बेशक़ीमती भूमि के विवाद मामले में आया बड़ा फैसला, गरीब आदिवासियों की जमीनें हड़पने वाले भू-माफिया को लगा तगड़ा झटका, मूल भूमिस्वामियों के नाम पर पुनः दर्ज होगी 18 एकड़ भूमि

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पन्ना के नजदीक स्थित मुड़िया पहाड़ की बेशकीमती जमीन में बने घर। (फाइल फोटो)

* पन्ना के बहुचर्चित नयापुरा-मुड़िया पहाड़ भूमि प्रकरण में एसडीओ राजस्व के न्यायालय ने दिया फैसला

* आदिवासियों की जमींने हड़पकर बीजेपी नेता फर्जी तरीके से बन गया था मालिक

* भू-माफिया के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करने एसडीओपी को दिया आदेश

* न्यायालय एसडीओ राजस्व पन्ना के ऐतिहासिक फैसले का जनमानस ने किया स्वागत

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिला मुख्यालय के नजदीक नेशनल हाइवे क्रमांक-39 के दोनों तरफ स्थित नयापुरा-मुड़िया पहाड़ की लगभग 18 एकड़ बेशकीमती भूमि के विवाद मामले में न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पन्ना ने अपना फैसला सुना दिया। शेर सिंह मीना (IAS) अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, तहसील पन्ना ने अपने फैसले में कहा है कि, अंकुर त्रिवेदी पिता खुन्ना उर्फ़ अवधेश त्रिवेदी ने छल-कपट पूर्वक साम-दाम-दण्ड-भेद का इस्तेमाल कर आदिवासियों की भूमियों पर पहले कब्ज़ा किया। इसके बाद अंकुर ने अपने बंधुआ मजदूर हीरालाल आदिवासी का इस्तेमाल कर उन भूमियों को हड़प लिया।
भाजपा नेता अंकुर त्रिवेदी।
राजस्व न्यायालय ने विवादित जमीनों (आराजियों) को उनके मूल भूमिस्वामियों (गरीब आदिवासियों) के नाम पर दर्ज करने का आदेश दिया है। जिसमें कहा गया है, तहसीलदार पन्ना आदेशानुसार (फैसले के मुताबिक) पटवारी व कम्प्यूटर अभिलेख दुरुस्त (सुधार) कराकर एक प्रति प्रकरण में संलग्न करें। विधि अनुसार मूल भूमि स्वामियों को उनकी भूमियों का कब्ज़ा दिलाएं। आवश्यकता पड़ने पर पुलिस की सहायता से कब्ज़ा दिलाने की कार्रवाई की जाए। श्री मीना ने इस मामले में एसडीओपी पन्ना को अंकुर त्रिवेदी व उनकी माँ के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर एफआईआर की कॉपी उनके न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया है।
महारानी पन्ना जीतेश्वरी देवी ने शुरूआती दौर में नयापुरा-मुड़िया पहाड़ के वाशिंदों के साथ खड़े होकर उनकी आवाज को बुलंद किया था। (फाइल फोटो)
बहुचर्चित भूमि विवाद मामले में न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तहसील पन्ना के फैसले पर स्थानीय नागरिकों ने ख़ुशी जाहिर करते हुए इसका स्वागत किया है। अधिकाँश लोगों ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि धन-बल के जोर पर फर्जीवाड़ा करके कमजोर तबके के लोगों की जमीनों को हड़पने वाले भूमाफियाओं में इससे कड़ा सन्देश जाएगा। साथ ही यह फैसला जन मानस में राजस्व न्यायालय के प्रति उनके विश्वास को और अधिक मजबूती प्रदान करने का काम करेगा। दिनाँक 11 फरवरी को पारित इस महत्वपूर्ण फैसले की खबर आने के बाद से ही लोग हर तरफ इसकी चर्चा कर रहे हैं।
सांसद एवं भाजपा प्रदेशाध्य्क्ष विष्णु दत्त शर्मा के पन्ना प्रवास के दौरान उनसे न्याय की गुहार लगाते हुए नयापुरा-मुड़िया पहाड़ के गरीब वाशिंदे।
