हाईकोर्ट ने कलेक्टर और कमिश्नर का आदेश किया रद्द, कांग्रेस नेता की याचिका पर सुनाया फैसला

0
1067
फाइल फोटो।

*   पन्ना जिले की अजयगढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष को पद से पृथक करने का मामला

*    कोर्ट ने माना धारा 40 की कार्यवाही के पूर्व जांच की प्रक्रिया का पालन न कर पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों का किया उल्लंघन

पन्ना।(www.radarnews.in) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर ने पन्ना जिले की अजयगढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष भरत मिलन पाण्डेय को पद से पृथक किए जाने के बहुचर्चित मामले में अहम फैसला सुनाया है। कांग्रेस नेता की ओर प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मध्य प्रदेश शासन एवं अन्य के विरुद्ध दाखिल रिट याचिका पर सुनवाई उपरांत कोर्ट ने फैसला देते हुए अजयगढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष भरत मिलन पाण्डेय को पद से पृथक करने संबंध में पन्ना कलेक्टर एवं कमिश्नर सागर संभाग के द्वारा पारित आदेश को निरस्त कर दिया गया है।
न्यायमूर्ति विशाल धगत ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि, सार्वजानिक पद धारक (निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि) को बगैर किसी जांच के पद से पृथक किया गया। जबकि पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के प्रावधानों के अनुसार किसी भी पंचायत प्रतिनिधि को जांच के बाद ( प्रकिया अनुसार) ही पद से हटाया जा सकता है। चूंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई है, ऐसी परिस्थितियों में कोर्ट ने माना कि कलेक्टर एवं विहित प्राधिकारी जिला पन्ना के द्वारा पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा 40 के लिए अपनाई जाने वाली प्रकिया का पालन न कर अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पद से पृथक करने का आदेश को पारित किया गया था। इसलिए कोर्ट ने कलेक्टर एवं विहित प्राधिकारी जिला पन्ना एवं कमिश्नर सागर संभाग के विवादित फैसलों को निरस्त कर दिया है।
सोमवार 2 मई को पारित निर्णय में कोर्ट ने स्पष्ट किया है, प्रकरण में शासन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता यह दिखाने में असमर्थ रहे कि याचिकाकर्ता को पद से हटाने के पूर्व उसके खिलाफ जांच की गई है। इन परिस्थितियों में पन्ना कलेक्टर एवं कमिश्नर सागर संभाग के द्वारा क्रमशः दिनांक 22 अक्टूबर 2021 एवं 20 जनवरी 2022 को जारी आदेश रद्द किए जाते हैं। कोर्ट ने कहा, अगर याचिकाकर्ता के विरुद्ध पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा 40 के तहत कार्रवाई करने लिए समुचित आधार है तो प्रतिवादी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन धारा 40 की कार्यवाही प्रक्रियानुसार जांच कराने का निर्देश देने के बाद ही मामले में उचित आदेश पारित करें।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय।
हाईकोर्ट के द्वारा इस निर्देश के साथ रिट याचिका का निपटारा किया गया। कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एन. सिंह के द्वारा पैरवी की गई। बहरहाल हाईकोर्ट जबलपुर के इस फैसले के बाद अजयगढ़ जनपद पंचायत की कुर्सी पर भरत मिलन पाण्डेय की पुनः ताजपोशी होने का रास्ता साफ़ हो गया है। उधर, हाईकोर्ट जबलपुर के फैसले पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय ने ख़ुशी जाहिर करते हुए अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में इसे सत्य की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि, मुझे कोर्ट से न्याय मिलने का पूर्ण विश्वास था जोकि एक बार फिर अटूट साबित हुआ है।

रेत की लूट का मुद्दा उठाने के बाद गई थी अध्यक्षी

उल्लेखनीय है कि, पन्ना जिले की अजयगढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत विगत दो वर्षों से बड़े पैमाने पर रेत का खुलेआम अवैध खनन जारी है। मध्यप्रदेश शासन के खनिज साधन मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बेखौफ चल रहा हजारों करोड़ की रेत का यह महाघोटाला मध्यप्रदेश के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा खनिज घोटाला बताया जा रहा है। शासन-प्रशासन के संरक्षण में होने वाली रेत की लूट का ज्वलंत मुद्दा अजयगढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष भरत मिलन पाण्डेय ने बीते वर्ष प्रमुखता उठाया था। वे इस मामले को एनजीटी भी ले गए थे। फिर भी अवैध रेत खनन पर अंकुश न लग पाने की स्थित में भरत मिलन ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह से मुलाक़ात कर उन्हें रेत खनन घोटाले की जानकारी देकर इससे संबंधित अहम साक्ष्य सौंपे थे।

कोर्ट के बरी करने के बाद भी कलेक्टर ने किया था दण्डित !

राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मामले की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए अजयगढ़ जनपद अध्यक्ष के आवेदन पत्र का हवाला देकर लोकायुक्त जस्टिस से रेत खनन घोटाले की लिखित शिकायत की थी। कथित तौर रेत खनन घोटाले की शिकवा-शिकायत तथा अवैध खनन को संरक्षण देने के आरोपों से घिरे सत्तापक्ष की जबर्दस्त नाराजगी के बीच न्यायालय कलेक्टर एवं विहित प्राधिकारी जिला पन्ना के द्वारा अजयगढ़ जनपद पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष भरत मिलन पाण्डेय को पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा 40 के तहत पद से पृथक कर दिया था। साथ ही उन्हें चुनाव लड़ने पर छह वर्ष की कालावधि के लिए निरहित घोषित कर दिया था।
फाइल फोटो।
पन्ना कलेक्टर के इस विवादित आदेश की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि, भरत मिलन पाण्डेय को पद से हटाने की कार्यवाही में जिस आपराधिक प्रकरण को आधार बनाया गया था उसमें अजयगढ़ का व्यवहार न्यायालय करीब साल भर पहले उन्हें बरी कर चुका था। कलेक्टर के फैसले के खिलाफ कमिश्नर सागर संभाग के न्यायालय में अपील की गई लेकिन पाण्डेय को वहाँ से राहत नहीं मिली। इसके बाद कांग्रेस नेता भरत मिलन ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी।