जल संरक्षण के प्रयासों को नहीं मिला प्रशासनिक सहयोग

0
682
मढ़ा तालाब गहरीकरण कार्य में जनसयोग से लगी मशीनरी।

ग्रामीणों ने अपने स्तर पर किये प्रयास

जल संरक्षण-संर्वधन की चिंता सिर्फ भाषणों तक सिमटी

मोहन्द्रा। रडार न्‍यूज  पानी के संकट से अछूता समझा जाने वाला मोहन्द्रा कस्बा इस साल भयंकर सूखे के दौर से गुजर रहा है। बस्ती के बीचों-बीच तो हालात और भी बुरे है। सूखे की इसी समस्या सेे मोहन्द्रा में पानी के एक नये व्यवसाय का आगाज भी हो रहा है। बस्ती के बीचों-बीच रहने वाले परिवारों को हर दिन अपनी पेयजल आपूर्ति के लिये 100 से 150 रुपये खर्च करने पड़ रहे है। सवाल उठता है गरीब लोग अपने घर की पेयजल आपूर्ति को कैसे पूरा करें। हालांकि पानी की भीषण किल्लत से लोगों को पानी की कीमत का अहसास भी हुआ और इसी का परिणाम है कि शासकीय सहयोग न मिलने के बाबजूद भी स्थानीय लोगों ने जनसहयोग और श्रमदान कर अपने अपने मोहल्ले में स्थित कुओं और अपने जल भराव से नगर के जल स्तर को तय करने वाले मढ़ा तालाब की न सिर्फ साफ सफाई की बल्कि उसे और गहरा भी किया। हांलाकि पैसों के अभाव और प्रश्‍ाासनिक मदद् न मिलने से पूरे तालाब का गहरीकरण करने के बजाय ग्रामीणों ने किनारे किनारे गहरीकरण का कार्य करवाया। जेसीबी द्वारा तालाब के लगभग पूरे घाट गहरे किये जा चुके है। ग्रामीणों में इस बात की निराशा जरुर है कि जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ मोहन्द्रा रेस्ट हाउस में ठहरे कलेक्टर श्री खत्री ने गहरीकरण में सहयोग करने का वादा किया था पर गहरीकरण के लिये अब तक कोई भी बाहरी और बड़ा सहयोग नहीं मिल सका है।

 युवाओं ने महीनेभर टैंकर करवाई पेयजल सप्‍लाई-

श्रमदान से कुआं की सफाई के लिए करते ग्रामीण।

नगर के कुछ युवाओं ने जन सहयोग लेकर पूरे महीने भर पानी की आपूर्ति कराई। युवाओं द्वारा किये गये प्रयास का ही परिणाम था कि आम व गरीब लोगों को पीने के पानी के लिये बहुत ज्यादा मश्‍ाक्कत नहीं करनी पड़ी। हालांकि जनमानस में इस बात को लेकर आक्रोश्‍ा भी है कि चुने हुये जनप्रतिनिधियों ने वर्तमान जलसंकट से उबारने कोई प्रयास नहीं किया और भविष्य में जलसंकट न हो इसके लिये प्रयास कर रहे ग्रामीणों की स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कोई मदद नहीं की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here