उल्लेखनीय है कि, खजुराहो सांसद एवं मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा (V.D. Sharma) के बेहद करीब माने-जाने वाले बीजेपी के दबंग नेता अंकुर त्रिवेदी पर अपने रसूख के दम पर आदिवासियों की बेशकीमती जमीनों को हड़पने के बेहद गंभीर आरोप लगे थे। यह मामला पिछले कई माह से सुर्ख़ियों में बना था। पन्ना के नजदीक नयापुरा-मुड़िया में स्थित उक्त भूमियों पर झोपड़ी बनाकर कई पीढ़ियों से रह रहे गरीब परिवारों को बेदखल करने के लिए भाजपा नेता के द्वारा दबाव बनाने एवं धमकाने के चलते प्रभावित लोगों के द्वारा चरणबद्ध आंदोलन चलाया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह।
सैंकड़ों गरीबों के आशियाने व आदिवासियों के साथ हुए अन्याय से जुड़े इस ज्वलंत मुद्दे पर पन्ना के पत्रकारों का एक बड़ा तबका पूरी तरह मौन रहा। माफियाओं की गोदी में बैठे मेन स्ट्रीम मीडिया के तथाकथित पत्रकारों की उपेक्षा के बावजूद कमजोर वर्गों के आंदोलन की गूँज से पन्ना से लेकर राजधानी भोपाल तक प्रशासनिक व सियासी गलियारे कंपित हो ऊठे। पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह ने इस प्रकरण की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए प्रभावित परिवारों एवं आदिवासियों के संघर्ष में अपनी एकजुटता दिखाई साथ ही उन्हें न्याय दिलाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा। इस मामले की सच्चाई को सामने लाने के लिए उनके द्वारा पूर्व विधायक नन्हेलाल धुर्वे के नेतृत्व में कोंग्रेस विधायकों की एक जांच टीम को भी पन्ना भेजा गया।
पूर्व मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेले को अपनी व्यथा सुनाते हुए नयापुरा-मुड़िया पहाड़ के वाशिंदे। (फाइल फोटो)
राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कुछ समय पूर्व इस मामले में एक वीडियो सन्देश जारी करते कोंग्रेस जनों से प्रभावित आदिवासियों एवं नयापुरा-मुड़िया पहाड़ के वाशिंदों के साथ खड़े होने का आव्हान किया। बताते चलें कि इस अन्याय-अत्याचार व शोषण के खिलाफ सबसे पहले-सबसे सशक्त और मुखर आवाज पूर्व मंत्री सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले के रूप में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के अंदर से ही उठी। लेकिन दबंग भाजपा नेता अंकुर की प्रदेश स्तर पर सत्ता-संगठन में शीर्ष स्तर पर पैठ के चलते उनके विरोध का कुछ ख़ास असर नहीं हुआ। वहीं कोंग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जब इस मुद्दे पर सक्रियता दिखानी शुरू की तो भाजपा के खेमे में खलबली मचने लगी। इधर, कथित तौर अंकुर को प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से संरक्षण दे रहे बीजेपी के बड़े नेताओं पर प्रदर्शनकारियों के द्वारा खुलकर गंभीर आरोप लगाने के चलते सत्ता-संगठन भी बैकफुट पर आ गया।
कोंग्रेस विधायकों की टीम से मिलकर पुस्तैनी कब्जे की भूमि से बेदखल होने से बचाने की गुहार लगाती हुई नयापुरा-मुड़िया पहाड़ निवासी महिला। (फाइल फोटो)
नयापुरा-मुड़िया पहाड़ के लोगों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे उच्च शिक्षित युवा बृजेश गौतम व अन्य प्रभावित आदिवासी जमीन हड़पने के इस मामले को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पन्ना के न्यायालय में ले गए। इनके द्वारा मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा-115 खसरे में अवैध प्रविष्टि के तहत मौजा पन्ना की आराजी खसरा नंबर 1235/01, 1235/02, 239, 251, 252, 260, 360, एवं 1211 के संबंध में संबंध आपत्ति प्रस्तुत की गई। जिसमें अनावेदक हीरालाल पिता करताली गौंड़ निवासी रानीबाग हाल नयापुरवा पन्ना, अंकुर त्रिवेदी पिता खुन्ना उर्फ़ अवधेश त्रिवेदी व सुमिला पत्नी खुन्ना उर्फ़ अवधेश त्रिवेदी निवासी रानीबाग पन्ना पर छल-कपट पूर्वक उक्त आराजी (भूमि) पर कब्ज़ा करने का आरोप लगाया गया।

