बुन्‍देलखण्ड क्षेत्र में ग्रीष्मकाल के दौरान पेयजल व्यवस्था की विशेष निगरानी

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सांकेतिक फोटो

पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव एवं प्रमुख अभियंता कर रहे सघन भ्रमण 

भोपाल। रडार न्यूज़ प्रदेश के बुन्‍देलखण्ड क्षेत्र के सागर, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह एवं दतिया जिलों के साथ प्रदेश के अन्य जिलों में भी ग्रामीण क्षेत्र में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा पेयजल प्रदाय करने के लिये पर्याप्त प्रयास किये जा रहे हैं। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जिलों में पिछले 2-3 वर्षों में अल्प-वर्षा के कारण पेयजल अथवा जल से संबंधित अन्य समस्याएँ प्रदेश की तुलना में अधिक थीं। विभाग ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में विशेष प्रयास कर स्थापित नल-जल योजनाओं/स्थल जल योजनाओं एवं हैण्ड-पम्पों को चालू बनाये रखने के लिये विशेष प्रयास किये हैं। समूचे बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 6 जिलों में कुल 2177 नल-जल योजनाएँ एवं कुल 54 हजार 780 हैण्ड-पम्प स्थापित हैं। सागर जिले में 10 हजार 686 स्थापित हैण्ड-पम्पों में से वर्तमान में 10 हजार 6 हैण्ड-पम्प चालू एवं 620 जल-स्तर नीचे जाने एवं 60 हैण्ड-पम्प अन्य कारणों से बंद हैं। छतरपुर जिले में 10 हजार 124 स्थापित हैण्ड-पम्पों में से वर्तमान में 8828 हैण्ड-पम्प चालू एवं 1199 जल-स्तर नीचे जाने एवं 197 हैण्ड-पम्प अन्य कारणों से बंद हैं। पन्ना जिले में 9510 स्थापित हैण्ड-पम्पों में से वर्तमान में 8612 हैण्ड-पम्प चालू एवं 738 जल-स्तर नीचे जाने एवं 160 हैण्ड-पप अन्य कारणों से बंद हैं। टीकमगढ़ जिले में 9606 स्थापित हैण्ड-पम्पों में से वर्तमान में 7931 हैण्ड-पम्प चालू एवं 1339 जल-स्तर नीचे जाने एवं 336 हैण्ड-पम्प अन्य कारणों से बंद हैं। दमोह जिले में 9376 स्थापित हैण्ड-पम्पों में से वर्तमान में 9043 हैण्ड-पम्प चालू एवं 206 जल-स्तर नीचे जाने एवं 127 हैण्ड-पम्प अन्य कारणों से बंद हैं। इसी प्रकार दतिया जिले में 5478 स्थापित हैण्ड-पम्पों में से वर्तमान में 5372 हैण्ड-पम्प चालू एवं 62 जल-स्तर नीचे जाने एवं 44 हैण्ड-पम्प अन्य कारणों से बंद हैं। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सागर, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह एवं दतिया जिले में क्रमश: 664, 347, 348, 319, 355 एवं 144 नल-जल योजनाएँ/स्थल जल-योजनाएँ स्थापित हैं। इनमें से क्रमश: 547, 272, 267, 155, 330 एवं 138 योजनाएँ कार्यरत हैं। ग्रीष्म ऋतु में स्रोत सूखने से बंद योजनाओं को तत्काल नवीन नल-कूप खनन कर चालू करने का भरपूर प्रयास विभाग द्वारा किया जा रहा है।

जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति गठित

लघु सुधार की योजनाएँ, जिनमें बहुत कम राशि में कार्य करके पंचायत के माध्यम से ही पेयजल योजना चालू की जा सके, इसके लिये जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इस समिति में मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत एवं कार्यपालन यंत्री, लोक स्वास्थ्य विभाग सदस्य हैं, इन्हें 20 लाख रुपये प्रति योजना प्रति वर्ष तक की राशि की स्वीकृति के अधिकार दिये गये हैं। स्थानीय स्तर पर जिलों के कलेक्टर एवं जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से भी समन्वय स्थापित कर लघु सुधार की योजनाओं को ग्राम पंचायतों के माध्यम से चालू करवाया गया है। वृहद सुधार वाली योजनाओं को विभाग द्वारा चालू किया गया है।

 प्रत्येक विकासखण्ड में 8-8 नवीन योजना का चयन

प्रत्येक घर को नल के माध्यम से जल उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से नवीन ‘मुख्यमंत्री ग्राम पेयजल योजना’ के अंतर्गत प्रदेश के प्रत्येक विकासखण्ड में कुल 8-8 नवीन योजनाओं का चयन किया गया है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सागर जिले की कुल 40 योजनाएँ लागत रुपये 36 करोड़ 4 लाख की स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 18 योजनाओं के लिये निविदाएँ प्राप्त हो चुकी हैं। छतरपुर जिले की कुल 23 योजनाएँ लागत रुपये 25 करोड़ 25 लाख की स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 2 योजनाओं के लिये निविदाएँ प्राप्त हो चुकी हैं। पन्ना जिले की कुल 8 योजनाएँ लागत रुपये 9 करोड़ 47 लाख की स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 5 योजनाओं के लिये निविदाएँ प्राप्त हो चुकी हैं। टीकमगढ़ जिले की कुल 24 योजनाएँ लागत रुपये 36 करोड़ 4 लाख की स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 9 योजनाओं के लिये निविदाएँ प्राप्त हो चुकी हैं। दमोह जिले की कुल 16 योजनाएँ लागत रुपये 14 करोड़ 65 लाख की स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 13 योजनाओं के लिये निविदाएँ प्राप्त हो चुकी हैं एवं दतिया जिले की कुल 18 योजनाएँ लागत रुपये 15 करोड़ 90 लाख की स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 12 योजनाओं के लिये निविदाएँ प्राप्त हो चुकी हैं। इस वित्तीय वर्ष में 4-4 योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाना है। निविदाओं की शर्तों का सरलीकरण करने से इन योजनाओं में से अधिकतर योजनाओं के लिये निविदाएँ प्राप्त हो गई हैं एवं इनके क्रियान्वयन की कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है।

