछुआरों और नदी किनारे खेती करने वाले किसानों की समस्यायें लगातार बढ़ रही है। इनका मानना है कि समय रहते केन को नहीं बचाया गया तो केन नदी भी अपनी सहायक नदियों की तरह बरसाती नदी बन सकती है।
न फोन उठाया न मैसेज का जबाब दिया-
केन नदी रेत के अवैध उत्खनन के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो उनके फोन रिसीव नहीं हुए और मैसेज का कोई जवाब नहीं मिला। पन्ना के जिला खनिज अधिकारी संतोष सिंह, कलेक्टर मनोज खत्री व सागर संभाग के कमिश्नर मनोहर दुबे को काॅल करने पर उनका मोबाईल रिसीव नहीं हुआ। वहीं कलेक्टर श्री खत्री को वाट्सएप्प पर जब मैसेज भेजा गया तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया। समझ नहीं आता कि जल संरक्षण और संवर्धन की बात करने वाले प्रशासनिक अधिकारी और सरकार के नुमाईंदे केन नदी साथ हो रहे अत्याचार पर खामोश क्यों है।
purchase inderal generic – inderal 20mg generic methotrexate 10mg drug
order amoxil online cheap – ipratropium order online buy ipratropium cheap
buy generic azithromycin 500mg – buy cheap generic tinidazole buy nebivolol sale
buy generic clavulanate – atbioinfo.com purchase ampicillin online cheap
cost nexium – anexa mate buy esomeprazole 20mg pills
purchase medex – anticoagulant buy cozaar generic
mobic 15mg tablet – mobo sin how to get meloxicam without a prescription
deltasone pill – https://apreplson.com/ order prednisone 5mg pills
ed pills otc – https://fastedtotake.com/ buy ed pills fda