फैसले का निष्कर्ष

झुग्गी वासियों को पुश्तैनी कब्जे की जमीनों से भूमाफिया के द्वारा बेदखल करने के खिलाफ पन्ना में कलेक्ट्रेट के बाहर फांसी का फंदा लेकर प्रदर्शन करती हुई महिलाएं। (फाइल फोटो)
नयापुरा-मुड़िया पहाड़ में स्थित करोड़ों रूपये मूल्य की बेशकीमती भूमियों के विवाद के मामले की तह तक जाकर दस्तावेजों की गहनता से पड़ताल करने, भूमि के क्रय-विक्रय में अपनाई गई प्रक्रिया की वैधानिकता को जांचने-परखने, आवेदकों की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों, हितबद्ध पक्षकारों तथा बंधुआ मजदूर हीरालाल गौंड़ (आदिवासी) के कथनों पर गौर करने के पश्चात न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तहसील पन्ना ने अपना फैसला सुनाया है। इस अहम फैसले में कहा गया है कि सम्पूर्ण भूमि के क्रय-विक्रय में अंकुर त्रिवेदी के द्वारा छल-कपट पूर्वक साम-दाम-दण्ड-भेद का इस्तेमाल कर डर-भय दिखाकर पहले जमीनों में कब्ज़ा किया गया फिर आदिवासियों से हीरालाल गौंड़ (आदिवासी) बंधुआ मजदूर के नाम पर अंकुर त्रिवेदी के द्वारा भूमि क्रय की गई।

जांच में फर्जी पाया गया नामांतरण

मौजा पन्ना की भूमि खसरा नंबर 251, 252 रकवा 0.016 व 0.08 हेक्टेयर बाला प्रसाद तनय भगोला गौंड़ के नाम थी। इस मामले की जांच में यह तथ्य प्रकाश में आया है कि भूमि का विक्रय पत्र निष्पादित है किन्तु नामांतरण फर्जी है। पन्ना मौजा की भूमि खसरा नम्बर 1235/2 रकवा 4.047 मध्यप्रदेश शासन की भूमि थी। इसका पट्टा दशरथ तनय मराखन गौंड़ को पूर्व में प्राप्त हुआ था। उक्त भूमि का विक्रय पत्र निष्पादित नहीं हुआ केवल फर्जी प्रविष्टि (एंट्री) से नामांतरण दर्ज कराया गया। दरअसल, पूर्व की प्रविष्टि फर्जी व अवैधानिक है इस कारण उसके बाद की सभी प्रविष्टियों की कोई वैधानिकता नहीं होने से शून्यवत हैं।

95 लाख की जमीन बेंची लेकिन रुपए नहीं मिले

कथित तौर भूमाफिया के बंधुआ मजदूर हीरालाल गौंड़ की पत्नी से पन्ना में उसकी झोपड़ी में चर्चा करते हुए कोंग्रेस विधायकों की टीम। (फाइल फोटो)
हीरालाल गौंड़ कथनानुसार फैसले में उल्लेख किया गया है कि भूमि के क्रय-विक्रय में उसे एक भी पैसा नहीं दिया गया। उसको यह भी जानकारी नहीं दी गई कि कौन सी भूमि खरीदी-बेंची जा रही है। हीरलाल के अनुसार उक्त जमीनें उसके नाम पर अंकुर त्रिवेदी ने अपना पैसा लगाकर उसकी बिना जानकारी के छल पूर्वक क्रय करवाई। महत्वपूर्ण बात यह है कि विक्रय पत्रों (रजिस्ट्री दस्तावेजों) के अनुसार 95.5 लाख की जमीन हीरालाल गौंड़ की अंकुर त्रिवेदी ने अपने नाम कराई। लेकिन उसे डरा-धमकाकर हस्ताक्षर करा लिए और राशि नहीं दी गई। हीरालाल को राशि देने का कोई सबूत भी नहीं है। यह तथ्य उसने अपने बयानों में उजागर किए।
बंधुआ मजदूर हीरालाल ने वनाधिकार अधिनियम अंतर्गत वन भूमि का पट्टा प्राप्त करने के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया है जिसमें उसने स्वयं को भूमिहीन बताया है। इस तरह प्रकरण में मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 (संशोधन अधिनियम 2018) के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन किया गया। इस आधार पर उक्त भूमि मूलतः आवेदक/हितबद्ध पक्षकार को वापस कर कब्ज़ा दिलाने का आदेश पारित किया गया है।