हैण्ड-पम्पों का संधारण

पहले से स्थापित हैण्ड-पम्पों के संधारण के लिये विभाग ने सतत गंभीर प्रयास किये हैं। पिछले एक वर्ष में सागर जिले में 3406 हैण्ड-पम्पों में कुल 28 हजार 204 मीटर पाइप बढ़ाकर, छतरपुर जिले में 3037 हैण्ड-पम्पों में 11 हजार 214 मीटर, पन्ना जिले में 3242 हैण्ड-पम्पों में 17 हजार 943 मीटर, टीकमगढ़ जिले में 3036 हैण्ड-पम्पों में 17 हजार 932 मीटर, दमोह जिले में 2673 हैण्ड-पम्पों में 18 हजार 269 मीटर एवं दतिया जिले में 805 हैण्ड-पम्पों में 3979 मीटर पाइप बढ़ाकर उन्हें चालू किया गया है। इसके अतिरिक्त पिछले एक वर्ष में सागर जिले में 16 हजार 265 हैण्ड-पम्पों के मरम्मत का कार्य, छतरपुर जिले में 19 हजार 766, पन्ना जिले में 12 हजार 458, टीकमगढ़ जिले में 14 हजार 85, दमोह जिले में 9511 और दतिया जिले में 3185 हैण्ड-पम्पों के मरम्मत का कार्य करवाकर पेयजल उपलब्ध करवाया गया है। इस प्रकार हैण्ड-पम्पों को राइजर पाइप बढ़ाकर या साधारण खराबी होने पर त्वरित गति से सुधार कार्य कर चालू करने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है।

सिंगल फेस सब-मर्सिबल पम्प

ऐसे ग्राम जिनके हैण्ड-पम्पों में जल-स्तर 200 फिट से नीचे जाने के कारण अधिकतर हैण्ड-पम्प बंद होने की स्थिति में थे, उनमें भी आवश्यकता अनुसार एक या दो नल-कूपों में, जिनमें कि पर्याप्त आवक क्षमता है, उनमें सिंगल-फेस सब-मर्सिबल पम्प स्थापित कर ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध करवाया गया है। जिला सागर, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह एवं दतिया में क्रमश: 60, 130, 114, 122, 141 एवं 49 सब-मर्सिबल पम्प स्थापित किये गये हैं। ग्रीष्म ऋतु में पेयजल की समस्याओं के निदान के लिये विभाग ने माह दिसम्बर से ही कार्य-योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन शुरू कर दिया है। बुन्देलखण्ड के सभी जिलों में पर्याप्त मात्रा में हैण्ड-पम्पों में बढ़ाने के लिये राइजर पाइप एवं प्राथमिक दृष्टि से प्रत्येक जिले में 200-200 सिंगल-फेस सब-मर्सिबल पम्प आवश्यकतानुसार स्थापित करने के लिये उपलब्ध करवा दिये गये हैं।

पेयजल व्यवस्था को सुचारु बनाये रखने अधिकारी सजग

विभागीय प्रमुख सचिव  प्रमोद अग्रवाल एवं प्रमुख अभियंता के.के. सोनगरिया, पूरे प्रदेश के साथ बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सभी जिलों में सतत भ्रमण कर पेयजल व्यवस्था को सुचारु बनाये रखने के लिये सभी प्रयास कर रहे हैं। विभाग द्वारा माह फरवरी में ही प्रत्येक जिले के ऐसे कठिन ग्रामों का चिन्हांकन मैदानी अधिकारियों से करवा लिया गया है, जहाँ आगामी ग्रीष्म ऋतु में पेयजल समस्या की संभावना हो। प्रत्येक जिले के कलेक्टर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं विभाग से जिले के कार्यपालन यंत्री-सहायक यंत्री – उपयंत्री भी जिलों में बैठक कर तत्काल कार्यवाही के निर्देश दे रहे हैं। इसके लिये प्रमुख अभियंता द्वारा आदेश जारी कर प्रत्येक वरिष्ठ अधिकारी को 2-3 जिलों की जिम्मेदारी दी गई। इसमें उन्हें ग्रीष्मकाल में प्रत्येक बसाहटों में पेयजल की सुनिश्चितता करने के निर्देश दिये गये हैं। ये अधिकारी अपने प्रभार के जिलों का दौरा कर चिन्हांकित समस्याग्रस्त क्षेत्र के साथ समूचे जिले में कहीं भी व्यवस्थाओं में व्यवधान होने पर उनका समाधान किया जा रहा है। निचले स्तर पर फील्ड में सहायक यंत्री, उप यंत्री एवं हैण्ड-पम्प मैकेनिक भी अपने कार्य-क्षेत्रों में नल-जल योजनाएँ एवं हैण्ड-पम्पों को चालू रखने में सतत भ्रमण कर आवश्यक कार्यवाही कर रहे हैं। वरिष्ठतम अधिकारियों के अतिरिक्त संबंधित मुख्य अभियंता, अधीक्षण यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री भी अपने क्षेत्रों में लगातार भ्रमण कर पेयजल की उपलब्धता पर दृष्टि बनाये हुए हैं। इस प्रकार प्रशासन एवं विभाग का समूचा अमला ग्रीष्म ऋतु में प्रत्येक बसाहट में पेयजल की सुनिश्चितता बनी रहे इसके लिये सजग है।

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