* पन्ना जिले की अजयगढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष को पद से पृथक करने का मामला
* कोर्ट ने माना धारा 40 की कार्यवाही के पूर्व जांच की प्रक्रिया का पालन न कर पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों का किया उल्लंघन
पन्ना।(www.radarnews.in) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर ने पन्ना जिले की अजयगढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष भरत मिलन पाण्डेय को पद से पृथक किए जाने के बहुचर्चित मामले में अहम फैसला सुनाया है। कांग्रेस नेता की ओर प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मध्य प्रदेश शासन एवं अन्य के विरुद्ध दाखिल रिट याचिका पर सुनवाई उपरांत कोर्ट ने फैसला देते हुए अजयगढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष भरत मिलन पाण्डेय को पद से पृथक करने संबंध में पन्ना कलेक्टर एवं कमिश्नर सागर संभाग के द्वारा पारित आदेश को निरस्त कर दिया गया है।
न्यायमूर्ति विशाल धगत ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि, सार्वजानिक पद धारक (निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि) को बगैर किसी जांच के पद से पृथक किया गया। जबकि पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के प्रावधानों के अनुसार किसी भी पंचायत प्रतिनिधि को जांच के बाद ( प्रकिया अनुसार) ही पद से हटाया जा सकता है। चूंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई है, ऐसी परिस्थितियों में कोर्ट ने माना कि कलेक्टर एवं विहित प्राधिकारी जिला पन्ना के द्वारा पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा 40 के लिए अपनाई जाने वाली प्रकिया का पालन न कर अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पद से पृथक करने का आदेश को पारित किया गया था। इसलिए कोर्ट ने कलेक्टर एवं विहित प्राधिकारी जिला पन्ना एवं कमिश्नर सागर संभाग के विवादित फैसलों को निरस्त कर दिया है।
सोमवार 2 मई को पारित निर्णय में कोर्ट ने स्पष्ट किया है, प्रकरण में शासन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता यह दिखाने में असमर्थ रहे कि याचिकाकर्ता को पद से हटाने के पूर्व उसके खिलाफ जांच की गई है। इन परिस्थितियों में पन्ना कलेक्टर एवं कमिश्नर सागर संभाग के द्वारा क्रमशः दिनांक 22 अक्टूबर 2021 एवं 20 जनवरी 2022 को जारी आदेश रद्द किए जाते हैं। कोर्ट ने कहा, अगर याचिकाकर्ता के विरुद्ध पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा 40 के तहत कार्रवाई करने लिए समुचित आधार है तो प्रतिवादी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन धारा 40 की कार्यवाही प्रक्रियानुसार जांच कराने का निर्देश देने के बाद ही मामले में उचित आदेश पारित करें।