स्वास्थ्य विभाग में फर्जी नियुक्ति के 119 आरोपियों में से 35 को जाँच के बाद किया गया बर्खास्त

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सांकेतिक चित्र।

*    प्रदेश के दतिया जिले का बहुचर्चित फर्जी नियुक्ति घोटाला

*    बर्खास्त किये गये व्यक्तियों से वेतन-भत्तों की राशि की होगी वसूली

*    फर्जी नियुक्ति के शेष आरोपियों के खिलाफ जांच अनुशासनात्मक कार्रवाई जारी

 शादिक खान, भोपाल/पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश लोकायुक्त के संज्ञान में आने के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार और फर्जी नियुक्ति के आरोपी 119 व्यक्ति में से 35 व्यक्ति को जाँच के बाद शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिये गये वेतन-भत्तों की राशि की वसूली की जा रही है। फर्जी नियुक्ति के आरोपी शेष व्यक्तियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई जारी है। आरोपी और संलिप्त अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम-1966 के प्रावधान के अनुसार कार्यवाही भी की जा रही है।
सर्वदलीय संघर्ष समिति दतिया ने केन्द्र सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और अन्य योजनाओं में भ्रष्टाचार और फर्जी नियुक्तियों के संबंध में मध्यप्रदेश लोकायुक्त से शिकायत की थी। लोकायुक्त ने प्रकरण पंजीबद्ध कर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से विस्तृत प्रतिवेदन प्राप्त किया। प्रारंभिक जाँच में ज्ञात हुआ कि आरोपियों ने स्वास्थ्य संचालनालय से फर्जी आदेश जारी कराकर और जिला कोषालय दतिया से फर्जी यूनिक कोड बनवाकर शासकीय सेवा में अवैध नियुक्ति प्राप्त की। आरोपियों ने शासन को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुँचाया है। आरोपियों को वेतन-भत्ते में एक करोड़ 67 लाख 18 हजार 850 रुपये का भुगतान हुआ है। आरोपियों में से कुछ कर्मचारियों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।
वर्तमान में इस प्रकरण में स्वास्थ्य संचालनालय स्तर पर गठित जाँच समिति द्वारा चिन्हांकित 119 आरोपी व्यक्ति में से 13 आरोपी को जाँच रिपोर्ट के आधार पर जिला दतिया के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया है। स्वास्थ्य संचालनालय स्तर पर अभिलेखों के कूट परीक्षण और सत्यापन के बाद 22 आरोपी की सेवाएँ शून्य घोषित की गयी हैं। इनके वेतन-भत्तों में दी गयी राशि आरोपियों से वसूलने की कार्रवाई की जा रही है।

पन्ना जिले में भी की गईं फर्जी नियुक्तियां

प्रदेश के दतिया जिले की तर्ज पर पन्ना जिले के स्वास्थ्य विभाग में भी बीते एक दशक में बड़ी संख्या में चहेतों-परिवारजनों को उपकृत करते हुए फर्जी नियुक्तियों की रेवड़ी बांटी गई। अपात्रों को पिछले दरवाजे से सरकारी नौकरी देकर आर्थिक लाभ अर्जित करने के लिए नियम-कानूनों की जमकर धज्जियाँ उड़ाई गईं। दस्तावेजी हेरफेर और भ्रष्टाचार किया गया। पन्ना की पूर्व कलेक्टर जेपी आईरीन सिंथिया के समय फर्जी नियुक्ति घोटाले की फाइल कलेक्ट्रेट से लेकर स्वास्थ्य संचालनालय के बीच चक्कर काटती रही है। जिसके परिणामस्वरूप करीब दर्जन भर कथित तौर पर फर्जी नियुक्ति वाले व्यक्तियों की सेवा समाप्त करके इस घोटाले को अंजाम देने वालों की गर्दन बचा ली गई।
विभागीय सूत्रों एवं जन चर्चाओं की मानें तो, पन्ना जिले में फर्जी नियुक्तियों का घोटाला सिर्फ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन तक ही सीमित नहीं है, अन्य कार्यक्रमों में भी आउटसोर्स के माध्यम से नौकरियां बांटकर धन उगाही की गई है। मजेदार बात तो यह है कि फर्जी नियुक्ति के आरोप में जिन व्यक्तियों को कुछ वर्ष पूर्व बाहर का रास्ता दिखाया गया था उन्हें थोड़े अंतराल के बाद मामला शांत होने पर पिछले दरवाजे से पुनः इंट्री दे दी गई। स्थिति यह है कि जिले का स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह परिवार कल्याण विभाग में तब्दील हो चुका है। जहां बीते एक दशक में बड़ी संख्या में विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों के करीबी रिश्तेदार नियमित कर्मचारी, संविदा कर्मचारी या फिर आउटसोर्स के माध्यम नियुक्त हुए हैं। पन्ना के स्वास्थ्य विभाग में लम्बे समय से जारी नियुक्तियों के इस फर्जीवाड़े से अनुकंपा की नियुक्तियां तक अछूती नहीं हैं। विभाग के अंदर से छन-छनकर आ रहीं ख़बरों पर भरोसा करें तो अनुकंपा नियुक्ति की शर्तों को दरकिनार करते हुए अपात्रों को लाभ दिया गया है।