इन्हें वापस मिलेगी बेशकीमती जमीनें

अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तहसील पन्ना शेर सिंह मीना (IAS) ने राजस्व प्रकरण क्रमांक/0016/अ-6-अ/2020-21 में दिनाँक 11 फरवरी को फैसला सुनाते हुए आदेश पारित किया है कि मौजा पन्ना की भूमि खसरा नम्बर 251, 252 रकवा 0. 016 व 0.08 हेक्टेयर पर अंकुर त्रिवेदी पिता अवधेश त्रिवेदी का नाम निरस्त कर मूल भूमिस्वामी दसिया गौंड़ के वारिश दारा गौंड़ पिता बाला गौंड़, अग्गनबाई, कल्ली बाई पुत्री बाला गौंड़ के नाम दर्ज की जाए।
मनौर पंचायत के नयापुरा में कई पीढ़ियों से गरीब परिवार निवासरत हैं बावजूद इसके उक्त भूमि को भूमाफिया ने फर्जी तरीके सेअपने नाम करा लिया था।
मौजा पन्ना की भूमि खसरा नम्बर 1235/2 रकवा 4.047 हेक्टेयर पर अंकुर त्रिवेदी पिता अवधेश उर्फ़ खुन्ना त्रिवेदी व सुमिला त्रिवेदी का नाम निरस्त कर मूल भूमिस्वामी गिल्ली बेवा दशरथ के वारिस ठुठिया किशन तनय शंभुवा, गेंदाबाई पुत्री दशरथ गौंड़ के नाम दर्ज करने का आदेश पारित किया गया। इसी तरह मौजा पन्ना की भूमि खसरा नम्बर 239, 260 रकवा 0.547 व 0.073 हेक्टेयर पर अंकुर त्रिवेदी के बजाए मूल भूमिस्वामी सुरेश, स्वरूप, रामखिलावन पिता शारदा, कल्लूबाई, राजबाई, गीताबाई, पुत्री शारदा गौंड़ फग्गी बेवा शारदा गौंड़ के नाम दर्ज करने का आदेश पारित किया।
मुड़िया पहाड़ में अंकुर त्रिवेदी द्वारा हाल ही में बनवाया गया आलीशान घर जिसके बारे में कई तरह की चर्चाएं फैली हैं।
मौजा मनौर की भूमि खसरा नम्बर 24/2 रकवा 1.132 हेक्टेयर पर अंकुर के बजाए मूल भूमिस्वामी रामआसरे पिता दयाराम गौंड़ शासकीय पट्टेदार के नाम पर दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके आलावा मौजा पन्ना की भूमि खसरा नम्बर 1211 रकवा 0.506 हेक्टेयर पर अंकुर त्रिवेदी पिता अवधेश त्रिवेदी की बजाए मूल भूमिस्वामी नंदुवा तनय बसोरा कोंदर के नाम पर दर्ज करने तथा तहसीलदार पन्ना को आदेशानुसार पटवारी अभिलेख एवं कम्प्यूटर अभिलेख दुरुस्त कराकर एक प्रति प्रकरण में संलग्न करने के आदेश दिए हैं। साथ ही मूल भूमि स्वामियों को उनकी भूमि का कब्ज़ा आवश्यकता पड़ने पर पुलिस बल की सहायता से दिलाने की कार्रवाई करने का भी आदेश भी पारित किया गया।
शेर सिंह मीना (IAS)
शेर सिंह मीना (IAS) अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, तहसील पन्ना के इस बेहद अहम फैसले के आने के बाद से पन्ना के ऐसे तमाम सफेदपोश लोगों व माफियाओं की धड़कनें तेज़ हो गई हैं जोकि लंबे समय से गरीब-कमजोर वर्गों का हक़ दबाकर बैठे हैं या फिर उनके नाम पर खदान, दूकान, मकान, बैंक लोन, पेट्रोल पंप जमीन सहित तमाम चल-अचल संपत्ति का स्वयं उपभोग कर रहे हैं। पन्ना के युवा अधिवक्ता एवं भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेष विश्वकर्मा का कहना है यह फैसला ऐसे तमाम कमजोर लोगों को शोषण व अन्याय के खिलाफ अपने अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय की शरण में जाने को प्रेरित करेगा।वहीं इस फैसले के संबंध में भाजपा नेता अंकुर त्रिवेदी से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए मोबाइल पर जब सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से साफ़ इंकार कर दिया।